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SC: बुलडोजर एक्शन के भविष्य पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट सुनाएगा फैसला, तय हो सकती है गाइडलाइन

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SC: Supreme Court will give its verdict on the future of bulldozer action on Wednesday, guidelines may be decided

Delhi: सुप्रीम कोर्ट बुधवार 13 नवंबर को देशभर में राज्य सरकारों द्वारा किए जा रहे बुलडोजर एक्शन को लेकर गाइडलाइन तय कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच सुबह 10:30 बजे अपना फैसला सुनाएगी। सुप्रीम कोर्ट में जमीयत उलेमा-ए-हिंद समेत कई याचिकाकर्ताओं ने बुलडोजर एक्शन के खिलाफ याचिका दाखिल की थी। इसी मामले पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट कल फैसला सुनाने वाला है।

सुनवाई के दौरान अवैध निर्माण को लेकर की थी सख्त टिप्पणी

बुलडोजर एक्शन पर पिछले दिनों  सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि लोगों की सुरक्षा सर्वोपरि है। ऐसे में सार्वजनिक जगहों पर अवैध निर्माण पर बुलडोजर एक्शन नहीं रुकेगा। चाहे वो धार्मिक स्थल ही क्यों ना हो। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कोई भी शख्स आरोपी या दोषी है। यह ध्वस्तीकरण का आधार नहीं हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने आरोपियों के घर पर बुलडोजर चलाए जाने पर रोक लगा दी थी।

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Manipur: मणिपुर के छह थाना क्षेत्रों में फिर से AFSPA लागू, जातीय हिंसा के चलते केंद्र सरकार का फैसला

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Manipur: AFSPA implemented again in six police station areas of Manipur, Central Government's decision due to caste violence

Manipur: मणिपुर में जारी जातीय हिंसा के बीच केंद्र सरकार ने छह थाना क्षेत्रों में फिर से सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम (अफस्पा) लागू कर दिया है। इस अधिनियम के तहत किसी क्षेत्र को ‘अशांत’ घोषित किया जाता है, जिससे सुरक्षा बलों को कुछ विशेषाधिकार मिलते हैं, जिससे उन्हें प्रभावी रूप से कार्रवाई करने में सुविधा मिलती है। इन क्षेत्रों में जिरिबाम भी शामिल है, जहां हाल ही में हिंसा हुई थी।

इन थाना क्षेत्रों दोबारा लागू हुआ अफस्पा

मणिपुर के हालातों को देखते हुए अफस्पा को जिन क्षेत्रों में फिर से लागू किया गया है, उनमें इंफाल पश्चिम जिले के सेकमई और लमसांग; इंफाल पूर्व जिले का लमसाई, जिरिबाम जिले का जिरिबाम; कांगपोकपी जिले का लेइमाखोंग; बिष्णुपुर जिले का मोइरंग क्षेत्र शामिल हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय की एक अधिसूचना में कहा गया कि यह फैसला लगातार जारी हिंसा और अस्थिर स्थिति को देखते हुए लिया गया है।

मणिपुर सरकार ने 19 थाना क्षेत्रों को अफस्पा से बाहर रखा था

मणिपुर सरकार ने एक अक्टूबर को राज्य के अधिकांश हिस्सों में अफस्पा लागू कर दिया था। हालांकि, उस समय 19 थाना क्षेत्रों को इससे बाहर रखा गया था, जिनमें ये छह थाना क्षेत्र भी शामिल थे। इसके बाद गृह मंत्रालय ने नई अधिसूचना में इन छह थाना क्षेत्रों को भी शामिल किया है। जिन 19 थाना क्षेत्रों को अफस्पा से बाहर रखा गया था, उनमें इंफाल, लंफाल, सिटी, सिंजामेई, सेकमई, लमसांग, पटसोई, वांगोई, पोरोमपट, हेइंगंग, लमलाई, इरिलबुंग, लेइमाखोंग, थौबल, बिष्णुपुर, नामबोल, मोइरांग, ककचिंग और जिरिबाम शामिल थे।

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मई 2023 में शुरु हुई हिंसा में अब तक मारे जा चुके 200 से ज्यादा लोग

राज्य में मई 2023 में जातीय हिंसा शुरू होने के बाद से अब तक 200 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और हजारों बेघर हो चुके हैं। हिंसा इंफाल घाटी में रहने वाले मेइती समुदाय और आसपास के पहाड़ी इलाकों में रहने वाले कुकी-जो समुदाय के बीच शुरू हुई थी। जिरिबाम जिला शुरू में इस संघर्ष से प्रभावित नहीं था। लेकिन जून 2024 में एक किसान का शव मिलने के बाद इस जिले में भी हिंसक झड़पें शुरू हुईं।

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Guidelines: कोचिंग सेंटर अब भ्रामक विज्ञापन के जरिए स्टूडेंट्स को नहीं कर सकेंगे गुमराह, दिशानिर्देश जारी

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Guidelines: Coaching centers will no longer be able to mislead students through misleading advertisements, guidelines issued

CCPA Guidelines: कोचिंग सेंटरों की ओर से जारी किए जाने वाले भ्रामक और गुमराह करने वाले विज्ञापनों पर रोक लगाने के लिए केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। CCPA की ओर से जारी गाइडलाइन का मुख्य उद्देश्य छात्रों को किसी भी प्रकार के धोखे से बचाना है, जो उन्हें विज्ञापनों के जरिए गुमराह करते हैं। अब इन दिशा-निर्देशों का पालन सभी कोचिंग सेंटरों के लिए अनिवार्य होगा। अगर कोई कोचिंग सेंटर इन नियमों का उल्लंघन करता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

इस तरह के विज्ञापन नहीं कर सकेंगे

प्रस्तावित पाठ्यक्रम, उनकी अवधि, संकाय योग्यता, शुल्क और धनवापसी नीतियां, चयन दर, सफलता की कहानियां, परीक्षा रैंकिंग और नौकरी की सुरक्षा के वादे. शिक्षण संस्थानों में गारंटी एडमिशन या प्रमोशन इस प्रकार के सभी विज्ञापनों पर अब रोक लगा दी गई है।

अपनी बढ़ा चढ़ा कर तारीफ नहीं कर सकेंगे कोचिंग सेंटर

कोचिंग सेंटर्स को अब अपने बुनियादी ढांचे, संसाधनों और सुविधाओं के बारे में सटीक रूप से बताना चाहिए, बढ़ा चढ़ा कर तारीफ नहीं कर सकेंगे।

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सफल छात्रों का नाम और फोटो बिना अनुमति इस्तेमाल पर रोक

कोचिंग में पढ़कर सफल हुए छात्रों की लिखित अनुमति के बिना, कोचिंग सेंटर उनके नाम फोटो या उनको मिले किसी भी तरह की सर्टिफिकेट को विज्ञापन में इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे और ये सहमति भी छात्र से तब ली जाएगी, जब एक बार उसका चयन किसी परीक्षा में हो चुका होगा। इसका मकसद छात्रों को एडमिशन के दौरान किसी भी तरह के पड़ने वाले दबाव से बचने का भी है।

विज्ञापनों में रखनी होगी पारदर्शिता

कोचिंग केंद्रों को विज्ञापन में सफल छात्र की फोटो के साथ-साथ नाम, रैंक और कोर्स जैसी महत्वपूर्ण जानकारी देनी होंगी। साथ ये भी बताना होगा कि सफल छात्र ने उस कोर्स के लिए कितना भुगतान किया। यह सारी जानकारी बड़े-बड़े अक्षरों में देनी होगी ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि छात्रों को बारीक प्रिंट से गुमराह न किया जाए।

इस तरह के विज्ञापनों पर भी रहेगी नजर

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कोचिंग सेंटर ऐसे विज्ञापनों को भी जारी करने से पहले पूरी पारदर्शिता बरतेंगे जिसमें छात्रों को कम सीट या कम समय की बात कहकर जल्द दाखिला लेने के लिए दबाव बनाने की कोशिश की जाती है।

कोचिंग सेंटर्स को राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन से जुड़ना होगा

हर कोचिंग सेंटर को राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन से जुड़ना होगा जिससे छात्रों के लिए भ्रामक विज्ञापनों और अनुचित व्यापार के तौर-तरीकों के बारे में जानकारी देना या शिकायत दर्ज कराना आसान हो जाएगा।

दिशा निर्देशों का उल्लंघन करने पर किस तरह की हो सकती है कार्रवाई

अगर कोई भी कोचिंग सेंटर इन दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के प्रावधानों के तहत कार्रवाई की जाएगी। केंद्रीय प्राधिकरण के पास दंड लगाने, जवाबदेही सुनिश्चित करने और इस तरह के भ्रामक तौर-तरीकों से होने वाली घटनाओं को रोकने सहित अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का पूरा अधिकार रहेगा। इन दिशा निर्देशों का मकसद छात्रों के शोषण को रोकने और यह सुनिश्चित करने का है कि छात्रों को झूठे वादों और झूठे प्रचारों की सहायता से गुमराह न किया जाए या फिर छात्रों के ऊपर कोचिंग संस्थान का प्रचार करने का अनुचित दबाव न डाला जा सके।

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अब तक कई कोचिंग सेंटर्स के खिलाफ हो चुकी है कार्रवाई

पिछले कुछ सालों के दौरान सीसीपीए ने कोचिंग केंद्रों के भ्रामक विज्ञापन के खिलाफ स्वतः संज्ञान लेते हुए कार्रवाई भी की है। मिली जानकारी के मुताबिक गुमराह करने वाले विज्ञापनों को लेकर अलग-अलग कोचिंग सेंटरों को 45 नोटिस जारी किए जा चुके हैं। इतना ही नहीं 18 कोचिंग संस्थानों पर 54 लाख 60 हजार का जुर्माना लगाया है और उन्हें भ्रामक विज्ञापन बंद करने का निर्देश भी दिया गया है।

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SC: बुलडोजर एक्शन से 15 दिन पहले देना होगा नोटिस, मनमानी कार्रवाई पर अधिकारी दंडित होंगे

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SC: Notice to be given 15 days before bulldozer action, officers will be punished for arbitrary action

Supreme Court:बुलडोजर एक्शन पर रोक लगाने की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर कोई शख्स आरोपी है तो केवल इस आधार पर उसका घर गिराना कानून का उल्लंघन है। कोर्ट ने कहा कि जो सरकारी अधिकारी कानून को अपने हाथ में लेकर इस तरह के अत्याचार करते हैं, उन्हें जवाबदेही के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कार्यपालिका (सरकारी अधिकारी) किसी व्यक्ति को दोषी नहीं ठहरा सकती और न ही वह जज बन सकती है, जो किसी आरोपी की संपत्ति तोड़ने पर फैसला करे।

कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर किसी व्यक्ति को अपराध का दोषी ठहराने के बाद उसके घर को तोड़ा जाता है, तो यह भी गलत है, क्योंकि कार्यपालिका का ऐसा कदम उठाना अवैध होगा और कार्यपालिका अपने हाथों में कानून ले रही होगी। कोर्ट ने कहा कहा कि आवास का अधिकार एक मौलिक अधिकार है और किसी निर्दोष व्यक्ति को इस अधिकार से वंचित करना पूरी तरह असंवैधानिक होगा।

बुलडोजर एक्शन से 15 दिन पहले देना होगा नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि किसी भी संपत्ति का विध्वंस तब तक नहीं किया जा सकता, जब तक उसके मालिक को पंद्रह दिन पहले नोटिस न दिया जाए। कोर्ट ने कहा कि यह नोटिस मालिक को रजिस्टर्ड डाक के जरिए से भेजा जाएगा और इसे निर्माण की बाहरी दीवार पर भी चिपकाया जाएगा। नोटिस में अवैध निर्माण की प्रकृति, उल्लंघन का विवरण और विध्वंस के कारण बताए जाएंगे। इसके अलावा, विध्वंस की प्रक्रिया की वीडियोग्राफी भी की जाएगी और अगर इन दिशा-निर्देशों का उल्लंघन होता है तो यह कोर्ट की अवमानना मानी जाएगी। वहीं  अधिकारियों को यह भी साबित करना होगा कि यह कदम उठाने का उनके पास एकमात्र विकल्प था।

इन मामलों में लागू नहीं होगा कोर्ट का आदेश

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बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी किए गए दिशा निर्देश सड़क, फुटपाथ, रेलवे लाइन या जल निकाय पर अनाधिकृत कब्जे पर लागू नहीं होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “हम साफ करते हैं कि ये निर्देश उन मामलों में लागू नहीं होंगे, जहां सड़क, गली, फुटपाथ, रेलवे लाइन से सटे या किसी नदी या जल निकाय जैसे किसी सार्वजनिक स्थान पर कोई अनाधिकृत संरचना है।” इसके अलावा कोर्ट ने आगे कहा कि आज का फैसला उन मामलों में भी लागू नहीं होंगा, जहां न्यायालय द्वार ध्वस्तीकरण का आदेश दिया गया है।

अधिकारियों को करना होगा इन दिशानिर्देशों का पालन

1. यदि ध्वस्तीकरण का आदेश पारित किया जाता है, तो इस आदेश के विरुद्ध अपील करने के लिए समय दिया जाना चाहिए

2. बिना कारण बताओ नोटिस के ध्वस्तीकरण नहीं।

3. मालिक को पंजीकृत डाक द्वारा नोटिस भेजा जाएगा और संरचना के बाहर चिपकाया जाएगा।

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4.नोटिस से 15 दिनों का समय नोटिस तामील होने के बाद का होगा।

5.तामील होने के बाद कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट द्वारा सूचना भेजी जाएगी।

6.कलेक्टर और डीएम नगरपालिका भवनों के ध्वस्तीकरण आदि के प्रभारी नोडल अधिकारी नियुक्त करेंगे।

7.नोटिस में उल्लंघन की प्रकृति, व्यक्तिगत सुनवाई की तिथि और किसके समक्ष सुनवाई तय की गई है, निर्दिष्ट डिजिटल पोर्टल उपलब्ध कराया जाएगा, जहां नोटिस और उसमें पारित आदेश का विवरण उपलब्ध होगा।

8.प्राधिकरण व्यक्तिगत सुनवाई करेगा और सारे मिनट को रिकॉर्ड किया जाएगा

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9.आदेश डिजिटल पोर्टल पर प्रदर्शित किया जाएगा।

10.आदेश के 15 दिनों के भीतर मालिक को अनधिकृत संरचना को ध्वस्त करने या हटाने का अवसर दिया जाएगा और केवल तभी जब अपीलीय निकाय ने आदेश पर रोक नहीं लगाई है, तो विध्वंस स्टेप वाइज होंगे।

11.विध्वंस की कार्यवाही की वीडियोग्राफी की जाएगी। वीडियो को संरक्षित किया जाना चाहिए। उक्त विध्वंस रिपोर्ट नगर आयुक्त को भेजी जानी चाहिए।

12.सभी निर्देशों का पालन किया जाना चाहिए और इन निर्देशों का पालन न करने पर अवमानना और अभियोजन की कार्रवाई की जाएगी।

13.अधिकारियों को मुआवजे के साथ ध्वस्त संपत्ति को अपनी लागत पर वापस करने के लिए उत्तरदायी ठहराया जाएगा।

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14.सर्वोच्च अदालत ने कहा कि इस मामले का सभी मुख्य सचिवों को निर्देश दिए जाने चाहिए।

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Manipur: सीआरपीएफ का बड़ा एक्शन, कैंप पर हमला करने वाले 11 कुकी उग्रवादी ढेर

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Manipur: Big action by CRPF, 11 Kuki militants who attacked the camp killed

Manipur:मणिपुर में सीआरपीएफ ने जिरीबाम के बोरो बेकरा स्थित CRPF कैंप पर हमला करने वाले 11 कुकी उग्रवादियों को मुठभेड़ में मार गिराया है। वहीं इस मुठभेड़ में सीआरपीएफ के एक जवान के भी घायल होने की सूचना है, जिसे इलाज के लिए एयरलिफ्ट किया गया है। सूत्रों के मुताबिक सोमवार दोपहर करीब 3:30 बजे कुकी उग्रवादियों ने जिरीबाम के बोरोबेकरा स्थित सीआरपीएफ कैंप पर हमला कर दिया। जिसके बाद जवाबी कार्रवाई में 11 उग्रवादी मारे गए। बता दें कि पिछले साल मई से इंफाल घाटी में मैतेई और कुकी लोगों के बीच जातीय हिंसा में 200 से अधिक लोग मारे गए हैं और हजारों लोग बेघर हो गए हैं।

भारी मात्रा में हथियार बरामद

मारे गए उग्रवादियों के पास से 4 एसएलआर (Self Loaded Rifle), 3 एके-37, एक आरपीजी (Rocket-Propelled Grenade) समेत भारी मात्रा में अन्य हथियार बरामद किए गए हैं। इस मुठभेड़ से पहले मणिपुर के डीजीपी राजीव सिंह ने कहा कि वे राज्य में शांति और सामान्य स्थिति चाहते हैं। उन्होंने कहा कि यह बहुत चुनौतीपूर्ण समय है और वे इसे सर्वोत्तम संभव ताकत के साथ निपटने की कोशिश कर रहे हैं।

सुरक्षाबलों की कार्रवाई लगातार जारी

मणिपुर के पहाड़ी और घाटी जिलों में पिछले तीन दिनों के भीतर तलाशी अभियान के दौरान सुरक्षा बलों ने कई हथियार, गोला-बारूद और आईईडी जब्त किए हैं। असम राइफल्स ने सोमवार को एक बयान में कहा गया है कि शनिवार को असम राइफल्स और मणिपुर पुलिस की एक संयुक्त टीम ने चुराचांदपुर जिले के एल खोनोमफाई गांव से सटे जंगल में एक अभियान के दौरान एक .303 राइफल, दो नौ एमएम पिस्तौल, छह 12 सिंगल बैरल राइफल, एक .22 राइफल, गोला-बारूद और अन्य युद्ध संबंधी सामान जब्त किया। असम राइफल्स और मणिपुर पुलिस के एक अन्य अभियान में एक 5.56 मिमी इंसास राइफल, एक प्वाइंट 303 राइफल, दो एसबीबीएल बंदूकें, दो 0.22 पिस्तौल, दो इंप्रोवाइज्ड प्रोजेक्टाइल लांचर, ग्रेनेड, गोला-बारूद भी जब्त किया गया।

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SC: ‘कोई भी धर्म प्रदूषण को बढ़ावा नहीं देता’, पटाखों पर प्रतिबंध को लेकर SC की फटकार

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SC: 'No religion promotes pollution', SC rebukes ban on firecrackers

Delhi: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को पटाखों पर प्रतिबंध के उसके आदेश को गंभीरता से न लेने के लिए कड़ी फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने पटाखों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लागू नहीं किया, सिर्फ इसका दिखावा किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि आपने सिर्फ कच्चा माल जब्त करके महज दिखावा किया। पटाखों पर प्रतिबंध को गंभीरता के साथ लागू नहीं किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने उसके आदेश के पूर्ण पालन के लिए स्पेशल सेल बनाने का निर्देश दिया। साथ ही यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया कि बिना लाइसेंस के कोई भी पटाखों का उत्पादन और उनकी बिक्री न कर सके।

‘कोई भी धर्म प्रदूषण को बढ़ावा नहीं देता’

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ‘ऐसा माना जाता है कि कोई भी धर्म किसी भी ऐसी गतिविधि को बढ़ावा नहीं देता, जो प्रदूषण को बढ़ाती है या लोगों की सेहत को नुकसान पहुंचाती है।’ जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की सदस्यता वाली पीठ ने कहा कि अगर पटाखे इसी तरह से फोड़े जाते रहे तो इससे नागरिकों का सेहत का मौलिक अधिकार प्रभावित होगा।

दिल्ली पुलिस कमिश्नर को हलफनामा दाखिल करने के निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर को एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिए, जिसमें ये बताने के लिए कहा गया है, कि उन्होंने पटाखों पर प्रतिबंध लगाने के लिए क्या-क्या कदम उठाए। अदालत ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के सभी राज्यों से भी ये बताने को कहा है कि उन्होंने प्रदूषण को कम करने के लिए क्या-क्या कदम उठाए। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से भी कहा कि वह हितधारकों से परामर्श के बाद 25 नवंबर से पहले पटाखों पर ‘स्थायी’ प्रतिबंध लगाने पर फैसला करे।

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