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Chhattisgarh: मलेरिया, डायरिया, जनजनित बीमारियों की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य शिविर लगाएं: मुख्यमंत्री साय

Raipur: मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने मौसमी बीमारियों की रोेकथाम और बचाव के लिए जागरूकता अभियान चलाने के निर्देश स्वास्थ्य महकमा और संबंधित विभागीय अधिकारियों को दिए हैं। उन्होंने कहा है कि प्रदेश के किसी भी क्षेत्र में मलेरिया, डायरिया, जनजनित बीमारी सहित मौसमी बीमारियों की जानकारी मिलने पर त्वरित रूप से स्वास्थ्य अमला स्वास्थ्य शिविर लगाकर प्रभावितों का उपचार करना सुनिश्चित करें। साथ ही स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि मलेरिया, डायरिया सहित मौसमी बीमारियों की रोकथाम के लिए सभी आवश्यक जीवन रक्षक दवाओं का पर्याप्त भण्डारण सुनिश्चित कर सूचना मिलने पर प्रभावित क्षेत्रों को आवश्यक दवाओं के साथ त्वरित रूप से रवाना कर उपचार सुनिश्चित करें, जिससे संभावित जनहानि को बचाया जा सके।
कबीरधाम में उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने की पीड़ितों से मुलाकात
मुख्यमंत्री साय के निर्देशानुसार उपमुख्यमंत्री एवं गृह मंत्री विजय शर्मा गत दिवस कबीरधाम जिले के बोड़ला विकासखण्ड के सुदूर वनांचल ग्राम चिल्फी, झलमला और तरेगांव जंगल, सोनवाही का भ्रमण कर स्वास्थ्य संबंधी जानकारी ली। उन्होंने ग्राम सोनवाही पहुंचकर ग्रामीणों सहित डायरिया पीड़ित परिवार के परिजनों से मुलाकात की और राज्य शासन से हर संभव दिलाने के लिए भरोसा दिलाया। इस दौरान डिप्टी सीएम शर्मा ने ग्राम सोनवाही में गत दिवस हुई दो ग्रामीणों की आकस्मिक मृत्यु पर अपनी गहरी संवेदना प्रकट की।
मौसमी बीमारियों से बचाव के लिए चलेगा जागरूकता अभियान
उपमुख्यमंत्री शर्मा ने ग्राम सोनवाही के आदिवासी बालक छात्रावास में बनाए गए अस्थाई स्वास्थ्य शिविर का निरीक्षण किया और मरीजों से चर्चा की। उन्होंने चिकित्सकों को बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने निर्देश दिए। उपमुख्यमंत्री ने जिला प्रशासन को निर्देशित किया कि वनांचल सहित मैदानी क्षेत्रों में मौसमी बीमारी, डायरिया, उल्टी दस्त और जलजनित बीमारियों का संक्रमण ना हो इसके लिए प्रभावी कार्य योजना बनाने की जरूरत है। उन्होंने कलेक्टर को वनांचल क्षेत्रों में स्वास्थ्य शिविर लगाने और और मलेरिया, डायरिया सहित मौसमी बीमारियों के बचाव के लिए जागरूकता अभियान चलाने के निर्देश दिए।
सोनवाही में अलग-अलग कारणों से हुईं पांच मौतें-कलेक्टर
उपमुख्यमंत्री शर्मा ने सुदूर वनांचल क्षेत्र चिल्फी, झलमला और तरेगांव जंगल के शासकीय अस्पताल में सोनोग्राफी मशीन डीएमफ़ से शीघ्र क्रय करने के निर्देश दिए। उन्होंने वनांचल के सभी गांवो में स्वास्थ्य शिविर, जल स्त्रोतो का क्लोनिएशन कराने के निर्देश दिए। कलेक्टर जनमेजय महोबे ने बताया कि बोड़ला एसडीएम और सीएमएचओ को घर-घर पहुंच कर सर्वें करने के निर्देश दिए गए थे। सोनवाही में पांच ग्रामीणों की मौत अलग-अलग कारणों से और अलग-अलग जगह में हुई है।
सोनवाही में की गई अतिरिक्त स्वास्थ्य टीम की तैनाती- सीएमएचओ
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ बीएल राज ने बताया कि सोनवाही में डायरिया की सूचना मिली। सूचना मिलते ही पास के ही सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र झलमला के चिकित्सक और स्वास्थ्य अमला 10 जुलाई को पहुंचकर गांव के आदिवासी बालक आश्रम छात्रावास में अस्थायी रूप से स्वास्थ्य शिविर लगाकर ग्रामीणों का स्वास्थ्य परीक्षण का काम शुरू किया गया। दूसरे दिन 11 जुलाई को कलेक्टर के निर्देश पर जिला स्तर और चिल्फी के और अतिरिक्त स्वास्थ्य टीम को भेजकर ग्राम सोनवाही में तैनात किया गया।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में होगा मौत के कारणों का खुलासा- सीएमएचओ
सीएमएचओ डॉ राज ने बताया कि सोनसिंह अपने खेत से काम कर घर लौटा था, उन्होने अपने तबियत खराब होने की जानकारी अपने घर वालो को दी। इसके बाद उन्होने उल्टियां शुरू हुई और तीन से चार घंटे के दौरान उनकी घर पर ही मृत्यु हो गई। ग्रामीणों के मुताबिक इसी प्रकार महिला फूलबाई की मृत्यु भी उल्टी से हुई। दो ग्रामीणों की अकास्मिक मृत्यु के बारे में ग्रामीणों से चर्चा की गई। जांच और पूछताछ के प्रथम दृष्टयता जहरीले मशरूम से फूड पॉइजनिंग की बात सामने आई है। पोस्टमार्टम की रिपोर्ट अभी नहीं आई है, रिपोर्ट आने के बाद कारण स्पष्ट हो जाएगी।
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Chhattisgarh: प्रदेश के पर्यटन मानचित्र पर नई पहचान बनेगा ‘जशपुर जम्बूरी 2025’, 6 से 9 नवंबर तक होगा आयोजन

Raipur: छत्तीसगढ़ का पर्वतीय और हरियाली से आच्छादित जिला जशपुर एक बार फिर उत्सव, संस्कृति और रोमांच का केंद्र बनने जा रहा है। यहांं आगामी 6 से 9 नवंबर 2025 तक आयोजित होने वाले ‘जशपुर जम्बूरी 2025’ में प्रदेश और देशभर से पर्यटक प्रकृति की गोद में रोमांचक अनुभवों, जनजातीय परंपराओं और सामुदायिक उत्सव के रंगों का आनंद लेंगे। यह आयोजन प्राकृतिक सौंदर्य, जनजातीय परंपराओं और आधुनिक रोमांच का अद्भुत संगम प्रस्तुत करेगा।
प्रकृति की गोद में चार दिन का उत्सव
जशपुर अपनी प्राकृतिक सुंदरता, झरनों, पहाड़ियों और हरे-भरे जंगलों के कारण पहले से ही पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है। इन चार दिनों में यह जिला उत्साह, उमंग और अनूठे अनुभवों का जीवंत मंच बन जाएगा। देशभर से आने वाले सैलानी यहां रोमांचक खेलों, सांस्कृतिक प्रस्तुतियों और जनजातीय लोकपर्वों की रंगीन झलक का आनंद लेंगे।
हॉट एयर बलून और पैरामोटरिंग का रोमांच
इस वर्ष का सबसे बड़ा आकर्षण रहेगा हॉट एयर बलून और पैरामोटरिंग शो, जिसमें प्रतिभागी मधेश्वर पहाड़ियों के ऊपर से उड़ान भरकर जशपुर की भव्यता को नई ऊँचाई से देख सकेंगे। नीले आसमान और हरी वादियों का यह संगम एक अविस्मरणीय अनुभव बनेगा।
कयाकिंग, एटीवी और मोटर बोटिंग से मिलेगा एडवेंचर का आनंद
फेस्टिवल में कयाकिंग, मोटर बोटिंग और एटीवी राइड्स जैसी गतिविधियाँ रोमांच प्रेमियों को अपनी सीमाओं को परखने का अवसर देंगी। झरनों की धारा में कयाकिंग और जंगलों के बीच मिट्टी के रास्तों पर एटीवी चलाने का रोमांच हर आगंतुक के लिए यादगार रहेगा।
फॉरेस्ट ट्रेकिंग और प्राकृतिक अनुभव
प्रकृति प्रेमियों के लिए विशेष फॉरेस्ट ट्रेकिंग ट्रेल्स तैयार की गई हैं। घने पेड़ों के बीच, फूलों की महक और पक्षियों की चहचहाहट में चलना जशपुर की जैव विविधता से गहरा जुड़ाव कराएगा। यह पर्यावरण और पर्यटन के बीच सामंजस्य का प्रतीक है।
खुले आसमान तले स्टार गेज़िंग सेशन्स
रात्रिकालीन आयोजनों में स्टार गेज़िंग सेशन्स विशेष आकर्षण होंगे। तारों से सजे जशपुर के निर्मल आसमान में सैकड़ों नक्षत्रों को निहारने का अनुभव आगंतुकों को अद्भुत शांति और विस्मय का एहसास कराएगा। ‘जशपुर जम्बूरी’ जैसे आयोजन इस क्षेत्र की पहचान को राष्ट्रीय पटल पर स्थापित कर रहे हैं। यह फेस्टिवल छत्तीसगढ़ को ‘एडवेंचर टूरिज्म हब’ के रूप में आगे बढ़ाएगा।” – मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय
लोककला, संगीत और बोनफायर नाइट्स से सजेगा हर शाम का माहौल
हर शाम बोनफायर नाइट्स में जनजातीय लोकनृत्य, संगीत और हँसी से भरी संध्याएँ होंगी। पारंपरिक गीतों की धुन और आग की लपटों के बीच साझा होती मुस्कानें इस आयोजन को आत्मीयता का नया अर्थ देंगी। फेस्टिवल में स्थानीय व्यंजनों का विशेष स्टॉल आकर्षण का केंद्र रहेगा। स्थानीय पारंपरिक पकवानों के स्वाद से पर्यटक छत्तीसगढ़ की मिट्टी की असली महक महसूस करेंगे।
‘जशपुर जम्बूरी’ केवल एक पर्यटन आयोजन नहीं, बल्कि जनजातीय गौरव और सांस्कृतिक आत्मसम्मान का उत्सव भी है। पारंपरिक हस्तशिल्प, लोककला प्रदर्शनी और आदिवासी परिधानों की झलक इस आयोजन को विशिष्ट बनाएगी। जशपुर प्रशासन और पर्यटन विभाग ने पर्यटकों की सुविधा के लिए ठहरने, खानपान, सुरक्षा और स्वच्छता की संपूर्ण व्यवस्था की है।
डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भी बढ़ेगी पहचान
इस आयोजन में देशभर से एडवेंचर प्रेमी, फोटोग्राफर, ट्रैवल ब्लॉगर और इनफ्लुएंसर भाग लेंगे, जिससे जशपुर की पहचान राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डिजिटल माध्यमों से और सशक्त होगी। “हमारा प्रयास है कि जशपुर की प्रकृति और संस्कृति को राष्ट्रीय पहचान मिले। जशपुर जम्बूरी 2025’ न केवल छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक पहचान को प्रखर करेगा, बल्कि पर्यटन, उद्यमिता और सामुदायिक सहभागिता को नई ऊर्जा देगा। यह आयोजन राज्य के लिए गौरव और विकास दोनों का प्रतीक बनेगा। ऐसे आयोजन न केवल पर्यटन को बढ़ावा देते हैं, बल्कि स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार और आत्मनिर्भरता के नए अवसर भी पैदा करते हैं। जशपुर के लोग जितने सादगीपूर्ण हैं, उतने ही उत्साही और साहसी भी हैं।
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Bastar Olympics 2025: बस्तर संभाग के 7 जिलों से 3 लाख 91 हजार 289 खिलाड़ियों ने कराया पंजीयन

Jagdalpur: छत्तीसगढ़ के अनुसूचित जनजातीय बाहुल्य बस्तर संभाग में युवाओं की ऊर्जा, उत्साह और प्रतिभा को निखारने के उद्देश्य से ‘बस्तर ओलंपिक 2025’ का आयोजन किया जा रहा है। मुख्यमंत्री साय के मार्गदर्शन में गृह (पुलिस) विभाग और खेल एवं युवा कल्याण विभाग के संयुक्त तत्वावधान में होने वाला यह आयोजन प्रदेश के रजत जयंती वर्ष में बस्तर की नई पहचान बनेगा। ‘बस्तर ओलंपिक 2025’ के लिए वन भैंसा और पहाड़ी मैना को शुभंकर (Mascot) बनाया गया है, जो बस्तर की जीवंतता और सामुदायिक शक्ति का प्रतीक हैं। यह आयोजन न केवल खेलों का, बल्कि बस्तर की संस्कृति, सौहार्द और विकास के नए युग का उत्सव बनेगा।
बस्तर ओलंपिक 2025 के प्रति लोगों में उत्साह का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि अब तक बस्तर संभाग के 7 जिलों से 3 लाख 91 हजार 289 खिलाड़ियों ने पंजीयन कराया है। इनमें 1 लाख 63 हजार 668 पुरुष और 2 लाख 27 हजार 621 महिला खिलाड़ी शामिल हैं। यह संख्या न केवल बस्तर के युवाओं का खेलों के प्रति बढ़ते उत्साह को दर्शाती है, बल्कि यह भी साबित करती है कि बस्तर की धरती पर अब खेल एक नई सामाजिक चेतना और समान भागीदारी का प्रतीक बन चुके हैं।
बस्तर की खेल प्रतिभा को राष्ट्रीय मंच पर लाने की पहल
इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य बस्तर के युवाओं को मुख्यधारा से जोड़ना और उनके भीतर निहित नैसर्गिक खेल प्रतिभा को पहचानना है। यह पहल केवल खेल आयोजन नहीं, बल्कि शासन और जनता के बीच विश्वास व संवाद का सेतु बनेगी। प्रधानमंत्री मोदी ने भी अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में कहा था – “बस्तर ओलंपिक केवल एक खेल आयोजन नहीं है, यह ऐसा मंच है जहां विकास और खेल का संगम हो रहा है, जहां हमारे युवा अपनी प्रतिभा को निखार रहे हैं और एक नए भारत का निर्माण कर रहे हैं।”यह मॉडल पूरे देश में ‘खेल के माध्यम से शांति और विश्वास’ की अनूठी पहल के रूप में देखा जा रहा है।
प्रतियोगिता में एथलेटिक्स, तीरंदाजी, फुटबॉल, बैडमिंटन, कबड्डी, खो-खो, वॉलीबॉल, कराते, वेटलिफ्टिंग और हॉकी जैसे खेल शामिल हैं। इसमें न केवल आधुनिक खेलों को बढ़ावा दिया जाएगा, बल्कि स्थानीय परंपरा से जुड़े खिलाड़ियों को भी मंच मिलेगा।
बस्तर ओलंपिक में जूनियर (14-17 वर्ष) और सीनियर वर्ग के अलावा विशेष श्रेणी के प्रतिभागियों—नक्सल हिंसा से दिव्यांग हुए व्यक्ति और आत्मसमर्पित नक्सलियों—को भी सम्मिलित किया जा रहा है। यह पहल खेल के माध्यम से पुनर्वास, पुनर्जीवन और सामाजिक एकीकरण की दिशा में ऐतिहासिक कदम है।
प्रतियोगिताएं तीन स्तरों—विकासखण्ड, जिला और संभाग स्तर—पर आयोजित हो रही हैं। विकासखण्ड स्तर पर प्रतियोगिता 25 अक्टूबर से, जिला स्तर पर 5 नवम्बर से और संभाग स्तर पर 24 नवम्बर से आयोजित की जाएगी। विजेताओं को जिला और संभाग स्तर पर नगद पुरस्कार, मेडल, ट्रॉफी और शील्ड प्रदान की जाएगी। नगद राशि प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) के माध्यम से खिलाड़ियों के बैंक खाते में जमा की जाएगी। संभागीय स्तर के विजेता खिलाड़ियों को “बस्तर यूथ आइकॉन” के रूप में प्रचारित किया जाएगा। यह ‘स्पोर्ट्स फॉर पीस’ मॉडल बस्तर में नई सामाजिक चेतना का प्रतीक बनेगा।
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Chhattisgarh: प्रदेश में 1,390 करोड़ रुपए से अधिक के चार नए मेडिकल कॉलेजों समेत छह निर्माण कार्यों को मंजूरी

Raipur: मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार ने स्वास्थ्य क्षेत्र को नई दिशा देते हुए एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है। राज्य में चार नए शासकीय मेडिकल कॉलेजों सहित कुल छह महत्वपूर्ण निर्माण परियोजनाओं के लिए निविदा दरों को अनुमोदित किया गया है। छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड (सीजीएमएससी) की नया रायपुर स्थित मुख्यालय में आयोजित 51वीं संचालक मंडल बैठक में इन परियोजनाओं को स्वीकृति प्रदान की गई। इन परियोजनाओं की कुल लागत 1,390 करोड़ रुपए से अधिक है। इस निर्णय के बाद राज्य में स्वास्थ्य शिक्षा और उपचार सेवाओं के विस्तार को नई गति मिलेगी।
बैठक में चार नए मेडिकल कॉलेजों की भवन निर्माण परियोजनाओं के लिए मनेंद्रगढ़ मेडिकल कॉलेज के लिए ₹323.03 करोड़, कबीरधाम मेडिकल कॉलेज के लिए ₹318.27 करोड़, जांजगीर-चांपा मेडिकल कॉलेज के लिए ₹318.27 करोड़ और गीदम मेडिकल कॉलेज के लिए ₹326.53 करोड़ की निविदा दर की स्वीकृति दी गई है।
इसके अतिरिक्त मनेंद्रगढ़ में 220 बिस्तर वाले अस्पताल भवन के निर्माण हेतु ₹28.48 करोड़ तथा बिलासपुर के शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय और अस्पताल भवन के निर्माण हेतु ₹79.52 करोड़ की निविदा दर को भी मंजूरी दी गई है।
इन छह परियोजनाओं की निविदा दरों को स्वीकृति मिलने के बाद अब इनके निर्माण कार्य शीघ्र प्रारंभ होंगे। निर्माण कार्यों के पूर्ण होने पर प्रदेश की जनता को अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाएँ उपलब्ध होंगी, जिससे इलाज के लिए बड़े शहरों पर निर्भरता में उल्लेखनीय कमी आएगी।
स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा कि मुख्यमंत्री साय के नेतृत्व में राज्य सरकार लगातार स्वास्थ्य सेवाओं के सुदृढ़ीकरण के लिए कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना से न केवल चिकित्सा शिक्षा का दायरा बढ़ेगा बल्कि डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की उपलब्धता भी सुदृढ़ होगी।
सीजीएमएससी की 51वीं संचालक मंडल बैठक में अध्यक्ष दीपक म्हस्के, स्वास्थ्य विभाग के सचिव अमित कटारिया, सीजीएमएससी के प्रबंध संचालक रितेश अग्रवाल, वित्त विभाग, जीएसटी विभाग और कॉर्पोरेशन के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। बैठक में परियोजनाओं के क्रियान्वयन की समयसीमा, गुणवत्ता मानकों और पारदर्शिता पर विशेष बल दिया गया। निर्णय लिया गया कि निर्माण कार्य समयबद्ध रूप से और उच्च गुणवत्ता मानकों के साथ पूर्ण किए जाएंगे।
प्रदेश में नए मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों के शुरू होने से प्रदेश के युवाओं के लिए चिकित्सा शिक्षा के नए अवसर खुलेंगे और स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन भी बढ़ेगा। साथ ही ग्रामीण और सुदूर क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएँ सुलभ होंगी।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि हमारा लक्ष्य है कि छत्तीसगढ़ में ऐसा स्वास्थ्य ढाँचा विकसित हो, जहाँ हर नागरिक को बिना किसी भेदभाव के गुणवत्तापूर्ण और सुलभ चिकित्सा सुविधा मिले। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार जनता के स्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है।
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Chhattisgarh: गोवर्धन पूजा के अवसर पर मुख्यमंत्री ने किया गौपूजन, प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि की कामना की

Raipur: मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज मुख्यमंत्री निवास रायपुर में स्थित गौशाला में गोवर्धन पूजा के अवसर पर गौमाता की पूजा-अर्चना की और गौ माता को खिचड़ी खिलाकर गोसेवा की परंपरा निभाई। उन्होंने इस अवसर पर प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि, शांति और खुशहाली की मंगलकामना की। मुख्यमंत्री साय ने कहा कि गोवर्धन पूजा प्रकृति, गौवंश और पर्यावरण के प्रति आभार व्यक्त करने का पावन पर्व है। मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों को गोवर्धन पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं दी।
पूजा-अर्चना के बाद प्रसाद वितरण के दौरान मुख्यमंत्री साय ने गौशाला में सेवा कर रहे गौसेवकों को अपने हाथों से मिठाई खिलाकर सम्मानित किया। उन्होंने गौसेवा के लिए उनकी सराहना करते हुए सभी से गौवंश की रक्षा एवं संरक्षण के कार्यों में आगे आने का आग्रह किया। इस दौरान मुख्यमंत्री साय ने गौशाला की व्यवस्थाओं का जायजा लिया। गौसेवकों ने मुख्यमंत्री को बताया कि गौशाला में गौवंश की देखरेख की सभी व्यवस्था मौजूद है।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि गोवर्धन पूजा हमारे जीवन में प्रकृति, अन्न और पशुधन के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक है। गाय भारतीय संस्कृति की आधारशिला है, जो न केवल हमारे ग्रामीण जीवन से जुड़ी है, बल्कि हमारी अर्थव्यवस्था और आस्था दोनों का केंद्र भी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ की मिट्टी में गोसेवा और प्रकृति पूजन की भावना गहराई से रची-बसी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गाय, अन्न और धरती का सम्मान करना उस मातृशक्ति को प्रणाम करना है, जिससे हमारा जीवन जुड़ा है। जब हम इन्हें नमन करते हैं, तब हम अपनी संस्कृति की जड़ों, अपनी आत्मा की गहराइयों और समृद्धि के स्रोतों को स्पर्श करते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी संस्कृति में गाय गौमाता के रूप में पूजनीय है, और इसी भावना के साथ राज्य सरकार गोसेवा को ग्रामीण विकास की धुरी बनाने के लिए कार्य कर रही है।
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Chhattisgarh: पुलिस स्मृति दिवस परेड में शामिल हुए राज्यपाल डेका और मुख्यमंत्री साय, शहीद स्मारक में शहीद जवानों को दी भावभीनी श्रद्धांजलि

Raipur: राज्यपाल रमेन डेका और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय आज चौथी वाहिनी, छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल, माना रायपुर के प्रांगण में पुलिस स्मृति दिवस के अवसर पर आयोजित परेड कार्यक्रम में शामिल हुए। राज्यपाल रमेन डेका और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने प्रदेशवासियों की ओर से पुलिस के शहीद वीर जवानों को नमन किया तथा शहीद स्मारक में पुष्पचक्र अर्पित कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी। राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने शहीद पुलिस अधिकारियों एवं जवानों के परिजनों से भेंटकर अपनी संवेदना व्यक्त की। इस अवसर पर उन्होंने परिजनों को शाल, श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह भेंट किए।
राज्यपाल रमेन डेका ने पुलिस स्मृति दिवस के अवसर पर कर्तव्य पालन के दौरान शहीद हुए पुलिस जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि पुलिस के अदम्य साहस, पराक्रम और त्याग को देश सदैव नमन करता रहेगा। उन्होंने कहा कि पुलिस जवान चौबीसों घंटे तत्पर रहकर जिस निष्ठा और अनुशासन के साथ सेवा दे रहे हैं, उसी के कारण आज नागरिकों के लिए शांति, सुरक्षा और विश्वास के वातावरण में अपना जीवन व्यतीत करना संभव हो पा रहा है। उन्होंने कहा कि पुलिस का दायित्व अत्यंत चुनौतीपूर्ण होता है—जहां एक ओर कानून-व्यवस्था बनाए रखना उनकी जिम्मेदारी है, वहीं दूसरी ओर नागरिकों को भयमुक्त वातावरण उपलब्ध कराना भी उनका कर्तव्य है।
उन्होंने कहा कि आम जनता को भी पुलिस के प्रति सहयोग और मानवीय दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों का उल्लेख करते हुए राज्यपाल डेका ने कहा कि छत्तीसगढ़ पुलिस ने दृढ़ संकल्प, साहस और निष्ठा के साथ नक्सलवाद की चुनौती का मुकाबला किया है, जिसके परिणामस्वरूप आज इन क्षेत्रों में शांति और विश्वास का वातावरण सशक्त हुआ है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि आने वाले समय में राज्य पूर्णतः नक्सल समस्या से मुक्त होगा। राज्यपाल डेका ने अंत में शहीदों के परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए सभी पुलिस अधिकारियों और जवानों को उनके सतत योगदान के लिए नमन किया।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि 21 अक्टूबर वह दिन है जब हम देश की सुरक्षा में अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले पुलिस बल के जवानों का पुण्य स्मरण करते हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस और सुरक्षा बल कठिन परिस्थितियों और चुनौतियों के बीच चौबीसों घंटे समाज की सुरक्षा में तत्पर रहते हैं। पुलिस जवानों की निष्ठा और अनुशासन से ही राज्य में शांति, सुरक्षा और विश्वास का वातावरण निर्मित होना संभव हो पाता है। यह दिवस न केवल उन जवानों के पराक्रम का स्मरण कराने का अवसर है, बल्कि उनके परिजनों के त्याग को भी श्रद्धापूर्वक नमन करने का अवसर है।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के विरुद्ध सुरक्षा बलों ने अद्वितीय साहस का परिचय दिया है और अब नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तेजी से विकास कार्य हो रहे है। नियद नेल्ला नार, पीएम जनमन और धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान जैसी योजनाओं से सुदूर अंचल के गांवों की तस्वीर बदल रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री श्री अमित शाह के नेतृत्व में नक्सलवाद के उन्मूलन की लड़ाई और तेज हुई है तथा राज्य सरकार मार्च 2026 तक इसके पूर्ण उन्मूलन के संकल्प के साथ दृढ़तापूर्वक आगे बढ़ रही है। मुख्यमंत्री ने अमर शहीदों को नमन करते हुए कहा कि उनका बलिदान सदैव स्मरणीय रहेगा और हमें कर्तव्य, अनुशासन एवं समर्पण की निरंतर प्रेरणा देता रहेगा।
उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि हमारे जवान अदम्य साहस एवं वीरता के साथ बस्तर में नक्सलवाद को जड़ से समाप्त करने की दिशा में निरंतर संघर्षरत हैं। वे केवल नक्सलवाद से मुकाबला ही नहीं कर रहे, बल्कि बस्तर में विकास कार्यों को भी आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार शहीद वीर जवानों की स्मृति को संजोए रखने और शहीद परिवारों की सहायता के लिए प्रतिबद्ध है। श्री शर्मा ने बताया कि स्मारिका के माध्यम से शहीद जवानों के बलिदान को चिरस्थायी बनाने का निर्णय भी लिया गया है।
उन्होंने शहीद परिवारों की सहायता हेतु आईजी एवं एसपी कार्यालयों में की गई व्यवस्थाओं की जानकारी भी दी। उप मुख्यमंत्री शर्मा ने अंत में पुलिस जवानों की वीरता को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर विधायक मोतीलाल साहू, अनुज शर्मा, पुलिस महानिदेशक अरुण देव गौतम, मुख्यमंत्री के सचिव राहुल भगत, वरिष्ठ पुलिस अधिकारीगण, संभाग आयुक्त महादेव कांवरे, आईजी अमरेश मिश्रा सहित पुलिस के जवान और शहीद जवानों के परिजन उपस्थित थे।
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