ख़बर छत्तीसगढ़
CG News: हायर प्रोफेशनल कोर्स में प्रवेश के समय मिलेगी एकमुश्त राशि, इस योजना के तहत मिलेगी सहायता

CG News(Raipur): छत्तीसगढ़ शासन द्वारा मुख्यमंत्री उच्च शिक्षा प्रोत्साहन छात्रवृत्ति योजना वर्ष-2023 को स्वीकृति प्रदान कर दी है। यह योजना आईआईटी, एम्स, आईआईएम, एनएलयू जैसे उच्च शिक्षा व्यावसायिक संस्थानों में प्रवेश लेने वाले निम्न आय वर्ग के प्रतिभावान विद्यार्थियों के प्रवेश को सुगम बनाने और उन्हें तात्कालिक सहायता देने के लिए शुरू की जा रही है।
मुख्यमंत्री उच्च शिक्षा प्रोत्साहन छात्रवृत्ति योजना में योजना का उद्देश्य छत्तीसगढ़ राज्य के प्रतिभावान निम्न आय वर्ग के विद्यार्थी जो उच्च व्यावसायिक शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश परीक्षा के माध्यम से चयन उपरांत इन संस्थानों में प्रवेश प्राप्त करने के लिए प्रारंभिक तैयारियों यथा-यात्रा व्यय, कपडे, आवास, भोजन, तात्कालिक फीस, दवाई आदि जैसे आवश्यक कार्यों के लिए राशि उपलब्ध नहीं होने से छात्र इन उच्च संस्थानों में प्रवेश से वंचित होने वालो को सहायता हेतु राशि प्रदान करना है।
योजना के अंतर्गत भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, भारतीय प्रबंध संस्थान, भारतीय विधि संस्थान जैसे संस्थानों के अलावा ऐसे सभी व्यवसायिक पाठ्यक्रम संचालित करने वाले शैक्षणिक संस्थान जो भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्तर के घोषित हो, नीट प्रवेश परीक्षा के माध्यम से, एमबीबीएस पाठ्यक्रम हेतु शासकीय संस्थान, जेईई प्रवेश परीक्षा के माध्यम से बी-टेक पाठ्यक्रम हेतु शासकीय एनआईटी, ट्रीपलआईटी संस्थान को शामिल किया गया है।
योजना में छात्रवृत्ति की राशि एकमुश्त होगी जो संस्थान में प्रवेश के समय विद्यार्थी की आवश्यकता के आधार पर प्रदान की जायेगी। यह राशि अधिकतम पचास हजार रूपये तक वार्षिक होगी। विद्यार्थी का संस्थान में प्रवेश उपरांत समस्त वैध व्यय का देयक प्रमाणित कर विभागाध्यक्ष कार्यालय को संस्थान में प्रवेश के एक माह के भीतर प्रस्तुत करना होगा। छात्रवृत्ति की राशि का दुरूपयोग करने या गलत जानकारी देने पर यह राशि विद्यार्थी एवं पालक से वसूली जाएगी तथा आवश्यकता पड़ने पर अन्य विधिक कार्यवाही भी की जाएगी।
पात्रता की शर्तें- विद्यार्थी छत्तीसगढ़ राज्य का मूल निवासी होना चाहिये। विद्यार्थी को छत्तीसगढ़ राज्य हेतु अधिसूचित अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग की सूची में शामिल होना चाहिये। विद्यार्थी को उपरोक्त अनुसार उल्लेखित संस्थान में चयन की पात्रता के साथ ही चयनित होने का प्रमाण-पत्र एवं प्रवेश लेने हेतु संस्था द्वारा जारी सूचना पत्र होना चाहिये।
आय सीमा- अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए पालक की वार्षिक आय रूपये 2.50 लाख रूपए से अधिक नहीं होना चाहिये। शासकीय सेवकों के आश्रित इस योजना के पात्र नहीं होगें किन्तु चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के बच्चे इस योजना का लाभ ले सकेंगे।
चयन की प्रक्रिया- योजना का लाभ लेने हेतु विद्यार्थी को योजना के साथ संलग्न निर्धारित प्रपत्र में आवेदन करना होगा। आवेदनों का परीक्षण इस हेतु गठित समिति द्वारा किया जायेगा। आवेदनों की संख्या अधिक होने पर राष्ट्रीय संस्थानों के महत्ता को ध्यान में रखते हुए छात्रवृत्ति की संख्या निर्धारित की जायेगी। समान प्रकृति के संस्थानों हेतु छात्रवृत्ति हेतु चयन के लिए प्रवेश परीक्षा के प्राप्तांक को प्राथमिकता देते हुए चयन की कार्यवाही की जायेगी तथा समान अंक की स्थिति में कक्षा 12वीं के प्राप्तांक के आधार पर प्राथमिकता दी जायेगी। मेरिट सूची पश्चात् नक्सल हिंसा से हुए अनाथ बच्चे, अन्य अनाथ बच्चे, विधवा के बच्चे, विकलांग बच्चों को इसी क्रम में प्राथमिकता देते हुए सूची तैयार की जायेगी।
आवेदनों के परीक्षण के लिए राज्य स्तरीय समिति- प्राप्त आवेदनों का राज्य स्तरीय समिति के द्वारा परीक्षण किया जायेगा। इस समिति में आयुक्त/संचालक, आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग अध्यक्ष होंगे तथा आयुक्त, उच्च शिक्षा विभाग, संचालक, चिकित्सा शिक्षा विभाग, संचालक, तकनीकी शिक्षा विभाग, वित्त अधिकारी, आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग सदस्य होंगे। योजना प्रभारी अधिकारी सदस्य सचिव पर समिति का दायित्व होगा कि योजना के प्रावधान अनुसार आवेदन पत्रों का परीक्षण के बाद पात्रता का निर्धारण कर बजट सीमा के अंतर्गत अनुशंसा के साथ प्रस्तुत करेगी।
स्वीकृति एवं भुगतान की प्रक्रिया- समिति द्वारा चयन सूची के आधार पर जिस जिले का विद्यार्थी मूल निवासी होगा उस जिले के सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास को राशि आवंटित की जायेगी। जिला स्तर पर सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास एवं चयनित विद्यार्थी के साथ रायुक्त बैंक खाता खोला जायेगा एवं उसमें राशि हस्तांतरित की जायेंगी। विद्यार्थी द्वारा संस्थान में प्रवेश लेने के पूर्व मदवार राशि की आवश्यकता सहायक आयुक्त को प्रस्तुत की जायेगी। इसके आधार पर सहायक आयुक्त द्वारा आवश्यक राशि का परीक्षण कर तत्काल विद्यार्थी को सहायता उपलब्ध करायेंगे एवं चयनित संस्थान में प्रवेश पश्चात् विद्यार्थी विभिन्न खर्ची का विवरण प्रमाणित कर सहायक आयुक्त को प्रस्तुत करेगा। यदि चयनित विद्यार्थी द्वारा स्वयं का व्यय कर चयनित संस्थान में प्रवेश प्राप्त कर लिया हो तो विद्यार्थी द्वारा खर्चों का विवरण देयक सहित प्रस्तुत करने पर सहायक आयुक्त द्वारा परीक्षण उपरांत उसकी प्रतिपूर्ति संबंधित विद्यार्थी को की जायेगी।
आवेदन की प्रक्रिया- इस योजनांतर्गत दर्शित संस्थानों में प्रवेश के लिए आर्थिक सहायता प्राप्त करने हेतु संबंधित संस्थान में प्रवेश की सूचना प्राप्त होते ही विद्यार्थी को निर्धारित आवेदन पत्र में आवेदन कर एवं उससे संबंधित अभिलेख संलग्न कर 15 दिवस के अंदर आयुक्त/संचालक आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास, इंद्रावती भवन, नवा रायपुर को प्रस्तुत करना होगा।
ख़बर छत्तीसगढ़
Chhattisgarh: जनजातीय गौरव दिवस पर समूचे प्रदेश में 1 से 15 नवंबर तक मनाया जाएगा “जनजातीय गौरव पखवाड़ा”

Janjatiya Gaurav Diwas: भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय के निर्देशानुसार इस वर्ष 15 नवम्बर 2025 को धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में समूचे देश में “जनजातीय गौरव दिवस” भव्य रूप से मनाया जाएगा। इस अवसर पर 1 नवम्बर से 15 नवम्बर 2025 तक “जनजातीय गौरव पखवाड़ा” (Janjatiya Gaurav Pakhwada) का आयोजन किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के मार्गदर्शन में प्रदेश के सभी जिलों में प्रभारी मंत्री, सांसद, विधायक, जनप्रतिनिधि एवं प्रभारी सचिवों की उपस्थिति में विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। जिला स्तरीय समारोह में जनजातीय संस्कृति, लोककला, व्यंजन, हस्तशिल्प और विकास प्रदर्शनी के साथ-साथ भारत सरकार एवं राज्य सरकार की विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं का भी प्रदर्शन किया जाएगा।
कार्यक्रमों में शहीद वीर नारायण सिंह लोक कला महोत्सव एवं उत्तर छत्तीसगढ़ जनजातीय लोक नृत्य महोत्सव का आयोजन किया जाएगा। इसके साथ ही आश्रम-छात्रावासों, शासकीय संस्थानों और जनजातीय ग्रामों में प्रभातफेरी, जन-जागरूकता यात्राएँ, वृक्षारोपण, निबंध, वाद-विवाद एवं चित्रकला प्रतियोगिताएँ आयोजित की जाएँगी। जनजातीय नायक-नायिकाओं के जीवन और योगदान पर संगोष्ठियाँ भी होंगी।
इस पखवाड़े के दौरान विशेष लाभार्थी संतृप्ति शिविरों का आयोजन किया जाएगा, जिनमें आधार कार्ड, आयुष्मान कार्ड, जनधन खाता, सिकल सेल जांच, स्वास्थ्य परीक्षण, जाति प्रमाणपत्र वितरण, पीएम किसान सम्मान निधि एवं किसान क्रेडिट कार्ड जैसी सेवाएँ प्रदान की जाएँगी।
जिले के “आदि सेवा केन्द्रों” में भी गौरव दिवस का आयोजन किया जाएगा। जिला स्तरीय मुख्य कार्यक्रम में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिजनों, जनजातीय समुदाय के प्रमुखों, प्रतिभावान बच्चों एवं उत्कृष्ट कार्य करने वाले व्यक्तियों का सम्मान किया जाएगा। साथ ही पी.एम. जनमन, आदि कर्मयोगी तथा धरतीआबा योजनाओं से संबंधित लघु फिल्में प्रदर्शित की जाएँगी। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय का संदेश-पाठ (पाती वाचन) भी किया जाएगा।
जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर यह आयोजन प्रदेश के आदिवासी समाज की संस्कृति, परंपरा, संघर्ष और गौरवगाथा को नई पीढ़ी तक पहुँचाने का अवसर बनेगा।
“धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती हम सबके लिए गर्व और प्रेरणा का अवसर है। भगवान बिरसा मुंडा ने अपने अदम्य साहस, संघर्ष और त्याग से जनजातीय समाज को स्वाभिमान और स्वतंत्रता का संदेश दिया। जनजातीय गौरव पखवाड़ा न केवल हमारी सांस्कृतिक विरासत के उत्सव का प्रतीक है, बल्कि यह आदिवासी समाज के उत्थान, सम्मान और सशक्तिकरण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का भी प्रमाण है। मैं सभी प्रदेशवासियों से आग्रह करता हूँ कि वे इस पखवाड़े में उत्साहपूर्वक भाग लें और हमारी जनजातीय संस्कृति, परंपरा एवं मूल्यों को आगे बढ़ाने में अपनी सक्रिय भूमिका निभाएँ।”- मुख्यमंत्री विष्णु देव साय
ख़बर छत्तीसगढ़
Chhattisgarh: जशपुर जम्बुरी में पर्यटकों ने लिया ग्रामीण संस्कृति, रोमांच और आतिथ्य का अनूठा अनुभव

Jashpur: छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में आयोजित जशपुर जम्बुरी ने पर्यटन को नया आयाम देते हुए स्थानीय संस्कृति, प्रकृति और रोमांच को एक साथ जोड़ा है। जिला प्रशासन द्वारा 6 से 9 नवंबर तक आयोजित इस चार दिवसीय आयोजन में देशभर से आए पर्यटकों को जशपुर की सुन्दर वादियों, लोक संस्कृति और आतिथ्य का सजीव अनुभव प्राप्त हो रहा है।
ग्राम केरे में पर्यटकों के लिए आठ होम स्टे की सुविधा उपलब्ध कराई गई है, जहां मेहमानों को सभी आवश्यक सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। प्रशासन की इस पहल ने ग्रामीण पर्यटन को नई दिशा दी है और स्थानीय परिवारों को भी आर्थिक सशक्तिकरण का अवसर मिला है।
होम स्टे में ठहरे पर्यटक केवल अतिथि नहीं, बल्कि स्थानीय परिवारों के सदस्य बनकर रह रहे हैं। वे जशपुर की जीवनशैली, खान-पान और परंपराओं को नजदीक से महसूस कर रहे हैं। पर्यटकों ने कहा कि “होम स्टे में रहना होटल से कहीं बेहतर अनुभव है। यहां की सादगी, आत्मीयता और घरेलू भोजन ने मन मोह लिया।”
होम स्टे की यह अवधारणा स्थानीय जीवन से सीधा जुड़ाव प्रदान करती है। यहाँ पर्यटक घरेलू वातावरण में रहकर न केवल स्थानीय संस्कृति और भाषा को समझते हैं, बल्कि परंपरागत छत्तीसगढ़ी व्यंजनों का स्वाद भी लेते हैं। यह मॉडल होटल की तुलना में अधिक किफायती होने के साथ-साथ व्यक्तिगत और पारिवारिक वातावरण भी प्रदान करता है।
भारत के कई राज्यों — हिमाचल, उत्तराखंड, केरल, सिक्किम और असम — की तरह अब छत्तीसगढ़ भी होम स्टे आधारित ग्रामीण पर्यटन के नए दौर में प्रवेश कर चुका है। जशपुर की पहाड़ियाँ और हरियाली इस अवधारणा को और अधिक आकर्षक बनाती हैं।
जशपुर जम्बुरी में रोमांच प्रेमियों के लिए भी विशेष आकर्षण रहा। देशदेखा क्षेत्र में लगभग 120 पर्यटकों ने रॉक क्लाइंबिंग का रोमांचक अनुभव लिया, जो पूरी सुरक्षा और विशेषज्ञों की निगरानी में संपन्न हुआ। पर्यटक हरी-भरी वादियों के बीच एडवेंचर और सुकून दोनों का आनंद ले रहे हैं।
पहले दिन पंजीकृत पर्यटकों को जशपुर की पारंपरिक शैली में दोना-पत्तल में भोजन परोसा गया। दिनभर की गतिविधियों के बाद संध्या बेला में पर्यटक लोक कलाकारों के साथ झूमते नजर आए। चांदनी रात और संगीत की स्वर-लहरियों ने माहौल को उत्सवमय बना दिया।
जशपुर जम्बुरी की विशेषता रही स्टार-गेजिंग सेशन, जिसमें पर्यटकों ने खुले आसमान के नीचे तारों को निहारते हुए प्रकृति की अद्भुत सुंदरता का अनुभव किया। लोक कलाकारों के गीत, नृत्य और चांदनी की उजास ने कार्यक्रम को अविस्मरणीय बना दिया।
जिला प्रशासन द्वारा निवास, भोजन, सुरक्षा और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की सुदृढ़ व्यवस्था ने जशपुर जम्बुरी को एक आदर्श ग्रामीण-पर्यटन उत्सव बना दिया है। इस आयोजन से न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को बल मिला है, बल्कि जशपुर को “प्रकृति, संस्कृति और एडवेंचर का संगम” के रूप में राष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर नई पहचान मिली है।
ख़बर छत्तीसगढ़
Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ की फिजा में गूंजा राष्ट्र गीत, वंदे मातरम् के 150वें स्मरणोत्सव का अवसर बना खास

Raipur:‘वंदे मातरम्’ राष्ट्रगीत की 150वीं वर्षगांठ के अवसर पर आज देशभर में विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इस ऐतिहासिक दिन को छत्तीसगढ़ में भी बड़े उत्साह और गर्व के साथ मनाया गया। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने मंत्रालय महानदी भवन में वरिष्ठ अधिकारियों एवं कर्मचारियों के साथ सामूहिक रूप से ‘वंदे मातरम्’ का गायन किया। इस अवसर पर सभी ने “वंदे मातरम्” के उद्घोष के साथ आज़ादी की राष्ट्रीय चेतना का पुण्य स्मरण किया और अमर बलिदानियों को नमन किया। मुख्यमंत्री साय ‘वंदे मातरम्’ की 150वीं वर्षगांठ पर नई दिल्ली में आयोजित स्मरणोत्सव में वर्चुअली शामिल हुए और प्रधानमंत्री का उद्बोधन भी सुना।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संदेश में कहा कि वंदे मातरम् मां भारती की साधना और आराधना की प्रेरक अभिव्यक्ति है। उन्होंने कहा कि ‘वंदे मातरम्’ के सामूहिक गान का एक प्रवाह, एक लय और एक तारतम्य हृदय को स्पंदित कर देता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘वंदे मातरम्’ का मूल भाव मां भारती है — यह भारत की शाश्वत संकल्पना, स्वतंत्र अस्तित्व-बोध और सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘वंदे मातरम्’ भारत की आज़ादी का उद्घोष था, जिसने गुलामी की बेड़ियों को तोड़ने और स्वाधीन भारत के स्वप्न को साकार करने की प्रेरणा दी। स्वतंत्रता आंदोलन में यह गीत क्रांतिकारियों की आवाज़ बना और यह केवल प्रतिरोध का स्वर नहीं, बल्कि आत्मबल जगाने वाला मंत्र बन गया। पीएम मोदी ने कहा कि ‘वंदे मातरम्’ में भारत की हजारों वर्षों पुरानी सभ्यता, संस्कृति और समृद्धि की कहानी समाहित है। विदेशी आक्रमणों और अंग्रेज़ों की शोषणकारी नीतियों के बीच ‘वंदे मातरम्’ ने समृद्ध भारत के स्वप्न का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि आज दुनिया भारत के नए स्वरूप का उदय देख रही है, जो अपनी परंपरा, आध्यात्मिकता और आधुनिकता के समन्वय से आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘वंदे मातरम्’ आज भी उतना ही प्रासंगिक है, जितना स्वतंत्रता संग्राम के समय था, और यह गीत सदैव हमारे हृदयों में अमर रहेगा।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने राष्ट्रगीत की 150वीं वर्षगांठ के अवसर पर प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं दीं और कहा कि यह गीत मातृभूमि के प्रति अगाध प्रेम, कृतज्ञता और राष्ट्रधर्म की भावना का शाश्वत प्रतीक है। उन्होंने कहा कि आज प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पूरे देश ने एक स्वर में ‘वंदे मातरम्’ का सामूहिक गायन कर मातृभूमि की वंदना की है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम्’ के वर्षभर चलने वाले स्मरणोत्सव का आज माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी द्वारा राष्ट्रव्यापी शुभारंभ इस कालातीत रचना के 150 वर्ष पूरे होने का गौरवपूर्ण अध्याय है। इस अवसर पर वंदे मातरम् के सामूहिक गायन के साथ ही माननीय प्रधानमंत्री द्वारा स्मारक सिक्के का जारी होना एक ऐतिहासिक स्मृति है। बंकिमचंद्र चटर्जी द्वारा रचित वंदे मातरम् गीत भारत के स्वतंत्रता आंदोलन की प्रेरणा रहा है, जिसने सदैव राष्ट्रीय गौरव, एकता और आत्मसम्मान की ज्योति प्रज्वलित की है। यह मातृभूमि की शक्ति, समृद्धि और दिव्यता का प्रतीक है, साथ ही भारत की एकता और आत्मगौरव की काव्यात्मक अभिव्यक्ति है।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि 7 नवंबर 1875 को बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने इस कालजयी रचना की सृष्टि की थी, जिसे बाद में उनके प्रसिद्ध उपन्यास ‘आनंद मठ’ में शामिल किया गया। मातृभूमि की स्तुति में रचा गया यह गीत स्वतंत्रता संग्राम के दौरान देशभक्ति की सबसे प्रबल प्रेरणा बना। अनेक क्रांतिकारियों ने “वंदे मातरम्” कहते हुए हँसते-हँसते अपने प्राण न्योछावर कर दिए। वंदे मातरम भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का प्रतीक बन गया।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि 1905 में बंगाल विभाजन के समय ‘वंदे मातरम्’ ने स्वदेशी आंदोलन को नई ऊर्जा दी। उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक यह गीत सांस्कृतिक एकता और राष्ट्रभक्ति का मंत्र बन गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘वंदे मातरम्’ सुनते ही हृदय में ऊर्जा, गर्व और देशभक्ति का संचार होता है। यह गीत हमें स्मरण कराता है कि हमारी भूमि, जल, अन्न और संस्कृति ही हमारी जीवनदायिनी शक्ति हैं। उन्होंने कहा, “यूरोप में भूमि को ‘फादरलैंड’ कहा जाता है, लेकिन भारत में हम अपनी भूमि को ‘मातृभूमि’ कहते हैं।” यह भाव रामायण के श्लोक “जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी” में प्रकट होता है। ‘वंदे मातरम्’ भी इसी भाव से जन्मा हमारा ध्येय-वाक्य है।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि इस पहल से भावी पीढ़ी को हमारे अतीत के संघर्षों और ‘वंदे मातरम्’ जैसी अमर रचनाओं की आज़ादी की लड़ाई में भूमिका के बारे में जानने का सुंदर अवसर मिलेगा। उन्होंने इस अवसर पर सभी नागरिकों से आह्वान किया कि वे विकसित भारत और विकसित छत्तीसगढ़ के निर्माण का संकल्प लें और इसे भारत माता तथा छत्तीसगढ़ महतारी को समर्पित करें।
कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने ‘वंदे मातरम्’ की 150वीं वर्षगांठ को समर्पित स्मारक सिक्का तथा डाक टिकट का विमोचन किया। साथ ही, इस अवसर पर ‘वंदे भारत पोर्टल’ (vandematram150.in) का शुभारंभ भी किया। इस पोर्टल के माध्यम से देशवासी अपनी आवाज़ में ‘वंदे मातरम्’ रिकॉर्ड कर इस ऐतिहासिक यात्रा से जुड़ सकते हैं। यह पहल लोगों को भारत की गौरवशाली विरासत का हिस्सा बनने का अवसर प्रदान करेगी।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने ‘वंदे मातरम्’ की 150वीं वर्षगांठ पर छायाचित्र प्रदर्शनी का किया शुभारंभ
मुख्यमंत्री साय ने आज मंत्रालय महानदी भवन में ‘वंदे मातरम्’ की 150वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित छायाचित्र प्रदर्शनी का शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री साय ने प्रदर्शनी का विस्तार से अवलोकन करते हुए ‘वंदे मातरम्’ के सृजन से लेकर इसके राष्ट्रीय चेतना के प्रतीक बनने तक की ऐतिहासिक यात्रा का अवलोकन किया। उन्होंने प्रदर्शनी को अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि यह भारत के गौरवशाली इतिहास और स्वतंत्रता संग्राम के दौर की अनेक अनकही कहानियों को उजागर करती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसी प्रदर्शनी नई पीढ़ी को देश की आज़ादी के मूल भाव और ‘वंदे मातरम्’ की प्रेरक भूमिका से परिचित कराती है। इस अवसर पर सांसद चिंतामणि महाराज, मुख्य सचिव विकास शील, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव सुबोध कुमार सिंह, संस्कृति विभाग के सचिव रोहित यादव, मुख्यमंत्री के सचिव राहुल भगत, मुकेश बंसल, पी. दयानंद, डॉ. बसवराजू एस. सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे।
ख़बर छत्तीसगढ़
‘वंदे मातरम्” के 150 वर्ष’: राष्ट्रगौरव और जनभागीदारी का वर्षभर चलने वाला उत्सव 7 नवंबर से होगा प्रारंभ

Raipur: वंदे मातरम्” की 150वीं वर्षगांठ पूरे देश के लिए गर्व और राष्ट्रभक्ति का अद्वितीय अवसर है। भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के मार्गदर्शन में इस ऐतिहासिक पर्व को वर्षभर चलने वाले महाअभियान के रूप में मनाया जा रहा है। देश के साथ छत्तीसगढ़ में भी यह आयोजन जनभागीदारी के साथ चार चरणों में ग्राम पंचायत से लेकर राज्य स्तर तक भव्य रूप में संपन्न किया जाएगा।
पहला चरण 7 नवम्बर से होगा प्रारंभ
वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूर्ण होने पर कार्यक्रम का शुभारंभ 7 नवम्बर 2025 को प्रधानमंत्री मोदी द्वारा किया जाएगा। यह राष्ट्रीय कार्यक्रम प्रातः 10 से 11 बजे तक दूरदर्शन पर प्रसारित होगा। प्रधानमंत्री के उद्बोधन के पश्चात पूरे देश में एक साथ वंदे मातरम् का सामूहिक गायन किया जाएगा। गीत के बोल और धुन पोर्टल vandemataram150.in पर उपलब्ध हैं।
चार चरणों में होगा वर्षभर आयोजन
कार्यक्रम चार चरणों में आयोजित होगा- प्रथम चरण 7 से 14 नवम्बर 2025, द्वितीय चरण 19 से 26 जनवरी 2026, तृतीय चरण 7 से 15 अगस्त 2026 (हर घर तिरंगा अभियान के साथ), और चतुर्थ चरण 1 से 7 नवम्बर 2026 तक चलेगा। इस दौरान राज्य के सभी जिलों, जनपदों, ग्राम पंचायतों, शैक्षणिक संस्थानों, कार्यालयों एवं सामाजिक संगठनों में राष्ट्रगीत के सामूहिक गायन के साथ विविध कार्यक्रम आयोजित होंगे।
जिलों में मंत्रीगण और जनप्रतिनिधियों की सहभागिता
राज्य के सभी जिलों में मंत्रीगण, सांसदगण, विधायकगण और जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में विशेष कार्यक्रम आयोजित होंगे।प्रत्येक जिले में स्थानीय कलाकारों, छात्रों, सामाजिक संस्थाओं और नागरिक समूहों की सहभागिता सुनिश्चित की जाएगी, ताकि यह अभियान एक जनआंदोलन का रूप ले सके।
विद्यालयों में विशेष गतिविधियाँ और रचनात्मक आयोजन
प्रदेश के सभी विद्यालयों, महाविद्यालयों और शिक्षण संस्थानों में “वंदे मातरम्” विषय पर विशेष सभाएँ, निबंध, वाद-विवाद, प्रश्नोत्तरी, पोस्टर निर्माण, एवं सांस्कृतिक प्रतियोगिताएँ होंगी। एनसीसी, एनएसएस, स्काउट-गाइड और स्कूल बैंड के माध्यम से वंदे मातरम से संबंधित संगीतमय प्रस्तुतियाँ दी जाएँगी। राज्य पुलिस बैंड भी सार्वजनिक स्थलों पर वंदे मातरम और देशभक्ति गीतों पर आधारित कार्यक्रमों से वातावरण को देशभक्ति के रंग में रंगेगा।
‘वंदे मातरम् ऑडियो-वीडियो बूथ’ एक अभिनव पहल
राज्यभर में सार्वजनिक-निजी भागीदारी के तहत “वंदे मातरम् ऑडियो-वीडियो बूथ” स्थापित किए जाएंगे। इनमें नागरिक अपनी आवाज़ में वंदे मातरम् गाकर उसे पोर्टल पर अपलोड कर सकेंगे। पोर्टल पर गीत की मूल धुन और बोल की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है। यह पहल लोगों को अपने तरीके से राष्ट्रप्रेम व्यक्त करने का अवसर देगी और आंदोलन को अधिक व्यक्तिगत और भावनात्मक बनाएगी।
“वंदे मातरम्” की 150वीं वर्षगांठ केवल एक स्मरणीय अवसर नहीं, बल्कि राष्ट्र की एकता, आत्मगौरव और मातृभूमि के प्रति समर्पण का जीवंत संदेश है। यह आयोजन छत्तीसगढ़ की नई पीढ़ी को भारत की सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ते हुए उनमें देशभक्ति, कर्तव्यनिष्ठा और राष्ट्रीय चेतना की भावना को और गहराई देगा। वंदे मातरम् केवल गीत नहीं, बल्कि भारत की आत्मा का स्वर है, जिसकी गूंज हर नागरिक के हृदय में नई ऊर्जा और गर्व का संचार करेगी। – मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय
ख़बर छत्तीसगढ़
Chhattisgarh Rajat Mahotsav 2025: उपराष्ट्रपति ने छत्तीसगढ़ के 34 अलंकरण से 37 विभूतियों एवं 4 संस्थाओं को किया सम्मानित

Raipur: उप राष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने आज नवा रायपुर में छत्तीसगढ़ राज्योत्सव के राज्य अलंकरण समारोह में छत्तीसगढ़ के 34 अलंकरण से विभिन्न क्षेत्रों से उत्कृष्ट योगदान देने वाले 37 विभूतियों एवं 4 संस्थाओं को सम्मानित किया। इस अवसर पर राज्यपाल रमेन डेका ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय अलंकरण समारोह के अति विशिष्ट अतिथि तथा विशिष्टि अतिथि के रूप में विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा, मंत्रीगण, सांसद एवं विधायकगण उपस्थित थे।
राज्य अलंकरण समारोह में उप राष्ट्रपति राधाकृष्णन एवं मुख्यमंत्री साय ने शहीद वीरनारायण सिंह पुरस्कार हिरेश सिन्हा जिला कांकेर को प्रदान किया। यति यतनलाल सम्मान भारतीय कुष्ठ निवारक संघ, कात्रे नगर सोठी जिला जांजगीर-चांपा, गुण्डाधूर सम्मान ज्ञानेश्वरी यादव राजनांदगांव, मिनीमाता सम्मान ललेश्वरी साहू दुर्ग, गुरूघासीदास सम्मान संयुक्त रूप से भुवनदास जांगड़े बेमेतरा एवं शशि गायकवाड़ बलौदाबाजार-भाटापारा, ठाकुर प्यारेलाल सिंह पुरस्कार प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति डोमा जिला धमतरी, हबीब तनवीर सम्मान डॉ. कुंज बिहारी शर्मा जिला रायपुर, महाराजा प्रवीरचंद भंजदेव सम्मान चांदनी साहू जिला बिलासपुर को प्रदान किया गया।
इसी प्रकार पंडित रविशंकर शुक्ल सम्मान राजेश अग्रवाल जिला रायपुर, पंडित सुंदरलाल शर्मा सम्मान डॉ. चिंतरंजन कर जिला रायपुर, चक्रधर सम्मान पंडित कीर्ति माधव लाल व्यास जिला दुर्ग, दाऊ मंदराजी सम्मान रिखी क्षत्रिय जिला दुर्ग, डॉ. खूबचंद बघेल कृषक रत्न पुरस्कार संयुक्त रूप से थनेन्द्र कुमार साहू जिला धमतरी एवं वामन कुमार टिकरिहा जिला बलौदाबाजार, महाराजा अग्रसेन सम्मान राजेन्द्र अग्रवाल राजू जिला बिलासपुर, चन्दूलाल चन्द्राकर स्मृति पत्रकारिता पुरस्कार प्रिंट मीडिया हिन्दी डॉ. संदीप कुमार तिवारी रायपुर एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया हिन्दी का पुरस्कार संयुक्त रूप से डॉ. सोमेश कुमार पटेल एवं अभिषेक शुक्ला रायपुर, मधुकर खेर स्मृति पत्रकारिता पुरस्कार प्रिंट मीडिया अंग्रेजी भावना पाण्डेय जिला दुर्ग, दानवीर भामाशाह सम्मान नीरज कुमार बाजपेयी जिला राजनांदगांव, धन्वन्तरि सम्मान डॉ. अजय कृष्ण कुलश्रेष्ठ, बिलासादेवी केंवट मत्स्य विकास पुरस्कार सुखदेव दास जिला रायपुर को प्रदान किया गया।
इसी तरह डॉ. भंवरसिंह पोर्ते आदिवासी सेवा सम्मान जंगो रायतार विद्या केतुल शिक्षण संस्था ग्राम दमकसा जिला कांकेर, रामानुज प्रताप सिंहदेव स्मृति श्रम यशस्वी पुरस्कार संयुक्त रूप से मिथलेश कुमार आदिल एवं अग्रसर टीम जिला दुर्ग तथा एनटीपीसी लिमि. लारा सुपर थर्मल पावर प्रोजेक्ट पुसौर जिला रायगढ़ , पंडित लखनलाल मिश्र सम्मान योगेश कुमार साहू जिला कांकेर, छत्तीसगढ़ अप्रवासी भारतीय सम्मान मनीष तिवारी जिला रायपुर, देवदास बंजारे स्मृति पंथी नृत्य पुरस्कार रोहित कुमार कोसरिया जिला महासमुंद, किशोर साहू सम्मान सुनील सोनी जिला रायपुर, लक्ष्मण मस्तुरिया सम्मान राकेश तिवारी जिला रायपुर, लाला जगदलपुरी साहित्य पुरस्कार डॉ. विनोद कुमार वर्मा जिला बिलासपुर, किशोर साहू राष्ट्रीय अलंकरण अनुराग बसु मुम्बई को प्रदान किया गया।
बैरिस्टर ठाकुर छेदीलाल सम्मान संयुक्त रूप से खेमचंद जैन राजनांदगांव, डॉ. सुरेश मणि त्रिपाठी, डॉ. भूपेन्द्र करवंदे एवं भरतलाल सोनी रायपुर को, वीरांगन अवंतिबाई लोधी स्मृति पुरस्कार प्रेमशीला बघेल महासमुंद को, माता बहादुर कलारिन सम्मान शिल्पा पाण्डेय सृष्टि जिला सरगुजा को, पंडित माधव राव सप्रे राष्ट्रीय रचनात्मकता सम्मान अवधेश कुमार नई दिल्ली तथा संस्कृत भाषा सम्मान डॉ. दादू भाई त्रिपाठी जिला रायपुर को प्रदान किया गया।
ख़बर देश15 hours agoSupreme Court: ‘सड़कों-हाइवे से आवारा पशुओं, स्कूलों, अस्पताल, बस स्टैंड से आवारा कुत्तों को हटाएं’
ख़बर छत्तीसगढ़6 hours agoChhattisgarh: जशपुर जम्बुरी में पर्यटकों ने लिया ग्रामीण संस्कृति, रोमांच और आतिथ्य का अनूठा अनुभव
ख़बर छत्तीसगढ़6 hours agoChhattisgarh: जनजातीय गौरव दिवस पर समूचे प्रदेश में 1 से 15 नवंबर तक मनाया जाएगा “जनजातीय गौरव पखवाड़ा”
ख़बर छत्तीसगढ़10 hours agoChhattisgarh: छत्तीसगढ़ की फिजा में गूंजा राष्ट्र गीत, वंदे मातरम् के 150वें स्मरणोत्सव का अवसर बना खास
ख़बर मध्यप्रदेश8 hours agoUjjain: महाकाल मंदिर विस्तारीकरण में तकिया मस्जिद ध्वस्त करने का फैसला सही, सुप्रीम कोर्ट से मुस्लिम पक्ष को झटका


















