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MP Cabinet: औद्योगिक संवर्धन नीति 2025 को मिली स्वीकृति, लगभग 20 लाख रोजगार होंगे सृजित

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MP Cabinet: Industrial Promotion Policy 2025 approved, about 20 lakh jobs will be created

Bhopal: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में मंगलवार को मंत्रि-परिषद की बैठक मंत्रालय में सम्पन्न हुई। मंत्रि-परिषद द्वारा प्रदेश को विकसित एवं समृद्ध राज्य बनाने के लिए औद्योगिक संवर्धन नीति 2025 की स्वीकृति दी गयी है। इसके अंतर्गत 10 सेक्टर विशिष्ट नीतियों यथा कृषि, डेयरी एवं खाद्य प्रसंस्करण नीति, टेक्सटाइल नीति, परिधान, फुटवियर, खिलौने और सहायक उपकरण नीति, एयरोस्पेस और रक्षा उत्पादन प्रोत्साहन नीति, फार्मास्यूटिकल्स नीति, बायोटेक्नोलॉजी नीति, मेडिकल डिवाईसेस नीति, ईव्ही विनिर्माण नीति, नवकरणीय ऊर्जा उपकरण विनिर्माण नीति और हाई वेल्यू-एड विनिर्माता नीति को स्वीकृति दी गयी है।

औद्योगिक संवर्धन नीति 2025 का उदेश्य मध्य प्रदेश में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने और राज्य की वर्तमान जीडीपी को 2.9 लाख करोड़ रूपये से बढ़ाकर वर्ष 2030 तक लगभग 6 लाख करोड़ रूपये करने में उद्योगों का योगदान बढ़ाना है। निवेशकों को एक समग्र औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र प्रदान करने के लिए विश्व स्तरीय औद्योगिक अधोसंरचना का विकास करना, एनवायरनमेंटली सस्टेनेबल इंडस्ट्रियल ग्रोथ और संतुलित क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देना, राज्य में रोजगार के अवसरों को बढ़ाना, विशेष रूप से रोजगार-गहन क्षेत्रों पर जोर देते हुए अगले पाँच वर्षों में लगभग 20 लाख नवीन रोजगार के अवसर सृजित करना,निवेशक सुविधा में सुधार करना और राज्य में व्यापार करने की प्रक्रिया को सरल बनाना और प्रदेश की योजनाओं को उद्योगों की आवश्यकताओं के साथ संरेखित कर भविष्य के लिए प्रशिक्षित कार्यबल तैयार करना है। इसके अंतर्गत वृहद और मेगा स्तर की औद्योगिक इकाई को निवेश प्रोत्साहन सहायता, सामान्य सहायता और अतिरिक्त सहायता के प्रावधान शामिल किये गये है।

कृषि, डेयरी एवं खाद्य प्रसंस्करण नीति में विद्युत टैरिफ प्रतिपूर्ति 1 रूपये प्रति यूनिट 5 वर्षों के लिए प्रदाय की जायेगी। गुणवत्ता प्रमाणन के लिए प्रोत्साहन, 50% अथवा 5 लाख जो भी कम हो 5 वर्षों के लिए प्रदाय किया जायेगा। इसके साथ ही 75 करोड़ से अधिक का निवेश करने वाले खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां सीसीआईपी अंतर्गत कस्टामाईज्ड पैकेज के लिए पात्र होंगी।

टैक्सटाइल नीति के अंतर्गत्‍संयंत्र और मशीनरी के लिए गए टर्मलोन पर 5 प्रतिशत ब्याज अनुदान सुविधा 5 वर्षों के लिए अधिकतम, 50 करोड़ रूपये प्रदाय की जायेगी। अपेरल प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना पर 25 प्रतिशत सहायता अधिकतम 50 लाख रूपये वित्तीय सहायता प्रदाय की जायेगी। साथ ही 500 करोड़ रूपये से अधिक का निवेश करने वाली मेगा श्रेणी की इकाईयां सीसीआईपी अंतर्गत कस्टमाईज्ड पैकेज के लिए पात्र होंगी।

परिधान, फुटवियर, खिलौने और सहायक उपकरण नीति में रोजगार सृजन को प्रोत्साहित करने के लिए प्रति कर्मचारी 5 हजार रूपये प्रति माह 5 वर्षों तक, कुल 10 वर्षों की अवधि में प्रदान किये जायेंगे। प्रशिक्षण और कौशल विकास के लिए 13 हजार रूपये प्रति नए कर्मचारी के लिए 5 वर्षों तक प्रदान किया जायेगा। टर्मलोन पर 5% ब्याज अनुदान, अधिकतम 50 करोड़ रूपये दिया जायेगा। विकास शुल्क में 25% की रियायत देने के साथ स्टांप ड्यूटी और पंजीकरण शुल्क सहायता में 100 प्रतिशत की छूट दी जायेगी। विद्युत टैरिफ रियायत के रूप में 1 रूपये प्रति यूनिट, अधिकतम 5 वर्षों के लिए प्रदान की जायेगी। अपेरल प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना पर 25 प्रतिशत सहायता अधिकतम 50 लाख रूपये प्रदाय की वित्तीय सहायता प्रदाय की जायेगी। इसके साथ ही 75 करोड़ रूपये से अधिक का निवेश करने वाली मेगा श्रेणी इकाइयां कस्टामाईज्ड पैकज के लिए पात्र होंगी।

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एयरोस्पेस और रक्षा उत्पादन प्रोत्साहन नीति में विकास शुल्क में 25% की रियायत दी जायेगी। गुणवत्ता प्रमाणन के रूप मे 50% या 10 लाख रूपये की प्रतिपूर्ति, जो भी कम हो की जायेगी। साथ ही 500 करोड़ रूपये से अधिक का निवेश करने वाली मेगा श्रेणी इकाइयां कस्टामाईज्ड पैकज के‍लिए पात्र होंगी।

नवकरणीय ऊर्जा उपकरण विनिर्माण नीति में विकास शुल्क में 50% की रियायत दी जायेगी गुणवत्ता प्रमाणन लागत का 50% या 1 लाख रूपये जो भी कम हो, की प्रतिपूर्ति की जायेगी। 250 करोड़ से अधिक का निवेश करने वाली मेगा श्रेणी की इकाइयां सीसीआईपी अंतर्गत कस्टामाईज्ड पैकज के‍लिए पात्र होंगी।

फार्मास्यूटिकल्स नीति के अंतर्गत्‍गुणवत्ता प्रमाणन लागत का 50% या 1 करोड़ रूपये 5 वर्षों के लिए प्रदान किया जायेगा। अतिरिक्त निवेश पर 2 वर्षों का स्लैक अवधि प्रोत्साहन के रूप में दिया जायेगा। परीक्षण सुविधा की स्थापना में हुए व्यय का 50% पूंजी अनुदान अधिकतम 1 करोड़ रूपये प्रदान किया जायेगा। साथ ही 250 करोड़ रूपये से अधिक का निवेश करने वाली मेगा श्रेणी की इकाइयां सीसीआईपी अंतर्गत कस्टामाईज्ड पैकज के लिए पात्र होंगी।

बायोटेक्नोलॉजी नीति में इन-हाउस आर एंड डी के लिए यंत्र-संयंत्र एवं भवन का 50 प्रतिशत ईएफसीआई में सम्मिलित होगा। परीक्षण सुविधा की स्थापना में हुए व्यय का 50% पूंजी अनुदान अधिकतम 1 करोड़ रूपये प्रदान किया जायेगा। बायोटेक्नोलॉजी पार्क निजी औद्योगिक पार्क के समान सुविधा के लिए पात्र होंगे। 250 करोड़ रूपये से अधिक का निवेश करने वाली मेगा श्रेणी की इकाईयां सीसीआईपी अंतर्गत कस्टामाईज्ड पैकज के लिए पात्र होंगी।

मेडिकल डिवाइसेस नीति में आर एंड डी सुविधाएं विकसित करने के लिए 50 प्रतिशत ईएफसीआई में सम्मिलित होगा। परीक्षण सुविधा की स्थापना पर 50% पूंजी अनुदान अधिकतम 1 करोड़ रूपये प्रदान किया जायेगा। 500 करोड़ रूपये से अधिक का निवेश करने वाली मेगा श्रेणी इकाईयां सीसीआईपी अंतर्गत कस्टामाईज्ड पैकज के लिए पात्र होंगी।

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ईव्ही विनिर्माण नीति के बैटरी परीक्षण सहित को ईएफसीआई अंतर्गत मान्य किया जायेगा। गुणवत्ता प्रमाणन के लिए 50 प्रतिशत प्रतिपूर्ति या 1 लाख रूपये प्रति मॉडल जो भी कम हो, अधिकतम 10 लाख रूपये प्रदान किये जायेंगे। एमपीआईडीसी द्वारा लगाए गए विकास शुल्क में 25% की रियायत दी जायेगी। 500 करोड़ रूपये से अधिक का निवेश करने वाली मेगा श्रेणी इकाइयां सीसीआईपी अंतर्गत कस्टामाईज्ड पैकज के लिए पात्र होंगी।

हाई वेल्यू-एड विनिर्माता नीति के अतंर्गत प्रशिक्षण और कौशल विकास के लिए सहायता के रूप में 13 हजार रूपये प्रति नए कर्मचारी 5 वर्षों तक प्रदान किया जायेगा। गुणवत्ता प्रमाणन लागत का 50% या 1 लाख रूपये की प्रतिपूर्ति, जो भी कम हो प्रदान की जायेगी। 75 करोड़ रूपये से अधिक का निवेश करने वाली मेगा श्रेणी की इकाईयां सीसीआईपी अंतर्गत कस्टमाईज्ड पैकज के लिए पात्र होंगी।

मेड इन मध्यप्रदेश बाजार विकसित करने “मध्य प्रदेश निर्यात नीति-2025” की स्वीकृति

प्रदेश के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए “मध्य प्रदेश निर्यात नीति-2025” लागू करने की स्वीकृति दी गयी। यह नीति निर्यात अधोसंरचना में निजी डेवलपर्स की भागीदारी बढ़ाने के लिए, निर्यात क्षेत्रों के डेवलपर्स को प्रोत्साहित करती है। नीति अतर्गत प्रावधानित अन्य गैर-वित्तीय सहायता एवं आईसीडी को सुगम बनाने के निर्णयों से प्रदेश के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। नीति का उद्देश्य राज्य में बड़े निर्यातकों की भागीदारी में वृद्धि करना, निर्यात विविधीकरण को बढ़ावा देना, निर्यात मात्रा और निर्यात दक्षता बढ़ाना, प्रदेश में निर्यातोन्मुखी इकाइयों को उनके निर्यात मूल्य को बढ़ाने में सहायता करना, विश्व स्तर पर ‘मेड इन मध्यप्रदेश बाजार को विकसित करना और प्रदेश में रोजगार के अवसर को बढ़ाना है।

वृहद श्रेणी की विनिर्माता इकाइयों द्वारा अपने उत्पादन का 25% से अधिक निर्यात करने पर निर्यात प्रोत्साहन सहायता उपलब्ध करायी जायेगी। इसमें पहली बार निर्यात करने वाली इकाइयों के लिए पंजीकरण सह-सदस्यता प्रमाणन की प्रतिपूर्ति अधिकतम 10 लाख रूपये तक और निर्यात बीमा प्रीमियम की प्रतिपूर्ति अधिकतम 25 लाख रूपये तक की जायेगी। निर्यात भाड़ा सहायता के रूप में फैक्टरी परिसर से बंदरगाह/ एयर कार्गों/ अंतरराष्ट्रीय सड़क मार्ग तक माल ले जाने के लिए किए गए व्यय की 50% तक प्रतिपूर्ति अधिकतम 2 करोड़ रूपये की जायेगी। निर्यात अधोसंरचना सहायता के अंतर्गत्‍परीक्षण प्रयोगशालाएं, अनुसंधान और विकास केंद्र, निर्यात इनक्यूबेशन केन्द्र आदि निर्यातोन्मुखी अधोसंरचना पर किये गये व्यय का 25% अधिकतम 1 करोड़ रूपये प्रदान किया जायेगा। प्रदेश से निर्यात करने वाली इकाई के लिए इन्क्रीमेंटल फ्री ऑनबोर्ड वेल्यू पर 10% की सहायता 5 वर्षों तक अधिकतम 2 करोड़ रूपये निर्यात टर्नओवर सहायता के रूप में प्रदान की जायेगी। निर्यात विपणन सहायता मे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेलों प्रदर्शनियों और केता-विक्रेता बैठकों में भाग लेने के लिए किये गये व्यय का 75% प्रतिपूर्ति अधिकतम 5 लाख रूपये प्रतिवर्ष प्रदान किया जायेगा। निर्यात ग्रीन दस्तावेज सहायता के रूप मंी निर्यात प्रलेखन लागत (सीबीएएम नेट-जीरो उत्सर्जन कार्बन ऑफसेटिंग आदि) पर किये गये व्यय का 50% प्रतिपूर्ति अधिकतम 20 लाख रूपये प्रतिवर्ष प्रति इकाई 5 वर्षों की अवधि के लिए किया जायेगा। निर्यात वित्तीय सहायता मे लिये गये ऋण पर 5 प्रतिशत ब्याज अनुदान 5 वर्षों के लिए अधिकतम 50 लाख रूपये प्रदान किया जायेगा। एचजीवी सेक्टर्स (फर्नीचर ट्रांसपोर्ट, आदि) एवं वैश्विक बाजार स्तर पर निर्यात की गई वस्तुओं (एलेक्ट्रॉनिक्स मशीनरी, अप्लाइन्स आदि) के लिए Free Onboard Value का 5% की अतिरिक्त सहायता, अधिकतम 30 लाख रूपये प्रति वर्ष 5 वर्ष की अवधि में निर्यात विकास संवर्धन प्रोत्साहन सहायता के रूप मे प्रदान की जायेगी।

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न्यूनतम 25 एकड़ तथा 70% से अधिक निर्यात उन्मुखी इकाइयां जिनके द्वारा पिछले 3 वर्षों में 25% से अधिक उत्पादन निर्यात किया गया हो वह डेडीकेटेड एक्सपोर्ट पार्क्स (DEP) डेव्हलपर्स के लिए सहायता के लिए पात्र होंगी। इसमें स्टांप शुल्क एवं पंजीकरण शुल्क पर 100% प्रतिपूर्ति, स्थाई अधोसंरचना (भूमि एवं आवासीय इकाइयों को छोड़कर) पर 50% प्रतिपूर्ति या 20 लाख रूपये प्रति एकड़, जो भी कम हो, अधिकतम 40 करोड रूपये तक प्रदान किया जायेगा। कॉमन प्रोसेसिंग फेसिलिटी पर 25% पूंजीगत सहायता, अधिकतम 25 करोड़ रूपये प्रदान कि जायेगी। हरित औद्योगीकरण मे अपशिष्ट प्रबंधन के लिए 50% पूंजीगत अनुदान, अधिकतम 5 करोड़ रूपये और जीरो लिक्विड डिस्चार्ज के लिए अधिकतम 10 करोड़ रूपये का पूंजीगत अनुदान सहायता दी जायेगी।

नीति अंतर्गत्‍निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए स्टार्टअप और नए निर्यातकों के लिए समर्पित निर्यात इनक्यूबेशन हब तैयार किए जायेगें। व्यावसायिक संस्थानों में उद्योग-संस्थान इंटरफेस में वृद्धि के साथ तकनीकी पाठ्यक्रमों का उन्नयन किया जाएगा। प्रदेश के छात्रों के लिए ऑन जाब ट्रेनिंग प्रदान करने के लिए संस्थानों के साथ भागीदारी की जायेगी। प्रदेश में व्यापार सहायता सुविधा स्थापित किया जाएगा।। निर्यात के लिए प्राथमिकता क्षेत्र केंद्रित विशेष आर्थिक क्षेत्र विकसित किया जाएगा। केंद्र सरकार के सहयोग से 20+ गति शक्ति कार्गो टर्मिनलों का विकास किए जाने का प्रयास किया जाएगा। भंडारण और परिवहन अधोसंरचना को बढ़ाने के लिए अतिरिक्त एमएमएलपी, एयर कार्गो हब और हवाई अड्डों का विकास किया जाएगा। साथ ही जिला स्तर पर ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ओएनडीसी) विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। पर्यावरण अनुपालन प्राप्त करने और जेडईडी (जीरो डिफेक्ट जीरो इफेक्ट) प्रमाणन प्राप्त करने में एमएसएमई की सहायता के लिए एक लक्षित कार्यक्रम शुरू किया जाएगा। स्थापित उद्यमियों और क्षेत्रीय विशेषज्ञों के सहयोग से एक राज्यव्यापी परामर्श कार्यक्रम शुरू किए जाएगें। Minimum inspection and speedy clearance हेतु ग्रीन कार्ड स्कीम स्थापित की जायेगी। निर्यातक आयातक इकाईयों के डेटाबेस को स्टेट पोर्टल पर अपडेट किया जायेगा। प्रदेश के गतिशक्ति पोर्टल को नेशनल मास्टर प्लान से संरेखित किया जायेगा।

”मध्यप्रदेश लॉजिस्टिक नीति 2025” की स्वीकृति

मंत्रि-परिषद द्वारा प्रदेश में लॉजिस्टिक अधोसंरचना विकसित करने और समग्र विकास के लिए मध्यप्रदेश लॉजिस्टिक नीति 2025 की स्वीकृति दी हैं। नीति का उद्देश्य प्रदेश में दक्ष धारणीय, विश्वसनीय एवं अनुकूल लॉजिस्टिक अधोसंरचना का विकास करना और वर्ष 2030 तक वैश्विक बेंचमार्क के अनुरूप लॉजिस्टिक लागत को कम करना एवं डेटा संचालित निर्णय समर्थन तंत्र स्थापित करना हैं।

लॉजिस्टिक एवं वेयरहाउस अधोसरंचना अंतर्गत लॉजिस्टिक पार्क, मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक पार्क, इन्लैंड कंटेनर डिपो और ड्राय पोर्टस् की स्थापना के लिए निवेश सहायता प्रदान की जायेगी। इसके अंतर्गत लॉजिस्टिक पार्क की सुविधा 25 एकड़ से 75 एकड़ क्षेत्र मे विकसित करने पर अधिकतम 50 करोड़ रूपये और 75 एकड़ से अधिक क्षेत्र पर विकसित करने पर अधिकतम 75 करोड़ रूपये की सहायता राशि दी जायेगी। आईजीबीसी ग्रीन लॉजिस्टिक्स पार्क और गोल्ड एवं प्लैटिनम प्रमाणन के लिए वेयरहाउस सर्टिफिकेशन के लिए 50% तक की सहायता, अधिकतम 20 लाख रुपये तक प्रदाय की जायेगी। परियोजना अंतर्गत्‍बाह्य सड़क/रेल अधोसंरचना विकास (परियोजना स्थल तक पहुंचने हेतु) के लिए व्यय की गई राशि की 50% प्रतिपूर्ति, अधिकतम 5 करोड़ रूपये की सीमा तक प्रदान की जायेगी।

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प्रायवेट फ्रीट टर्मीनल,गति शक्ति कार्गो टर्मिनल,कंटेनर फ्रीट स्टेशन और एयर कार्गों कॉम्पलेक्स के निर्माण पर भी वित्तीय सहायता प्रदान की जायेगी। 5 से 10 एकड़ तक के क्षेत्र पर निर्माण पर अधिकतम 5 करोड़ रूपये, 10 से 50 एकड़ के क्षेत्र पर निर्माण पर अधिकतम 15 करोड़ रूपये और 50 एकड़ से अधिक क्षेत्र पर निर्माण पर अधिकतम 25 करोड़ रूपये की सहायता राशि प्रदाय की जायेगी।

कृषि वेयरहाउस से औद्योगिक वेयरहाउस में उन्नयन करने पर किये गये व्यय की 40% प्रतिपूर्ति, अधिकतम 1 करोड़ रूपये प्रदान किये जायेंगे। साथ ही परियोजना अंतर्गत बाह्य सड़क/रेल अधोसंरचना विकास (परियोजना स्थल तक पहुंचने हेतु) के लिए व्यय की गई राशि की 50% प्रतिपूर्ति, अधिकतम 3 करोड़ रूपये की सहायता प्रदान की जायेगी।

सामान्य प्रोत्साहन में वेयरहाउसिंग एवं लॉजिस्टिक गतिविधियों को कलेक्टर गाइड लाइन दर अनुसार अविकसित भूमि आवंटित करने के लिए प्रचलित भूमि प्रबंधन नियम में प्रावधान किया जायेगा। लॉजिस्टिक हब/पार्क की स्थापना के लिए भूमि के क्रय पर 100 प्रतिशत स्टाम्प शुल्क और पंजीकरण शुल्क (अधिकतम 5 करोड़ रूपये) की प्रतिपूर्ति की जाएगी। साथ ही अन्य गैर वित्तीय सहायता जैसे एक्जिम कार्गो के लिए ग्रीन चैनल का विकास, फास्ट-ट्रैक भवन अनुमति, सिंगल विडो सिस्टम, 24×7 निरंतर संचालन की अनुमति ग्राउंड कवरेज में रियायत लॉजिस्टिक और वेयरहाउसिंग अधोसंरचना को 70% तक के उच्च ग्राउंड कवरेज की अनुमति प्रदान की जायेगी।

म.प्र. सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन (सीजीडी) पॉलिसी नेटवर्क विकास एवं विस्तार नीति, 2025 की स्वीकृति

मंत्रि-परिषद द्वारा प्रदेश में सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन (सीजीडी) पॉलिसी नेटवर्क के विस्तार के लिए म.प्र. सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन (सीजीडी) पॉलिसी नेटवर्क विकास एवं विस्तार नीति, 2025 लागू किए जाने का निर्णय लिया गया। मध्यप्रदेश देश के अग्रणी राज्यों में सम्मिलित है जहां सीजीडी पॉलिसी लागू की जा रही है। मध्यप्रदेश में सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन (सीजीडी) पॉलिसी नेटवर्क के अंतर्गत् घरेलू उपयोग के लिए, वाणिज्यक एवं औद्यौगिक इकाइयों में पाईपलाईन के माध्यम से पाईप्ड नेचुरल गैस की आपूर्ति की जायेगी। सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन (सीजीडी) पॉलिसी नेटवर्क का उदेश्य घरों और उद्योगों के लिये स्वच्छ और किफायती ईंधन की उपलब्धता सुनिश्चित कराना है। सीएनजी गैस स्टेशन के माध्यम से वाहनों में ईधन के रूप में सीएनजी की आपूर्ति की जायेगी। यह ईंधन पेट्रोल एवं डीजल की अपेक्षा सस्ता होता है और इसमें प्रदूषण का स्तर कम होता है। इस पॉलिसी का उदेश्य राज्य में सीजीडी बुनियादी ढांचे का विकास एवं क्रियान्वयन शीघ्रतापूर्वक किया जाना है। इसके लिये सभी आवश्यक अनुमतियां समय-सीमा में उपलब्ध करा दिये जाने और भूमि आवंटन की प्रक्रिया का निर्धारण स्पष्ट किया गया है।

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नीति के माध्यम से घरों में स्वच्छ ईधन का उपयोग होने से महिलाओं का स्वास्थ्य बेहतर होगा साथ ही घरों में गैस सिलेण्डर के स्थान पर पाईप के माध्यम से घरेलू गैस उपलब्धता में सुविधा होगी। यह गैस सिलेण्डर में उपलब्ध गैस की अपेक्षाकृत सस्ती होगी, जिससे प्रदेश के विभिन्न परिवारों को आर्थिक लाभ के साथ ही जीवन स्तर में सुधार होगा। नीति के अंतर्गत् विभिन्न अनुमतियां सिंगल विण्डो सिस्टम के माध्यम से डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट से प्राप्त करने के लिए अधिकतम कार्य दिवस 60 दिन एवं पाईप लाईन विछाने की अनुमति के लिए अधिकतम कार्य दिवस 77 दिन निर्धारित किये गये हैं। प्रावधान ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के अंतर्गत् कारोबार करने में आसानी के लिए किये गये हैं। साथ ही पॉलिसी में सीएनजी वाहनों को बढावा देने के उद्देश्य से एक प्रतिशत जीवनकाल मोटरयान कर में छूट दी जायेगी। वाहनों का पंजीयन शुल्क यथावत् रहेगा। यह छूट पॉलिसी लागू होने के एक वर्ष तक लागू रहेगी।

प्रदेश को फिल्म पर्यटन अनुकूल राज्य बनाने के लिए फिल्म पर्यटन नीति 2025 की स्वीकृति

मंत्रि-परिषद ने प्रदेश को फिल्म पर्यटन अनुकूल राज्य बनाने और राज्य में फिल्म उद्‌योग के माध्यम से अधिकाधिक निवेश एवं रोजगार के अवसर उत्पन्न करने के उद्धेश्य से मध्यप्रदेश फिल्म पर्यटन नीति 2025 की स्वीकृति दी। मध्यप्रदेश फिल्म पर्यटन नीति 2025 के तहत समग्र सिनेमा उद्यो ग का विकास, स्थानीय प्रतिभाओं, क्षेत्रीय भाषाओं, महिलाओं के सशक्तिकरण और बुनियादी ढांचे के विकास को प्राथमिकता दी गयी है। नीति अंतर्गत फिल्म शूटिंग अनुमतियों को सिंगल विण्डो सिस्टम अंतर्गत किया जाकर पब्लिक सर्विस गारंटी एक्ट के तहत शामिल किया गया है। स्थानीय और जनजातीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए मालवी, बुंदेलखंडी, बघेलखंडी, निमाडी, गोंडी, भीली, कोरकू जैसी स्थानीय भाषाओं पर आधारित फिल्मों के लिए 10% अतिरिक्त अनुदान का प्रावधान किया गया है। बच्चों के सिनेमा को बढ़ावा देने के लिए बच्चों के विषयों पर आधारित फिल्मों के लिए विशेष अनुदान 10% दिया जायेगा। महिला केंद्रित फिल्मों के लिए 10% अतिरिक्त अनुदान की व्यवस्था की गयी हैं। क्षेत्रीय भाषाओं को प्रोत्साहन देने के लिए मराठी, बंगाली, आदि क्षेत्रीय भाषाओं मे फिल्म निर्माण पर 10% अतिरिक्त अनुदान प्रदान किया जायेगा। साथ ही ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक व्यक्तित्वों पर आधारित फिल्मों के लिए अतिरिक्त अनुदान, शॉर्ट फिल्मों के लिए वित्तीय सहायता, नवीन एकल सिनेमाघरों के निर्माण और मौजूदा सिनेमाघरों के उन्नयन के लिए विशेष अनुदान प्रावधान और राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त डॉक्यूमेंट्री फिल्मों के लिए अनुदान प्रदान किया जायेगा।

राज्य में फिल्म निर्माण को बढ़ावा देने तथा रोजगार एवं आर्थिक गतिविधियों में वृ‌द्धि एवं फिल्म निर्माण संबंधी अधोसंरचना निवेश को आकर्षित करने के लिए विशेष वित्तीय अनुदान प्रदान किये जायेंगे। फीचर फिल्म के लिए अनुदान अधिकतम रु. 2 करोड़ रूपये तक, वेब सीरीज के लिए अनुदान अधिकतम 1 करोड़ 50 लाख रूपये तक, टीवी-शो/सीरियल्स के लिए अनुदान अधिकतम 1 करोड़ रूपये तक, डॉक्युमेंट्री के लिए अनुदान अधिकतम 40 लाख रूपये तक, अंतर्राष्ट्रीय फिल्म के लिए अनुदान अधिकतम 1.3 मिलियन USD (INR 10 करोड़ रूपये तक) और शॉर्ट फिल्मों के लिए अधिकतम अनुदान 15 लाख रुपये तक प्रदान किया जायेगा। वित्तीय अनुदान तब दिया जायेगा जब कुल शूटिंग दिवसों में 75% शूटिंग दिवस मध्य प्रदेश में किया गया हो।

उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश को 2022 में ‘मोस्ट फिल्म-फ्रेंडली स्टेट का पुरस्कार प्राप्त हुआ है। पिछले 5 वर्षों में राज्य में 350 से अधिक फिल्म परियोजनाए सफलतापूर्वक पूर्ण हो चुकी हैं। अब तक 10 हिंदी फीचर फिल्मे 1 तेलुगु फीचर फिल्म और 4 वेबसीरीज को लगभग 21 करोड़ रुपये की वित्तीय अनुदान सहायता दी गई है। विगत वर्षों में प्रदेश में फिल्मांकित विभिन्न फिल्म परियोजनाओं दवारा राज्य में अनुमानित रूप से 700 करोड़ रुपये व्यय गये है और एक लाख पचास हजार से अधिक अस्थायी रोजगार दिवसो का सृजन हुआ है। भूल भुलैया-3. सिक्सर, लव की अरेंज मैरेज, गुल्लक, धड़क-2, स्त्री, पंचायत, कोटा फैक्ट्री, पोन्नियिन सेल्वन, सिटीडेल (हनी बन्नी), औरों में कहा दम था, डंकी, पटना शुक्ला, तिवारी, फुकरे 3, द रेलवे मेन, सेल्फी, लापता लेडीज, युद्ध, एवं जरा हटके जरा बचके जैसी प्रसिद्ध एवं लोकप्रिय फिल्म परियोजनाएं प्रदेश में फिल्मांकित हुई है।

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प्रदेश को सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गंतव्य के रूप मे स्थापित करने के लिए पर्यटन नीति 2025 की स्वीकृति

मंत्रि-परिषद द्वारा प्रदेश को सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गंतव्य के रूप मे स्थापित करने के लिए पर्यटन नीति 2025 की स्वीकृति दी है। इसका उद्धेश्य प्रदेश की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक एवं प्राकृतिक विरासत को वैश्विक पहचान दिलाना है। साथ ही पर्यटन स्थलों में विश्व स्तरीय अधोसरंचना का निर्माण कर पर्यटकों को अविस्मरणीय अनुभव प्रदान कराना हैं। नीति के अंतर्गत्‍गोल्फ, कन्वेंशन सेंटर, वेलनेस रिसोर्ट, क्रूज, अंर्तप्रदेशीय वायु सेवा, हेरिटेज होटल, रोप-वे, म्यूजियम, लाइट एंड साउंड शो आदि के निर्माण को प्रोत्साहन दिया जायेगा।

नीति अंतर्गत अल्ट्रा मेगा परियोजनाओं (निवेश 100 करोड़ रूपये से अधिक) को कलेक्टर गाइडलाइन दर पर 90 वर्षों के लिए उपलब्ध विभागीय भूमि का सीधा आवंटन किया जायेगा। राज्य में किसी भी स्थान पर पर्यटन परियोजनाओं के लिए 15% से 30% अधिकतम रुपये 90 करोड़ तक का पूंजी अनुदान प्रदाय किया जायेगा। इलेक्ट्रिक कूज को प्रोत्साहित करने के लिए 5% का अतिरिक्त अनुदान दिया जायेगा। दुर्गम दूरस्थ नवीन क्षेत्रों में पर्यटन परियोजनाओं की स्थापना पर 5% का अतिरिक्त अनुदान प्रदान किया जायेगा। मध्य प्रदेश पर्यटन बोर्ड में निवेश प्रोत्साहन सेल की स्थापना की गई है। पारदर्शी प्रक्रिया के माध्यम से निजी निवेशकों को लैंड पार्सल मार्ग सुविधा केन्द्रों और हेरिटेज संपतियों का आवंटन किया जायेगा। वाइल्ड लाइफ रिसॉर्टस के लिए विशेष अनुदान दिया जायेगा। पर्यटन सम्भावित अविकसित नवीन क्षेत्रों में निवेश कर पर्यटन परियोजनाएं स्थापित की जाएगी। नवीन पर्यटन सम्भावना वाले क्षेत्रों का विकास कर निजी निवेश का मार्ग प्रशस्त किया जायेगा।

निवेशक, पर्यटन परियोजनाओं की स्थापना के लिये विभिन्न विभागों से अनुमतियाँ/अनापत्ति समयसीमा में प्राप्त करने के लिए सिंगल विंडो सिस्टम से प्राप्त कर सकेंगे। पर्यटन परियोजनाओं की स्थापना के लिए आवश्यक अनुमतिया/अनापत्ति को समयसीमा के साथ नीति में अधिसूचित किया गया है। ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस की अवधारणा अंतर्गत अनुमतियां/अनापत्तियों को लोक सेवा गारंटी अधिनियम अंतर्गत लाया जायेगा। गोल्फ टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल अंतर्गत निजी निवेश को अनुबंध पर दिया जायेगा। निजी निवेशकों को गोल्फ टूरिज्म की स्थापना के लिए विभागीय भूमि में से अधिकतम 10 प्रतिशत भूमि का सब-लीज पर व्यवसायिक उपयोग करने की अनुमति दी जा सकेगी। आवंटित मार्ग सुविधा केन्द्र को कम हुई भूमि के बदले समतुल्य मूल्य की भूमि उपलब्ध करायी जा सकेगा। नर्मदाघाटी विकास प्राधिकरण, जल संसाधन विभाग, लोक निर्माण विभाग के रेस्ट हाऊस, गेस्ट हाऊस, डॉक बंगला, सर्किट हाऊस आदि को पर्यटन परियोजना की स्थापना के लिए निजी निवेशकों को लीज पर दिया जायेगा। स्टार्टअप उद्यमियों को निविदाओं में भाग लेने का अवसर प्राप्त होगा ।

शिवपुरी में विमान संचालन के लिए 292 एकड़ भूमि की स्वीकृति

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मंत्रि-परिषद द्वारा शिवपुरी स्थित शासकीय हवाई पट्टी में ATR-72 विमानों के संचालन के लिए भाविप्रा को 292 एकड़ भूमि की स्वीकृति दी गयी है। इसके लिए भूमि अधिग्रहित करने एवं मुआवजा राशि का भुगतान किये जाने का निर्णय लिया गया हैं।

उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश राज्य का शिवपुरी शहर एक ऐतिहासिक एवं पर्यटन की दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण है, जहाँ माधव एवं कूनो राष्ट्रीय उद्यान स्थित है। कूनों की पहचान देश ही नहीं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी है। शिवपुरी में काफी अधिक संख्या में देश-विदेश के पर्यटकों का आवागमन होता रहता है। शिवपुरी में विमान संचालन से पर्यटकों को आवागमन में सहुलियत होगीं।

पम्प हाईड्रो स्टोरेज परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिए योजना की स्वीकृति

मंत्रि-परिषद द्वारा “मध्यप्रदेश में पम्प हाईड्रो स्टोरेज परियोजनाओं के क्रियांवयन के लिए योजना 2025” को स्वीकृति दी है। उल्लेखनीय है कि सौर तथा पवन ऊर्जा स्त्रोतों से मिलने वाली ऊर्जा, स्थाई प्रकृति की नहीं होने के कारण पम्प हाइड्रो स्टोरेज परियोजनाओं का विकास महत्वपूर्ण है। देश में 96 हजार मेगावाट की क्षमता उपलब्ध है जिसके विरूद्ध वर्तमान में मात्र 8 पंप हाइड्रो स्टोरेज परियोजनाएं तैयार है। इस परियोजना मुख्यतः तीन प्रकार की होती है ऑन स्ट्रीम पीएसपी, सेमी ऑफ स्ट्रीम और ऑफ स्ट्रीम पीएसपी। पम्प हाइड्रो स्टोरेज परियोजना के साईट आवंटन के लिए चार श्रेणियां निर्धारित है।

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MP News: सम्पत्ति कर, जल प्रभार एवं अन्य उपभोक्ता प्रभार के अधिभार में छूट, नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने जारी किये निर्देश

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MP News: Exemption in surcharge of property tax, water charges and other consumer charges, Urban Development and Housing Department issued instructions

Bhopal: नगरीय प्रशासन एवं आवास विभाग ने वित्तीय वर्ष 2024-25 की अवधि में सम्पत्ति कर, जल प्रभार एवं अन्य उपभोक्ता प्रभार के अधिभार में उपभोक्ताओं को छूट देने का निर्णय लिया है। यह छूट उपभोक्ताओं को 31 मार्च 2025 तक ऑनलाइन भुगतान की दशा में की जायेगी। इस संबंध में विभाग ने नगर पालिक निगम, नगरपालिका परिषद और नगर परिषद को पत्र लिखकर निर्देश जारी किए हैं।

आयुक्त नगरीय प्रशासन एवं विकास ने बताया कि वर्ष 2024-25 वित्तीय वर्ष की कर वसूली 31 मार्च 2025 तक ही हो सकेगी। वर्तमान में 15वें वित्त आयोग की शर्तों के अनुसार प्रतिवर्ष सम्पत्ति कर की वसूली में राज्य की ग्रास स्टेट डॉमिस्टिक प्रोडक्ट (जीएसडीपी) की औसत वृद्धि के अनुरूप वृद्धि किया जाना अनिवार्य है। इस स्थिति को देखते हुए वृद्धि न किये जाने की स्थिति में संबंधित नगरीय निकायों को 15वें वित्त आयेाग के अनुदान से वंचित होना पड़ सकता है।

नगरीय निकायों को अपने क्षेत्र के उपभोक्ताओं को समस्त प्रकार के करों की वसूली नियत समय में किये जाने के लिये जागरूक करने के लिये कहा गया है। नागरिक इस संबंध में विस्तृत जानकारी अपने क्षेत्र के नगरीय निकाय के वार्ड कार्यालय से भी प्राप्त कर सकते हैं।

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Gwalior: ग्वालियर में आधी रात लोगों को डरा रही संदिग्ध ‘Stree’, दहशत में लोग

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Gwalior: Suspicious 'Stree' is scaring people at midnight in Gwalior, people are in panic

Gwalior: ग्वालियर थाना क्षेत्र के राजा की मंडी इलाके के लोग एक संदिग्ध महिला की वजह से दहशत में जी रहे हैं। दरअसल इलाके की गलियों में इन दिनों एक अनजान महिला आधी रात को घरों की डोर बेल बजाकर आराम से चली जाती है। इसके चलते लोग ठीक से सो भी नहीं पा रहे हैं और डरे हुए हैं।

संदिग्ध स्त्री से परेशान होकर लोगों ने जब सीसीटीवी की जांच की तो एक संदिग्ध महिला सफेद कपड़ों में पूरी तरह चेहरा ढकी हुई गली में लोगों के डोर बेल बजाती हुई दिखाई दी। सीसीटीवी में यह भी दिख रहा है कि उस महिला को देखकर जानवर भी भाग रहे हैं। इस कारण क्षेत्र में कई तरह की अफवाहें फैलने लगी हैं।

स्थानीय लोगों के अनुसार, डोर बेल बजने पर जब घर के अंदर से आवाज दी, तो महिला की ओर से कोई जवाब नहीं मिला। वह सिर्फ घंटी बजाकर आराम से आगे बढ़ जाती है। संदिग्ध महिला के सीसीटीवी के आधार पर पुलिस कार्रवाई में जुट गई है। पुलिस पता लगा रही है कि आखिरकार यह महिला कौन है और उसका मकसद क्या है?

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MP News: उज्जैन और शिवपुरी में नए हवाई अड्डे के विकास के लिए कार्यवाही तेज, मई 2026 से सरकार के हवाई बेड़े में शामिल होगा नया विमान

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MP News: Action accelerated for development of new airports in Ujjain and Shivpuri, new aircraft and helicopters will be added to the government's air fleet

Bhopal: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि प्रदेश में पर्यटन को नए आयाम प्रदान करने के लिए सहज हवाई यातायात (एयर कनेक्टिविटी) एक बुनियादी जरूरत है। हरसंभव तरीके से एयर कनेक्टिविटी बढ़ाएं, ताकि पर्यटक मध्यप्रदेश आकर यहां की समृद्ध ऐतिहासिक विरासतों का आसानी से अवलोकन कर सकें। इसके लिए आपसी सामंजस्य बेहद जरूरी है। विमानन विभाग, संस्कृति, पर्यटन और चिकित्सा विभाग के साथ मिलकर एयर कनेक्टिविटी बढ़ाने की दिशा में प्रयास करें। सरकार मध्यप्रदेश को क्षेत्रीय विमानन केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए हर जरूरी सुविधा और मदद मुहैया कराएगी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने मंगलवार को समत्व भवन (मुख्यमंत्री निवास) में विमानन विभाग की समीक्षा बैठक में यह निर्देश दिए।

मंत्रालय और सीएम हाउस के पास बनेंगे नए हेलीपैड

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि वीवीआईपी और वीआईपी मूवमेंट के दौरान यातायात रोकने से जनसामान्य को परेशानी होती है। इसलिए इस कठिनाई के स्थायी निदान के लिए मंत्रालय (वल्लभ भवन) और मुख्यमंत्री निवास के समीप ही नए हेलीपैड का निर्माण किया जाए। इससे समय की बचत भी होगी और सबकी कठिनाई भी दूर होगी। बैठक में मुख्य सचिव अनुराग जैन, मुख्यमंत्री कार्यालय में अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा, अपर मुख्य सचिव विमानन संजय कुमार शुक्ला, आयुक्त विमानन चंद्रमौली शुक्ला, उपसचिव डॉ. कैलाश बुंदेला, दिनेश सोनकेसरिया, कैप्टन विश्वास राय सहित विमानन विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

नए पायलटों की भर्ती करें- मुख्यमंत्री

बैठक में मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश में धार्मिक पर्यटन, मेडिकल टूरिज्म, सांस्कृतिक पर्यटन और जनजातीय संस्कृति से जुड़ाव के लिए होम स्टे प्रोत्साहन के रूप में सेल्फ फीलिंग/हीलिंग टूरिज्म की अपार संभावनाएं मौजूद हैं। उन्होंने विभागीय अधिकारियों को विमानन क्षेत्र में नए रोजगार सृजन की संभावनाओं के अनुरूप इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने और युवाओं के कौशल विकास के लिए पायलट-क्रू मेंबर्स के प्रशिक्षण संस्थानों में रोजगारपरक डिप्लोमा एवं डिग्री कोर्सेस चलाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश में बढ़ती विमानन आवश्यकताओं के लिए पायलटों की संख्या बढ़ाएं। नए पायलटों की भर्ती करें, उन्हें प्रशिक्षित भी करें।

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सतना एवं दतिया एयरपोर्ट का जल्द होगा लोकार्पण

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि सरकार सतना एवं दतिया एयरपोर्ट को भी शीघ्र ही लोकार्पित करने जा रही है। यह दोनों शहर धार्मिक पर्यटन के प्राचीन केन्द्र हैं। यहां एयरपोर्ट होने से प्रदेश में धार्मिक पर्यटन को और अधिक बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने विभागीय अधिकारियों को प्रदेश में उपलब्ध सभी इन एक्टिवेट हेलीपैड्स को जल्द से जल्द एक्टिवेट करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि एयर एम्बुलेंस और हेली सेवा का लाभ सबको मिले, इसके लिए सभी प्रयास किए जाएं।

उज्जैन और शिवपुरी में एयरपोर्ट के लिए भू-अधिग्रहण की कार्यवाही शुरू

मुख्यमंत्री डॉ. यादव को बताया गया कि उज्जैन और शिवपुरी में नए हवाई अड्डे के विकास के लिए भू-अधिग्रहण की कार्यवाही प्रारंभ की जा रही है। अधिकारियों ने यह भी बताया कि प्रदेश में ग्रेड-1 में उच्च क्षमता/व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य पाई गईं हवाई पट्टी में उज्जैन, सिंगरौली, सागर (ढ़ाना), नीमच, शिवपुरी, छिंदवाड़ा, मंडला, खण्डवा एवं रतलाम तथा ग्रेड-2 में बिरवा (बालाघाट), पचमढ़ी, गुना, खरगौ न, मंदसौर, सिवनी, सीधी, पन्ना, झाबुआ, शहडोल एवं उमरिया में उपलब्ध आकांक्षी हवाई पट्टियों के विकास एवं विस्तार के लिए भी कार्यवाही चल रही है।

सभी जिलों में करें हवाई पट्टियों और हेलीपेड का विकास

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मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश को क्षेत्रीय विमानन केंद्र बनाने के लिए और प्रदेश के हर जिले को देश-विदेश के हवाई यातायात से जोड़ने के लक्ष्य के लिए ही सरकार ने नवीन नागर विमानन नीति- 2025 लागू की है। इसके लिए सभी जिलों में हवाई अड्डे/हवाई पट्टियां/हेलीपैड विकसित किए जाएंगे। साथ ही कृषि एवं उद्योग क्षेत्र को गति प्रदान करने के लिए एयर कार्गो की सुविधाओं के विकास पर भी विशेष जोर दिया जाएगा। इससे प्रदेश के सामाजिक-आर्थिक विकास को तेज गति मिलेगी। उन्होंने कहा कि हवाई यात्रा के विस्तार से नागरिकों को आधुनिक, सस्ता, सुलभ, सुरक्षित और अनुकूल हवाई सफर का आनंद प्राप्त होगा। हम प्रदेश में नए पायलट प्रशिक्षण केंद्र भी स्थापित करेंगे, जिससे विमानन क्षेत्र में जरूरत के अनुसार प्रशिक्षित कार्यबल की पूर्ति हो सके और मध्यप्रदेश के युवाओं को रोजगार मिले।

सरकार के हवाई बेड़े में शामिल होगा नया विमान और हेलीकॉप्टर

अपर मुख्य सचिव विमानन शुक्ला ने बताया कि प्रदेश की नवीन नागर विमानन नीति-2025 के अच्छे परिणाम मिल रहे हैं। नई-नई एविएशन कंपनियों और प्रशिक्षण संस्थान प्रदेश से जुड़कर यहां अपनी सेवाओं का विस्तार करना चाह रहे हैं। उन्होंने बताया कि फिलहाल शासकीय बेड़े में कोई विमान उपलब्ध नहीं है। नवीन डबल इंजन जेट विमान क्रय करने के लिए निर्माता कंपनी को क्रय आदेश दिया जा चुका है। नया विमान मई 2026 तक उपलब्ध हो जाएगा। इसी प्रकार प्रदेश में नवीन डबल इंजन हेलीकॉप्टर की आपूर्ति के लिए निर्माता कंपनी से 6 मार्च 2025 को अनुबंध कर लिया गया है। नवीन हेलीकॉप्टर जनवरी 2027 सरकार को उपलब्ध हो जाएगा।

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Mauganj Violence: आदिवासियों के हमले में पुलिस ASI की मौत, तहसीलदार के हाथ-पैर तोड़े, बंधक युवक को भी मारा

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Mauganj Violence: Police ASI killed in attack by tribals, Tehsildar's hands and legs broken, hostage youth also killed

Mauganj Violence: मध्यप्रदेश के मऊगंज जिले में शनिवार को शाहपुरा थाना क्षेत्र के गड़रा गांव में आदिवासी परिवार ने एक युवक को बंधक बना लिया। सूचना पर शनिवार शाम को युवक को रेस्क्यू करने पहुंची पुलिस-प्रशासन की टीम पर आदिवासी परिवार और उनके साथ जुटी आस-पास के गांव की भीड़ ने हमला कर दिया। आरोपियों ने लाठी-डंडों और धारदार हथियार से मारकर पुलिस एएसआई रामचरण गौतम की हत्या कर दी। जबकि टीआई संदीप भारती के सिर पर गंभीर चोट आई है।

भीड़ के हमले में 8 अन्य पुलिसकर्मी भी घायल हैं। वहीं तहसीलदार हनुमना कुमारे लाल पनका के हाथ-पैर में फ्रैक्चर हैं। आदिवासियों की भीड़ ने बंधक युवक सनी द्विवेदी की भी हत्या कर दी। एसडीओपी अंकिता शूल्या और एसआई आरती वर्मा ने किसी तरह खुद को बचाते हुए गांव में ही एक कमरे में बंद कर लिया। सूचना पर अतिरिक्त पुलिस फोर्स पहुंची और हवाई फायरिंग करते हुए गांव के अंदर घुसी और बंधक बनी एसआई-एसडीओपी को बाहर लाई। बंधक युवक सनी द्विवेदी के शव और दूसरे घायलों को भी निकालकर हॉस्पिटल भेजा गया।

गांव में धारा 163 लगाई गई, भारी पुलिसबल की तैनाती

शाहपुरा थाना क्षेत्र के गड़रा गांव में भारी तनाव की स्थिति है। गांव में धारा 163 (आपातकालीन स्थिति में) लगाई गई है। यहां भारी पुलिस फोर्स तैनात है। घटना में गंभीर घायल शाहपुर थाना प्रभारी संदीप भारती, हनुमना तहसीलदार कुमारे लाल पनका, एएसआई जवाहर सिंह यादव, राम केवट, राम लखन मिश्रा को रीवा रेफर किया गया है। बताया जा रहा है कि शनिवार दोपहर करीब 1:30 बजे सनी द्विवेदी घूमते हुए आरोपियों के मोहल्ले में चला गया था। इसी दौरान अशोक कोल के परिवार वालों ने उसे पकड़कर बंधक बनाकर मारपीट की। जिसमें  उसकी मौत हो गई। सूचना पर पहुंची पुलिस-प्रशासन की टीम पर आरोपी परिवार और आसपास के गांव के आदिवासी समाज के करीब 250 लोगों ने प्राणघातक हमला कर दिया।

सड़क हादसे में आदिवासी युवक की मौत से जुड़ा है विवाद

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स्थानीय लोगों के मुताबिक मृतक सनी द्विवेदी के पिता रजनीश द्विवेदी के नाम पर गड़रा गांव में जमीन है। गांव का ही रहने वाला एक युवक अशोक कोल इसी जमीन को बटाईदारी पर लिया हुआ था। कुछ महीने पहले उसने द्विवेदी परिवार की जमीन के बगल में जमीन खरीद ली। लोगों का कहना है कि अशोक कोल के जमीन खरीदने से द्विवेदी परिवार उससे नाराज था। इस बीच अशोक कोल खरीदी हुई जमीन की रजिस्ट्री कराने हुनमना गया था। बाइक से लौटते समय भैंस से टकराकर अशोक कोल गंभीर रूप से घायल हो गया और बाद में उसकी मौत हो गई। लेकिन मृतक अशोक कोल के परिवार ने दुर्घटना को द्विवेदी परिवार की साजिश मानकर उनसे दुश्मनी ठान ली।

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MP News: मध्यप्रदेश में आज से शुरू हुई गेहूं की खरीदी, भोपाल में बनाए गए 60 सेंटर

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MP News: Wheat procurement started in Madhya Pradesh today, 60 centers set up in Bhopal

Bhopal: मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार ने शनिवार को गेहूं खरीदी की सरकारी नीति जारी की। इस दौरान सरकार ने बताया कि समर्थन मूल्य पर 15 मार्च यानी आज से 5 मई तक गेहूं खरीदी की जाएगी। आज से मध्य प्रदेश के इंदौर, उज्जैन, भोपाल और नर्मदापुरम संभागों से गेहूं की खरीदी शुरू होगी, जबकि बाकी के सभी संभागों से 17 मार्च से गेहूं की खरीदी की शुरुआत की जाएगी। किसानों को अपना गेहूं बेचने के लिए ऑनलाइन स्लॉट बुकिंग करनी होगी। यह सुविधा www.meuparjan.nic.in पर उपलब्ध होगी। बता दें कि पहले  1 मार्च से खरीदी शुरू होनी थी, लेकिन गेहूं की कटाई नहीं होने की वजह से सरकार ने खऱीदी की तारीख बढ़ाकर 15 मार्च कर दी थी।

किसानों को प्रति क्विंटल मिलेंगे 2600 रुपए

प्रदेश सरकार इस बार गेहूं पर 175 रुपए का अतिरिक्त बोनस दे रही है। जबकि गेहूं का समर्थन मूल्य 2425 रुपए प्रति क्विंटल है। इस तरह किसानों को एक क्विंटल गेहूं के 2600 रुपए मिलेंगे। खाद्य मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने बताया, प्रदेश में लगभग 80 लाख टन गेहूं उपार्जन अनुमानित है। इस उपार्जन पर समर्थन मूल्य की राशि 19 हजार 400 करोड़ रुपए और बोनस की राशि 1400 करोड़ रुपए का किसानों को भुगतान किया जाना संभावित है।

भोपाल में 60 सेंटरों पर होगी खरीदी

भोपाल में गेहूं की खरीदी के लिए कुल 60 केंद्र बनाए गए हैं। बैरसिया मंडी समेत प्रमुख गांवों में खरीदी केंद्र बनाए गए हैं। ताकि, किसानों को किसी प्रकार की परेशानी न हो। हालांकि, पहले दिन 20 सेंटरों के लिए 269 स्लॉट बुक हुए हैं। ऐसे में इन्हीं सेंटरों पर किसानों के आने का अनुमान है।

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