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राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव एवं राज्योत्सव 2021 का भव्य शुभारंभ: भारत के कई राज्यों समेत 7 देशों के कलाकार हो रहे शामिल

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रायपुर:(National Tribal Dance Festival and Rajyotsava 2021)राजधानी रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान में ‘राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव’ एवं ’राज्योत्सव 2021’ का मुख्य अतिथि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दीप प्रज्जवलित कर भव्य शुभारंभ किया। समारोह की अध्यक्षता छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने की। साइंस कॉलेज मैदान में 28 अक्टूबर से एक नवंबर तक आयोजित होने वाले ‘राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव’ एवं ’राज्योत्सव 2021 समारोह में देश के 27 राज्यों और 6 केंद्र शासित प्रदेशों के कलाकारों के साथ ही 7 देशों नाइजीरिया, उजबेकिस्तान, श्रीलंका, यूगांडा, स्वाजीलैण्ड, मालदीव, फिलिस्तीन और सीरिया से आए विदेशी कलाकार अपनी छटा बिखेरेंगे।

समारोह के मुख्य अतिथि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भपूेश बघेल, पूर्व राज्य सभा सदस्य बी.के. हरिप्रसाद, यूगांडा और फिलिस्तीन के काउंसलर और अन्य अतिथियों ने गौर मुकुट और वाद्य यंत्र मांदर धारण कर इस महोत्सव में शामिल कलाकारों का उत्साह वर्धन किया।

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Ekta Diwas Parade 2025: एकता परेड में छत्तीसगढ़ की झांकी ने दिखाया विकास का नया मॉडल, प्रधानमंत्री मोदी हुए प्रभावित

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Ekta Diwas Parade 2025: Chhattisgarh's tableau showcased a new model of development at the Ekta Parade, leaving Prime Minister Modi impressed

Raipur: गुजरात के एकता नगर में सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती के अवसर पर आज आयोजित एकता परेड में इस वर्ष छत्तीसगढ़ की झांकी “बस्तर की धरती – संस्कृति, सृजन और प्रगति की गाथा” ने सभी का मन मोह लिया। यह झांकी छत्तीसगढ़ के जनजातीय जीवन, परंपराओं और विकास यात्रा का जीवंत प्रतीक बनकर उभरी। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने परेड में सम्मिलित सभी झांकियों का अवलोकन किया और विभिन्न राज्यों की सांस्कृतिक झलकियों की सराहना की। प्रधानमंत्री उपस्थिति में प्रदर्शित छत्तीसगढ़ की झांकी ने अपने सौंदर्य, प्रतीकात्मकता और सशक्त संदेश से सबका ध्यान आकर्षित किया।

Ekta Diwas Parade 2025: Chhattisgarh's tableau showcased a new model of development at the Ekta Parade, leaving Prime Minister Modi impressedEkta Diwas Parade 2025: Chhattisgarh's tableau showcased a new model of development at the Ekta Parade, leaving Prime Minister Modi impressed

झांकी के अग्रभाग में पारंपरिक वेशभूषा में सजे माड़िया जनजाति के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत गौर नृत्य ने बस्तर की आन-बान और सामूहिकता की भावना को सजीव कर दिया। उनके पास रखी पारंपरिक तुरही बस्तर के पर्वों की गूंज और लोक उल्लास की प्रतीक बनी। वहीं, नंदी का चित्रण बस्तर की गहरी लोक आस्था और शिव उपासना की परंपरा को अभिव्यक्त करता नजर आया।

झांकी के मध्य भाग में बस्तर के विकास और परिवर्तन की यात्रा को कलात्मक रूप में दर्शाया गया। कभी नक्सलवाद से प्रभावित यह क्षेत्र अब शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क और रोजगार के क्षेत्र में नई पहचान बना रहा है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार की जन-कल्याणकारी योजनाओं और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के मार्गदर्शन में बस्तर आज तेजी से बदलते भारत का प्रतीक बन चुका है। अब यहां बंदूक की नहीं, विकास की गूंज सुनाई देती है।

झांकी के अंतिम भाग में टोकरी लिए महिला की प्रतिमा बस्तर की स्त्री शक्ति, श्रम और सृजनशीलता का प्रतीक बनी। संपूर्ण झांकी की ढोकरा शिल्पकला से की गई सजावट ने बस्तर के शिल्पकारों की अद्भुत कलात्मकता और परंपरागत कौशल को दर्शाया।

छत्तीसगढ़ की यह झांकी न केवल अपनी संस्कृति और कला में समृद्ध है, बल्कि यह बस्तर में हो रहे सकारात्मक बदलाव की कहानी भी कहती है। झांकी ने दिखाया कि आज का नया बस्तर परंपरा, प्रकृति और विकास का सुंदर संगम बन चुका है। कभी दुर्गम और पहुँच से दूर रहने वाले इलाकों में अब सड़कों का जाल बिछ गया है, जिन पर बच्चों के स्कूल जाने की चहल-पहल सुनाई देती है और स्कूलों में घंटियां बजने लगी हैं।

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गांवों में बिजली की रौशनी और इंटरनेट की पहुंच ने नई आशाएँ जगाई हैं। युवाओं में कुछ करने, आगे बढ़ने का जोश दिखाई देता है। महिलाएँ आत्मनिर्भर बन रही हैं—हस्तशिल्प, वनोपज , विभिन्न विकासात्मक योजनाओं ने उनके जीवन में नई दिशा दी है। लोग अब विकास पर भरोसा करने लगे हैं।

यह झांकी इस विश्वास का प्रतीक है कि बस्तर अब सिर्फ़ अपनी लोक संस्कृति और परंपराओं के लिए ही नहीं, बल्कि शिक्षा, सड़क, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे क्षेत्रों में तेज़ी से आगे बढ़ते एक नए युग के लिए भी जाना जा रहा है।

एकता परेड के लिए झांकियों का चयन गृह सचिव की अध्यक्षता में गठित एक उच्चस्तरीय समिति और विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने देशभर के राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों और केंद्रीय संगठनों के प्रजेंटेशन देखे। हर राज्य ने अपनी थीम, मॉडल और विचार समिति के सामने प्रस्तुत किए। इसी प्रक्रिया में छत्तीसगढ़ की झांकी को उसकी मौलिकता, सांस्कृतिक समृद्धि और विकास के जीवंत चित्रण के लिए चयनित किया गया।

अंतिम सूची में छत्तीसगढ़ के साथ एनएसजी, एनडीआरएफ, अंडमान-निकोबार द्वीप, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र, मणिपुर, पुडुचेरी और उत्तराखंड की झांकियां शामिल हुईं।

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Chhattisgarh Rajyotsav 2025: पहले दिन प्लेबैक सिंगर हंसराज रघुवंशी देंगे परफॉर्मेंस, 1 से 5 नवंबर तक सांस्कृतिक कार्यक्रमों की होगी शानदार प्रस्तुतियां

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Chhattisgarh Rajyotsav 2025: Playback singer Hansraj Raghuvanshi will perform on the first day, and there will be spectacular cultural performances from November 1 to 5

Raipur: छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना के रजत महोत्सव में देश एवं प्रदेश के प्रसिद्ध कलाकारों द्वारा मनमोहक सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी जाएगी। एक नवंबर से 5 नवंबर तक मुख्यमंच के अलावा शिल्पग्राम मंच पर भी विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा। राज्योत्सव में इस बार छत्तीसगढ़ के लोकप्रिय कलाकारों के साथ ही देश के जाने-माने कलाकार, हंसराज रघुवंशी, आदित्य नारायण, अंकित तिवारी, कैलाश खेर, भूमि त्रिवेदी अपनी शानदार प्रस्तुति देंगे।

राज्योत्सव के शुभारंभ अवसर पर नवा रायपुर के डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी वाणिज्य एवं व्यापार परिसर में बनाये गए मुख्यमंच से सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शुरूआत सुबह 11 बजे ऐश्वर्या पंडित के गायन से होगी। इसके बाद पीसी लाल यादव, आरू साहू, दुष्यंत हरमुख, निर्मला ठाकुर तथा शाम 8 बजे राष्ट्रीय कलाकार हंसराज रघुवंशी की प्रस्तुति होगी। इसी प्रकार 2 नवम्बर को सुप्रसिद्ध पार्श्व गायक आदित्य नारायण प्रमुख आकर्षण के केन्द्र होंगे। उनके द्वारा गीतों की प्रस्तुति रात्रि 9 बजे से दी जाएगी। इस दिन सांस्कृति कार्यक्रमों की शुरूआत शाम 6.30 बजे से होगी। सबसे पहले सुनील तिवारी, जयश्री नायर चिन्हारी द गर्ल बैंड, पद्मश्री डोमार सिंह कंवर नाचा दल का कार्यक्रम होगा।

इसी प्रकार 3 नवम्बर को पार्श्व गायिका भूमि त्रिवेदी रात्रि 9 बजे से प्रस्तुति देंगी। इस दिन सांस्कृति संध्या में शाम 6 बजे से पद्मश्री उषा बारले पण्डवानी, राकेश शर्मा सूफी-भजन गायन, कुलेश्वर ताम्रकार लोकमंच की प्रस्तुति होगी तथा 4 नवम्बर को रात्रि 9 बजे पार्श्व गायक अंकित तिवारी प्रस्तुति देंगे। इस दिन शाम 6 बजे कला केन्द्र रायपुर बैण्ड, रेखा देवार की लोकगीत, प्रकाश अवस्थी की प्रस्तुति होगी। इसी प्रकार 5 नवम्बर को रात्रि 9 बजे पार्श्व गायक कैलाश खेर अपनी प्रस्तुति देंगे। सांस्कृतिक संध्या में शाम 6 बजे से पूनम विराट तिवारी, इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ का कार्यक्रम होगा।

शिल्पग्राम मंच की प्रस्तुतियां-

शिल्पग्राम मंच में 1 नवम्बर को मोहम्मद अनस पियानो वादन, बासंती वैष्णव द्वारा कत्थक, रमादत्त जोशी और सोनाली सेन का गायन, स्वीटी पगारिया कत्थक, मंगलूराम यादव की बांसगीत, चारूलता देशमुख भारत नाट्य, दुष्यंत द्विवेदी की पण्डवानी, लोकेश साहू की भजन, बॉबी मंडल की लोक संगीत तथा चन्द्रभूषण वर्मा लोकमंच की प्रस्तुति होगी।

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2 नवम्बर को रेखा जलक्षत्रीय की भरथरी, ईकबाल ओबेराय की म्यूजिक ग्रुप, बसंतबीर उपाध्याय मानस बैंड, दीपाली पाण्डेय की कत्थक,  लिलेश्वर सिंहा की लोक संगीत, अंविता विश्वकर्मा भारतनाट्यम, आशिका सिंघल कत्थक, प्रांजल राजपूत भरथरी, प्रसिद्धि सिन्हा कत्थक,  जीवनदास मानिकपुरी लोकमंच एवं जितेन्द्र कुमार साहू सोनहा बादर की प्रस्तुति होगी।

3 नवम्बर को सुरेश ठाकुर भजन, डॉ. आरती सिंह कत्थक, राखी राय भरतनाट्यम, पुसउराम बंजारे पण्डवानी, इशिका गिरी कत्थक, गिरवर सिंह ध्रुव भुंजिया नृत्य, राधिका शर्मा कत्थक, शांतिबाई चेलक पण्डवानी, दुष्यंतकुमार दुबे सुआ नृत्य, गंगाबाई मानिकपुरी पण्डवानी, संगीता कापसे शास्त्रीय नृत्य, महेन्द्र चौहान की चौहान एव बैंड तथा घनश्याम महानंद फ्यूजन बैंड की प्रस्तुति होगी।

4 नवम्बर को भुमिसूता मिश्रा ओडिसी, चैतुराम तारक नाचा दल, आशना दिल्लीवार कत्थक, पुष्पा साहू लोक संगीत, महेन्द्र चौहान पण्डवानी, प्रिति गोस्वामी कत्थक, पृथा मिश्रा शास्त्रीय गायन, महेश साहू लोकमंच, विजय चंद्राकर लोक संगीत तथा तिलक राजा साहू लोकधारा की प्रस्तुति होगी।

5 नवम्बर को दुर्गा साहू पण्डवानी, डाली थरवानी कत्थक, संजय नारंग लोकसंगती, सारिका शर्मा कत्थक, महेश्वरी सिन्हा लोकमंच, चंद्रशेखर चकोर की लोक नाट्य, नितिन अग्रवाल लोक संगीत, द्वारिकाप्रसाद साहू की डंडा नृत्य, महुआ मजुमदार की लोक संगीत तथा नरेन्द्र जलक्षत्रिय लोक संगीत की प्रस्तुति देंगे।

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Chhattisgarh: हिमालय में गूंजी जशपुर की गूंज, आदिवासी युवाओं ने जगतसुख पीक पर खोला नया रूट

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Chhattisgarh: Jashpur echoes in the Himalayas, tribal youth open a new route to Jagatsukh Peak

Jashpur: छत्तीसगढ़ के जशपुर ज़िले के आदिवासी युवाओं के एक दल ने भारतीय पर्वतारोहण के इतिहास में नया अध्याय जोड़ दिया है। इस दल ने हिमाचल प्रदेश की दूहंगन घाटी (मनाली) में स्थित 5,340 मीटर ऊँची जगतसुख पीक पर एक नया आल्पाइन रूट खोला, जिसे छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की पहल के सम्मान में “विष्णु देव रूट” नाम दिया गया है। टीम ने यह चढ़ाई बेस कैंप से केवल 12 घंटे में पूरी की— वह भी आल्पाइन शैली में, जो तकनीकी रूप से अत्यंत कठिन मानी जाती है। यह ऐतिहासिक अभियान सितंबर 2025 में आयोजित हुआ, जिसका आयोजन जशपुर प्रशासन ने पहाड़ी बकरा एडवेंचर के सहयोग से किया। इस अभियान को हीरा ग्रुप सहित अनेक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों का सहयोग प्राप्त हुआ।

यह उपलब्धि इसलिए भी विशेष है क्योंकि इस दल के पांचों पर्वतारोही पहली बार हिमालय की ऊंचाइयों तक पहुंचे थे। सभी ने “देशदेखा क्लाइम्बिंग एरिया” में प्रशिक्षण प्राप्त किया, जो जशपुर प्रशासन द्वारा विकसित भारत का पहला प्राकृतिक एडवेंचर खेलों के लिए समर्पित प्रशिक्षण क्षेत्र है। विश्वस्तरीय मानकों को सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन ने भारतीय और अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों को जोड़ा, जिनमें बिलासपुर के पर्वतारोही एवं मार्गदर्शक स्वप्निल राचेलवार, न्यूयॉर्क (USA) के रॉक क्लाइम्बिंग कोच डेव गेट्स, और रनर्स XP के निदेशक सागर दुबे शामिल रहे। इन तीनों ने मिलकर तकनीकी, शारीरिक और मानसिक दृष्टि से युवाओं को तैयार करने के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम बनाया। दो महीनों की कठोर तैयारी और बारह दिनों के अभ्यास पर्वतारोहण के बाद टीम ने यह चुनौतीपूर्ण चढ़ाई पूरी की।

अभियान प्रमुख स्वप्निल राचेलवार ने बताया कि जगतसुख पीक का यह मार्ग नए पर्वतारोहियों के लिए अत्यंत कठिन और तकनीकी था। मौसम चुनौतीपूर्ण था, दृश्यता सीमित थी और ग्लेशियरों में छिपी दरारें बार-बार बाधा बन रही थीं। इसके बावजूद टीम ने बिना फिक्स रोप या सपोर्ट स्टाफ के यह चढ़ाई पूरी की — यही असली आल्पाइन शैली है। यह अभियान व्यावसायिक पर्वतारोहण से अलग था, जहां पहले से तय मार्ग और सहायक दल पर निर्भरता होती है; इस दल ने पूरी तरह आत्मनिर्भर रहते हुए नई मिसाल कायम की।

अभियान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराहना मिली। स्पेन के प्रसिद्ध पर्वतारोही टोती वेल्स, जो इस अभियान की तकनीकी कोर टीम का हिस्सा थे और स्पेन के पूर्व वर्ल्ड कप कोच रह चुके हैं, ने कहा कि “इन युवाओं ने, जिन्होंने जीवन में कभी बर्फ नहीं देखी थी, हिमालय में नया मार्ग खोला है। यह साबित करता है कि सही प्रशिक्षण और अवसर मिलने पर ये पर्वतारोही विश्वस्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं।”

“विष्णु देव रूट” के अलावा दल ने दूहंगन घाटी में सात नई क्लाइम्बिंग रूट्स भी खोले। इनमें सबसे उल्लेखनीय उपलब्धि रही एक अनक्लाइम्ब्ड (पहले कभी न चढ़ी गई) 5,350 मीटर ऊँची चोटी की सफल चढ़ाई, जिसे टीम ने ‘छुपा रुस्तम पीक’ नाम दिया। इस पर चढ़ाई के मार्ग को ‘कुर्कुमा (Curcuma)’ नाम दिया गया — जो हल्दी का वैज्ञानिक नाम है और भारतीय परंपरा में सहनशक्ति और उपचार का प्रतीक माना जाता है।

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यह अभियान इस बात का प्रमाण है कि यदि सही दिशा, अवसर और संसाधन मिलें तो भारत के सुदूर ग्रामीण और आदिवासी इलाकों से भी विश्वस्तरीय पर्वतारोही तैयार हो सकते हैं। बिना किसी हिमालयी अनुभव के इन युवाओं ने आल्पाइन शैली में जो उपलब्धि हासिल की है, उसने भारतीय साहसिक खेलों को नई दिशा दी है। इस पहल ने तीन बातों को सिद्ध किया — आदिवासी युवाओं में प्राकृतिक शक्ति, सहनशीलता और पर्यावरण से जुड़ी सहज समझ उन्हें एडवेंचर खेलों के लिए विशेष रूप से उपयुक्त बनाती है; “देशदेखा क्लाइम्बिंग सेक्टर” जैसे स्थानीय प्रशिक्षण केंद्र पेशेवर पर्वतारोही तैयार करने की क्षमता रखते हैं; और हिमालय की अनदेखी चोटियां भारत में सतत एडवेंचर पर्यटन की नई संभावनाएं खोल सकती हैं।

अभियान का नेतृत्व स्वप्निल राचेलवार ने किया, उनके साथ राहुल ओगरा और हर्ष ठाकुर सह-नेता रहे। जशपुर के पर्वतारोही दल में रवि सिंह, तेजल भगत, रुसनाथ भगत, सचिन कुजुर और प्रतीक नायक शामिल थे। अभियान को प्रशासनिक सहयोग डॉ. रवि मित्तल (IAS), रोहित व्यास (IAS), शशि कुमार (IFS) और अभिषेक कुमार (IAS) से मिला। तकनीकी सहायता डेव गेट्स, अर्नेस्ट वेंटुरिनी, मार्टा पेड्रो (स्पेन), केल्सी (USA) और ओयविंड वाई. बो (नॉर्वे) ने दी। पूरे अभियान का डॉक्यूमेंटेशन और फोटोग्राफी ईशान गुप्ता की कॉफी मीडिया टीम ने किया।

प्रमुख सहयोगी और प्रायोजक संस्थानों में पेट्ज़ल, एलाइड सेफ्टी इक्विपमेंट, रेड पांडा आउटडोर्स, रेक्की आउटडोर्स, अडवेनम एडवेंचर्स, जय जंगल प्राइवेट लिमिटेड, आदि कैलाश होलिस्टिक सेंटर, गोल्डन बोल्डर, क्रैग डेवलपमेंट इनिशिएटिव और मिस्टिक हिमालयन ट्रेल शामिल रहे।

यह अभियान केवल एक पर्वतारोहण उपलब्धि नहीं, बल्कि उस सोच का प्रतीक है कि भारत के गाँवों और आदिवासी क्षेत्रों से भी अंतरराष्ट्रीय स्तर की सफलता प्राप्त की जा सकती है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि “भारत का भविष्य गाँवों से निकलकर दुनिया की ऊँचाइयों तक पहुँच सकता है।” इस उल्लेखनीय उपलब्धि के साथ अब जशपुर को एक सतत एडवेंचर एवं इको-टूरिज़्म केंद्र के रूप में विकसित करने की दिशा में कार्य तेज़ी से आगे बढ़ रहा है।

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Chhattisgarh: मुख्यमंत्री साय को विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने नवीन विधानसभा भवन के लोकार्पण समारोह में शामिल होने का दिया आमंत्रण

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Chhattisgarh: Assembly Speaker Dr. Raman Singh invited Chief Minister Sai to attend the inauguration ceremony of the new Assembly building

Raipur: मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से आज राजधानी रायपुर स्थित मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने सौजन्य भेंट की। इस अवसर पर विधान सभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय को आगामी 1 नवंबर को आयोजित होने वाले नवीन विधानसभा भवन के लोकार्पण समारोह में आमंत्रित करते हुए औपचारिक आमंत्रण पत्र भेंट किया।

मुख्यमंत्री साय ने विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह अत्यंत हर्ष और गर्व का अवसर है कि छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण की रजत जयंती वर्ष के शुभ अवसर पर प्रदेश की जनता को नवीन विधानसभा भवन समर्पित किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी के कर-कमलों से इस भव्य एवं सुसज्जित विधानसभा भवन का लोकार्पण प्रदेश के लिए एक ऐतिहासिक और गौरवपूर्ण क्षण होगा। उन्होंने कह कि यह भवन छत्तीसगढ़ की लोकतांत्रिक परंपराओं, विकास यात्रा और जनभावनाओं का प्रतीक बनेगा, जिसके हम सभी साक्षी बनेंगे।

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Chhattisgarh: जन्मतिथि प्रमाणित करने के लिए बर्थ सर्टिफिकेट अनिवार्य, अक्टूबर 2023 के बाद जन्मे बच्चों के लिए बर्थ सर्टिफिकेट ही एकमात्र वैध आधार

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Chhattisgarh: Birth certificate mandatory to prove date of birth, birth certificate is the only valid basis for children born after October 2023

Raipur: भारत के महारजिस्ट्रार कार्यालय, नई दिल्ली द्वारा वर्ष 2023 में संशोधित ऑनलाइन पोर्टल लॉन्च किया गया है। जिसके माध्यम से राज्य में जन्म एवं मृत्यु प्रमाण पत्र ऑनलाइन बनाए जा रहे हैं। इस प्रकार, छत्तीसगढ़ राज्य में प्रत्येक जन्म एवं मृत्यु प्रमाण पत्र का ऑनलाइन बनाया जाना अनिवार्य किया गया है। उल्लेखनीय है कि जन्म-मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969 में वर्ष 2023 में संशोधन किया गया है। संशोधन के अनुसार अक्टूबर 2023 के बाद जन्मे बच्चों की जन्म तिथि प्रमाणित करने के लिए जन्म प्रमाण पत्र ही एकमात्र वैध आधार होगा। अर्थात, इस तिथि के पूर्व जन्मे बच्चों के मामलों में अन्य वैकल्पिक दस्तावेज भी जन्म तिथि के प्रमाण के रूप में मान्य रहेंगे। परंतु अक्टूबर 2023 के बाद जन्मे बच्चों के लिए केवल जन्म प्रमाण पत्र ही जन्म तिथि प्रमाण का एकमात्र स्रोत होगा।

राज्य में अप्रैल 2023 के बाद से जन्मे प्रत्येक बच्चे के लिए ऑनलाइन जारी जन्म प्रमाण पत्र को ही मान्य किया गया है। इस प्रकार स्पष्ट है कि अक्टूबर 2023 के पूर्व जन्मे बच्चों के जन्म तिथि प्रमाणन के लिए जन्म प्रमाण पत्र अनिवार्य नहीं है। उनके लिए अन्य दस्तावेज भी मान्य हैं। लेकिन अक्टूबर 2023 के बाद जन्मे बच्चों के लिए जन्म प्रमाण पत्र ही जन्म प्रमाण का एकमात्र आधार होगा। पूर्व में जिन बच्चों का जन्म प्रमाण पत्र मैन्युअल पद्धति से जारी किया गया था, उनके लिए भी अब पोर्टल में ऑनलाइन प्रमाण पत्र बनाने का प्रावधान उपलब्ध है। इससे पुराने प्रमाण पत्र भी डिजिटल स्वरूप में सुरक्षित किए जा सकेंगे।

यह संज्ञान में आया है कि कुछ जिलों में केवल उन्हीं जन्म प्रमाण पत्रों के आधार पर आधार कार्ड बनाए जा रहे हैं जिनमें क्यूआर कोड (QR Code) है। यह विषय संज्ञान में आने पर इस विषय में राज्य सरकार द्वारा सहायक प्रबंधक, UIDAI हैदराबाद से अनुरोध किया गया है कि वे राज्य के सभी आधार केंद्रों को उचित दिशा-निर्देश जारी करें। यह भी उल्लेखनीय है कि वर्ष 2023 में संशोधित पोर्टल के लॉन्च के बाद प्रारंभिक चरण में कुछ तकनीकी कठिनाइयां आई थीं, जिन्हें भारत के महारजिस्ट्रार कार्यालय, नई दिल्ली द्वारा समाधान कर दिया गया।

राज्य के सभी रजिस्ट्रार (जन्म-मृत्यु) को नए पोर्टल के संबंध में आवश्यक प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। आवश्यकता अनुसार जिला स्तर पर भी नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, जिससे ऑनलाइन प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया सुचारू रूप से संचालित हो रही है। राज्य में अप्रैल 2023 के बाद से सभी जन्म प्रमाण पत्र केवल ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से बनाए जा रहे हैं, और वर्तमान में पोर्टल पूरी तरह से तकनीकी रूप से सुचारू रूप से संचालित है।

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