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Maharana Pratap: वीर शिरोमणी महाराणा प्रताप की पुण्यतिथि आज, देश कर रहा नमन
Maharana Pratap Death Anniversary: देश में राजपूत योद्धाओं की वीरता के एक से एक उदाहरण मौजूद हैं, लेकिन उसमें मेवाड़ के महाराणा प्रताप का स्थान सबसे ऊपर है। वीर शिरोमणी महाराणा प्रताप ने संख्याबल में कम होने के बावजूद कभी भी मुगलों की पराधीनता को स्वीकार नहीं किया। महाराणा का जन्म 4 मई 1540 को कुंभलगढ़ दुर्ग में हुआ था। उनकी मृत्यु 19 जनवरी 1597 मे चावंड में हुई थी। आज उनकी पुण्यतिथि पर पूरा देश अपने इस महान योद्धा को याद कर रहा है।
कुंभलगढ़ दुर्ग में हुआ महाराणा प्रताप का जन्म
मेवाड़ के राणा उदय सिंह द्वितीय और महारानी जयवंता बाई के सबसे बड़े बेटे प्रताप के एक महायोद्धा और युद्ध रणनीति कौशल में माहिर थे। उन्होंने बचपन में अपनी मां से ही युद्ध कौशल के गुण सीखे। उन्हें ‘कीका’ के नाम से पुकारा जाता था, जिसका मतलब बेटा होता है। भारत के इतिहास के सबसे शक्तिशाली योद्धा माने जाने वाले महाराणा प्रताप का कद 7 फुट 5 इंच का था। बताया जाता है कि वे अपने साथ 80 किलो का भाला और दो तलवार लेकर चलते थे, जिनका वजन 208 किलो का होता था। उनके एक वार से ही दुश्मन के घोड़े समेत दो टुकड़े हो जाया करते थे। महाराणा के कवच का वजन 72 किलो था।
योग्यता और वीरता के दम पर मिली गद्दी
प्रताप के पिता राणा उदय सिंह द्वितीय की अंतिम इच्छा के अनुसार उनकी सबसे चहेती रानी धीरबाई भटियाणी के पुत्र जगमाल को उनका उत्तराधिकारी घोषित किया गया। किंतु मेवाड़ के विश्वासपात्र चुडावत सामंतों में जगमाल सिंह को अयोग्य मानते हुए बगावत कर दी। उन्होंने प्रताप को गद्दी के लिए योग्य बताते हुए उन्हें मेवाड़ के 54वें शासक के तौर पर चुन लिया और इसके साथ ही प्रताप को महाराणा की उपाधि मिल गई। महाराणा प्रताप का सौतेला भाई जगमाल इसके विरोध में अकबर से जाकर मिल गया और उसे जहाजपुर की जागीर मिल गई।
आखिरी सांस तक अपराजेय योद्धा रहे महाराणा प्रताप
मेवाड़ के महाराणा प्रताप ने जीवनभर मुगलों के साथ संघर्ष किया। उनके बार-बार हमले झेले, लेकिन कभी भी उनकी अधीनता स्वीकार नहीं की। यहां तक की उन्हें संघर्ष के दिनों में जंगल-जंगल परिवार समेत भटकना पड़ा। भूख मिटाने के उन्होंने घास की रोटी भी खाई, लेकिन न तो धैर्य खोया और न ही अपने कुल की आन बान और शान से समझौता किया। वे महाराणा आजीवन अकबर को तुर्क कहकर ही बुलाते रहे। अकबर ने अपनी विशाल सेना के साथ 30 सालों तक लगातार महाराणा को जीतने की कोशिश की, लेकिन वो इसमें कामयाब नहीं हुआ। 19 जनवरी 1597 को जब महाराणा प्रताप का निधन हुआ, तब तक वे अपने मेवाड़ को बहुत सुरक्षित कर चुके थे।
हल्दी घाटी का युद्ध
इतिहास के पन्नों में 8 जून 1576 ईस्वी में हुआ हल्दीघाटी का युद्ध महाराणा प्रताप की वीरता की मिसाल के लिए काफी है। बता दें कि हल्दीघाटी एक दर्रा है, जो उदयपुर से करीब 40 किलोमीटर दूर स्थित है। यहां की मिट्टी हल्दी के रंग जैसी पीली है, इसलिए इसे हल्दीघाटी कहा जाता है। चार घंटे तक चले हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप और उनकी सेना के शौर्य के आगे लगभग तीन गुनी बड़ी अकबर की सेना टिक नहीं सकी। लेकिन मान सिंह के हाथी के सूंड पर बंधी एक तलवार से महाराणा के घोड़े चेतक का पैर जख्मी हो गया। जिससे महाराणा के सैन्य सलाहकारों ने उन्हें रणनीति के तहत युद्ध क्षेत्र से निकाल लिया, ताकि वे दोबारा ताकत जुटाकर हमला कर सकें। हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा की सेना के लगभग 1600 सैनिकों को शहादत मिली। जबकि मुगल सेना के 7000-8000 सैनिक मारे गए।
महाराणा के लिए वफादार चेतक ने दी प्राणों की आहुति
महाराणा प्रताप हल्दीघाटी के युद्ध क्षेत्र से अपने वफादार घोड़े पर सवार होकर निकल चुके थे। युद्ध के मैदान से कुछ किलोमीटर दूर जाने के बाद खून से लथपथ उनके घोड़े चेतक ने एक लंबी खाई पार करने के बाद दम तोड़ दिया। लेकिन तब तक वो महाराणा प्रताप के सुरक्षित स्थान पर पहुंचा चुका था। पीछा कर रहे मुगल सैनिक खाई को पार कर उनके पास तक पहुंचने में सफल नहीं हो पाए। हल्दीघाटी के युद्ध के बारे में कहा जाता है कि इसके रणक्षेत्र में कुछ घंटों में ही इतना खून बहा कि पीली मिट्टी खून से लाल हो गई। इस युद्ध में न तो अकबर की सेना जीत पाई और ना ही राणा हारे थे।
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Sandeshkhali: बच्चों की तरह आंसू बहा रहा शेख शाहजहां, BJP बोली- रेपिस्ट का स्वैग गायब हो गया
Kolkata: पश्चिम बंगाल के संदेशखाली कांड की गूंज पूरे देश में सुनाई दी। इस केस के मुख्य आरोपी और पूर्व टीएमसी नेता शेख शाहजहां के तेवर गिरफ्तारी के पहले ऐसे थे, कि उसे न तो कोर्ट का डर था और न ही केेंद्रीय एजेंसियों को वो कुछ समझ रहा था। लेकिन सीबीआई की कस्टडी में आते ही उसकी सारी हेकड़ी निकल गई है। शेख शाहजहां का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें वह बुरी तरह रोता नजर आ रहा है। भाजपा यानी भारतीय जनता पार्टी के नेता अमित मालवीय ने संदेशखाली केस के आरोपी और पूर्व टीएमसी नेता शेख शाहजहां का एक वीडियो साझा किया है, जिसमें वह बच्चे की तरह रोता नजर आ रहा है। बीजेपी आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर सात सेकेंड की क्लिप शेयर करते हुए लिखा, ‘ममता बनर्जी के पोस्टर बॉय, बलात्कारी का स्वैग गायब हो गया है।’
The swag has disappeared. Mamata Banerjee’s poster boy – rapist Sheikh Shahjahan is weeping like an inconsolable child. Criminal Anubroto Mondal is in jail. This is the fate that awaits the likes of Saokat Mollah, Jehangir Khan and others, who have unleashed a reign of terror… pic.twitter.com/IUYzcO03YZ
— Amit Malviya (मोदी का परिवार) (@amitmalviya) April 23, 2024
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LokSabha Election 2024: भाजपा ने जीती पहली सीट, सूरत से भाजपा प्रत्याशी मुकेश दलाल निर्विरोध जीते
LokSabha Election 2024: लोकसभा चुनाव के नतीजों के ऐलान से पहले ही भारतीय जनता पार्टी को खुशख़बरी मिल गई है। दरअसल, गुजरात की सूरत लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी मुकेश दलाल निर्विरोध निर्वाचित हो गए हैं। बता दें कि सूरत लोकसभा सीट पर भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशी समेत कुल 10 कैंडिडेट मैदान में थे। इसमें कांग्रेस प्रत्याशी नीलेश कुंभाणी का नामांकन रविवार को रद्द हो गया था। कुंभाणी के नामांकन प्रस्तावकों के हस्ताक्षर में प्रथम दृष्टया विसंगति होने के बाद उनका पर्चा रद्द कर दिया था।
#WATCH गुजरात: सूरत लोकसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार मुकेश दलाल ने निर्विरोध चुने जाने के बाद अपना विजयी प्रमाण पत्र प्राप्त किया।
कांग्रेस उम्मीदवार का फॉर्म रिटर्निंग ऑफिसर ने खारिज कर दिया और इस सीट के अन्य 8 उम्मीदवारों ने अपना नामांकन वापस ले लिया।#LokSabhaElections2024 pic.twitter.com/onwJQd61Ax
— ANI_HindiNews (@AHindinews) April 22, 2024
कांग्रेस प्रत्याशी नीलेश कुंभाणी का नामांकन रद्द होने के बाद कांग्रेस पार्टी के वैकल्पिक उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल करने वाले सुरेश पडसाला का नामांकन पत्र भी रद्द कर दिया था। नामांकन वापसी के आखिरी दिन सोमवार यानी आज बीएसपी कैंडिडेट प्यारे लाल भारती ने आज नामांकन वापस ले लिया। इसके अलावा 7 निर्दलीय कैंडिडेट ने भी अपना पर्चा वापस ले लिया। इस तरह सूरत लोकसभा सीट से भाजपा के मुकेश दलाल निर्विरोध निर्वाचित हो गए।
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LokSabha Election 2024: कांग्रेस पार्टी का चुनाव निशान हाथ का पंजा ईवीएम से गायब, जाने क्या है मामला?
LokSabha Election 2024:देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस का उत्तरप्रदेश में ये हाल हो गया है, कि कभी उसका मजबूत गढ़ रहे पूर्वांचल की 13 में से 12 सीट पर उसका कोई उम्मीदवार नहीं है। लोकसभा चुनाव के इतिहास में यह पहला मौका है, जब इन सीटों पर ईवीएम में कांग्रेस पार्टी का चुनाव निशान नहीं होगा। वाराणसी लोकसभा सीट को छोड़कर कांग्रेस ने पूर्वांचल की बाकी सीटों पर इंडी गठबंधन की अन्य सहयोगी पार्टियों को समर्थन दिया है और अपने प्रत्याशी चुनावी मैदान में नहीं उतारे हैं।
पूर्वांचल में वाराणसी और आसपास के तीन मंडलों में कुल 13 लोकसभा सीटें हैं। इनमें से ज्यादातर वह लोकसभा क्षेत्र हैं, जहां वर्षों तक कांग्रेस का एकतरफा वर्चस्व रहा है। पंडित कमलापति त्रिपाठी, त्रिभुवन नारायण सिंह, विश्वनाथ गहमरी, श्यामलाल यादव, मोहसिना किदवई, कल्पनाथ राय, रामप्यारे पनिका सरीखे सांसद इस क्षेत्र ने कांग्रेस को दिए हैं। कई सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवारों ने लगातार चार-पांच जीत भी हासिल की है। परिणाम चाहे जो भी रहा हो, कांग्रेस अब तक हर चुनाव में कोई न कोई प्रत्याशी जरूर उतारती रही है।
बता दें कि सपा सहित अन्य दलों से हुए गठबंधन के तहत कांग्रेस को पूरे यूपी में सिर्फ 17 सीटें मिली हैं। इसमें पूर्वांचल से सिर्फ वाराणसी लोकसभा सीट है। यहां से भाजपा प्रत्याशी व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ खुद कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय चुनाव मैदान में हैं।इसके अलावा चंदौली, रॉबर्ट्सगंज, जौनपुर, गाजीपुर, घोसी, बलिया, मछलीशहर, सलेमपुर, लालगंज, भदोही, मिर्जापुर, आजमगढ़ लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस ने सपा या अन्य सहयोगी दलाें को समर्थन दिया है।
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Lok Sabha Election 2024: पहले चरण की 102 सीटों पर हुआ 68.29% मतदान, सबसे ज्यादा लक्षद्वीप, सबसे कम बिहार में वोटिंग
Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 के लिए पहले चरण के लिए शुक्रवार को वोट डाले गए। 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की कुल 102 सीटों पर 68.29 फीसदी वोटिंग हुई। इसी के साथ 1,625 प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम में कैद हो गई। पिछली बार (2019) की तुलना में इस बार पहले चरण में 1.14% कम मतदान हुआ है। 2019 के लोकसभा चुनावों के पहले चरण में 69.43 फीसदी मतदान हुआ था।
पहले चरण में जिन सीटों पर आज मतदान हुआ है, उनमें मध्य प्रदेश की छह, छत्तीसगढ़ की एक, उत्तर प्रदेश की आठ, उत्तराखंड की सभी पांच, राजस्थान की 12, महाराष्ट्र की पांच, तमिलनाडु की सभी 39 सीट, असम और बिहार की चार-चार, पश्चिम बंगाल की तीन, मणिपुर, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश की दो-दो, मिजोरम और त्रिपुरा की एक-एक सीट शामिल है।
चुनाव आयोग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार सबसे ज्यादा लक्षद्वीप में 83.88% वोटिंग हुई है। जबकि सबसे कम 48..88% वोटिंग बिहार में हुई। लक्षद्वीप के बाद दूसरे नंबर पर त्रिपुरा में 81.62%, बंगाल में 80.55% और सिक्किम में 80.03% मतदान हुआ। पश्चिम बंगाल और मणिपुर में वोटिंग के दौरान हिंसा भी हुई है। छत्तीसगढ़ में बीजापुर के UBGL सेल ब्लास्ट में एक सीआरपीएफ जवान की शहादत हुई है। जबकि प्रेशर आईईडी ब्लास्ट में सीआरपीएफ के एक असिस्टेंट कमांडेंट घायल हुए हैं।
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Air India: इजराइल-ईरान तनाव के बीच एयर इंडिया का बड़ा फैसला, 30 अप्रैल तक सभी उड़ानों को रोका
Air India: इस्राइल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए एयर इंडिया ने तेल अवीव की अपनी सभी उड़ानों को 30 अप्रैल तक रोक दिया है। एयर इंडिया ने एक पोस्ट कर इस फैसले की जानकारी दी है। एयर इंडिया ने अपने पोस्ट में कहा कि मध्यपूर्व की स्थिति को देखते हुए तेल अवीव से आने-जाने वाली उड़ानों को हमने 30 अप्रैल 2024 तक निलंबित कर दिया है। स्थिति पर हमारी नजर है। हम अपने उन यात्रियों को सहायता प्रदान कर रहे हैं, जो पहले ही तेल अवीव आने-जाने के लिए बुकिंग कर चुके हैं। कंपनी ने कहा कि ग्राहकों और चालक दल की सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है।
Our flights to and from Tel Aviv will remain suspended until 30th April 2024, in view of the emerging situation in the Middle East. We are continuously monitoring the situation and are extending support to our passengers who have confirmed bookings for travel to and from Tel Aviv…
— Air India (@airindia) April 19, 2024
विदेश मंत्रालय भी जारी कर चुका है एडवाइजरी
ईरान के इजराइल पर 300 से ज्यादा मिसाइलों और ड्रोन्स से हमले के बाद भारत के विदेश मंत्रालय ने भी ईरान और इजराइल के लिए ट्रेवल एडवाइजरी जारी की थी। विदेश मंत्रालय ने भारतीयों को सलाह दी है कि अगली सूचना तक ईरान और इस्राइल की यात्रा न करें। विदेश मंत्रालय ने उन सभी भारतीयों से भी अनुरोध किया है, जो वर्तमान में ईरान और इस्राइल में रह रहे हैं। मंत्रालय ने कहा है कि इन देशों में रह रहे भारतीय तुरंत दूतावास से संपर्क करें और अपना पंजीकरण कराएं। मंत्रालय ने अनुरोध किया है कि वे अपनी सुरक्षा को लेकर सावधानी बरतें और सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करें। इसके अलावा, भारत ने अपने यहां के मजदूरों को इस्राइल भेजने का फैसला भी फिलहाल टाल दिया है। अप्रैल-मई में छह हजार निर्माण मजदूरों को इस्राइल भेजने की योजना थी।
इस्राइल ने ईरान पर किया पलटवार
शुक्रवार को इस्राइल ने ईरान पर मिसाइलों से हमला किया है। अमेरिका के शीर्ष अधिकारियों के हवाले से अमेरिकी मीडिया ने यह जानकारी दी है। ईरान के एयरबेस पर तेज धमाके की आवाज सुनी गई। ईरान की फारस न्यूज एजेंसी ने भी दावा किया है कि ईरान के शहर इस्फहान के एयरबेस में धमाके की आवाज सुनी गई है। हालांकि विस्फोट की वजह का अभी तक खुलासा नहीं हुआ है। गौरतलब है कि ईरान के कई परमाणु ठिकाने इस्फहान प्रांत में ही स्थित हैं। अमेरिकी मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, ईरान के हवाई क्षेत्र में कई फ्लाइट्स के मार्ग बदले गए हैं।
बीते दिनों ईरान ने बोला था इस्राइल पर हमला
बीते दिनों ईरान ने इस्राइल पर 300 से ज्यादा मिसाइलों और ड्रोन्स से हमला किया था। हालांकि ये मिसाइलें और ड्रोन्स इस्राइल की हवाई सुरक्षा को नहीं भेद पाईं थी। दरअसल, ईरान के दमिश्क स्थित दूतावास पर हमला हुआ था। इस हमले में ईरान की सेना के दो शीर्ष कमांडर्स समेत सात लोगों की मौत हुई थी। ईरान ने इस हमले का आरोप इस्राइल पर लगाया था। इसी हमले के जवाब में ईरान ने इस्राइल पर हमला किया था। हमले के बाद ईरान ने चेतावनी दी थी कि अगर इस्राइल ने उन पर हमला किया तो वे और ताकत के साथ पलटवार करेंगे।
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