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Demonetisation: नोटबंदी सही थी या मोदी सरकार ने की थी भूल, आज का दिन अहम

Notebandi in India: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर 2016 को रात 8 बजे टीवी पर लाइव आकर नोटबंदी (Demonetisation) का ऐलान करके पूरे देश में खलबली मचा दी थी। उन्होंने 8 नवंबर 2016 की रात 12 बजे से 500 और 1000 के नोटों को चलन से बाहर कर दिया था। इसके बाद अगले दिन से पूरे देश में चलन से बाहर हुए 500 और 1000 के नोटों को बैंक में जमा करने और बदलने के लिए लंबी कतारें लग गई थीं। विपक्षी दलों ने नोटबंदी का विरोध किया और इसे मोदी सरकार का देश की अर्थव्यवस्था को बरबाद करने वाला कदम करार दिया। बाद में ये मामला कोर्ट में गया और अब सोमवार 2 जनवरी 2023 को सुप्रीम कोर्ट इस पर बड़ा फैसला सुना सकता है।
सर्वोच्च अदालत ने RBI से मांगे थे रिकॉर्ड
देश की सर्वोच्च अदालत ने केंद्र और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को सात दिसंबर को निर्देश दिया था कि वे सरकार के 2016 में 1000 रुपए और 500 रुपए के नोट को बंद करने के फैसले से संबंधित प्रासंगिक रिकॉर्ड पेश करें। उच्चतम न्यायालय की सोमवार की वाद सूची के अनुसार, इस मामले में दो अलग-अलग फैसले होंगे, जो न्यायमूर्ति बी.आर.गवई और न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना द्वारा सुनाए जाएंगे। न्यायमूर्ति नजीर, न्यायमूर्ति गवई और न्यायमूर्ति नागरत्ना के अलावा, पांच न्यायाधीशों की पीठ के अन्य सदस्य न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी. रामासुब्रमण्यन हैं।
केंद्र सरकार ने जताया था विरोध
साल 2016 में नोटबंदी के अपने फैसले का बचाव करते हुए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि अदालत ऐसे मामले का फैसला नहीं कर सकती है, जब ‘बीते वक्त में लौट कर’ कोई ठोस राहत नहीं दी जा सकती है। पीठ ने केंद्र के 2016 के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी, आरबीआई के वकील और वरिष्ठ अधिवक्ता पी चिदम्बरम तथा श्याम दीवान समेत याचिकाकर्ताओं के वकीलों की दलीलें सुनी थीं और अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
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Rajya Sabha: राष्ट्रपति मुर्मू ने राज्यसभा के लिए 4 सदस्यों को नॉमिनेट किया, मशहूर वकील उज्ज्वल निकम, पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रंगला समेत 4 लोगों के नाम शामिल

Rajya Sabha: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राज्यसभा के लिए चार नए सदस्यों को मनोनीत किया है। इन सदस्यों में मुंबई के जाने-माने वकील उज्ज्वल निकम, पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला, इतिहासकार डॉ. मीनाक्षी जैन और केरल के सामाजिक कार्यकर्ता सी. सदानंदन मास्टर शामिल हैं। ये नियुक्तियां उन रिक्त सीटों के लिए की गई हैं, जो पहले के नामित सदस्यों के सेवानिवृत्त होने से खाली हुई थीं।
निकम ने मुंबई हमले के पकड़े गए आरोपी अजमल कसाब को फांसी के तख्ते तक पहुंचाने में अहम रोल अदा किया था। वे कई हाई प्रोफाइल मामलों में सरकार का पक्ष रख चुके हैं। मुंबई में जन्मे पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रंगला इंडियन फॉरेन सर्विस के एक रिटायर्ड इंडियन डिप्लोमेट हैं। वे 1984 में IFS में शामिल हुए और 38 वर्षों तक देश के लिए अपनी सेवाएं दीं।
सदानंदन मास्टर शिक्षा और सामाजिक सेवा से लंबे समय से जुड़े रहे हैं। वे खुद केरल में राजनीतिक हिंसा का शिकार भी रह चुके हैं. इनमें से हर नाम अपने-अपने क्षेत्र में खास पहचान रखता है. उन्होंने गुवाहाटी विश्वविद्यालय से बी.कॉम और कालीकट विश्वविद्यालय से बी.एड की डिग्री हासिल की। वे 1999 से पेरमंगलम के श्री दुर्गा विलासम उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में सामाजिक विज्ञान पढ़ा रहे हैं।
इतिहासकार डॉ. मीनाक्षी जैन ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के गार्गी कॉलेज में इतिहास की एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में काम किया। दिसंबर 2014 में, उन्हें इंडियन काउंसिल ऑफ हिस्टोरिकल रिसर्च के सदस्य के रूप में नामित किया गया था। साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें 2020 में भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।
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Air India Plane Crash: ‘फ्यूल स्विच बंद होने की वजह से बंद हुए दोनों इंजन’, AAIB की रिपोर्ट में खुलासा

Ahmedabad Plane Crash: अहमदाबाद में एयर इंडिया की फ्लाइट AI171 के क्रैश होने के एक महीने बाद शुरुआती जांच रिपोर्ट आ गई है। एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) ने 12 जुलाई को 15 पेज की शुरुआती जांच रिपोर्ट सार्वजनिक की है। रिपोर्ट के अनुसार, विमान ने 12 जून को दोपहर 1:38:39 बजे टेक-ऑफ किया। उस समय को-पायलट क्लाइव कुंदर विमान उड़ा रहे थे, जबकि कैप्टन सुमीत सभरवाल उसकी निगरानी कर रहे थे। टेक-ऑफ के कुछ ही सेकंड बाद दोनों इंजनों (इंजन 1 और इंजन 2) के फ्यूल कटऑफ स्विच एक-एक सेकंड के अंतर से रन से कटऑफ मोड में चले गए। इससे इंजनों को फ्यूल की सप्लाई रुक गई, और दोनों इंजनों की गति (N1 और N2) तेजी से कम होने लगी। कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डिंग से पता चला है कि एक पायलट ने पूछा, “आपने क्यों बंद (इंजन) किया?” दूसरे ने उत्तर दिया, “मैंने नहीं किया।”
तय सीमा के अंदर था प्लेन का वजन
एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) की शुरुआती रिपोर्ट के मुताबिक, टेक-ऑफ के समय विमान में 54,200 किलोग्राम फ्यूल भरा गया था। लोड और ट्रिम शीट के अनुसार, विमान का टेक-ऑफ वजन 2,13,401 किलोग्राम था, जो कि अधिकतम अनुमति वजन 2,18,183 किलोग्राम से कम था। यानी वजन पूरी तरह से तय सीमा के अंदर था। इसके अलावा, विमान में कोई खतरनाक सामान (Dangerous Goods) भी नहीं था। अब तक की जांच में किसी भी प्रकार की साजिश या तकनीकी दोष की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
पायलटों ने इंजन दोबारा स्टार्ट करने की कोशिश की थी
रिपोर्ट के मुताबिक, हादसे वाले विमान में दोनों इंजनों के फ्यूल स्विच बंद थे, जिसके बाद पायलटों ने इसे दोबारा चालू करने की कोशिश की थी।। N1 या इंजन 1 कुछ हद तक चालू हो गया, लेकिन इंजन 2 क्रैश होने से पहले स्टार्ट नहीं हो सका। विमान की ऊंचाई बहुत कम थी, इसलिए इंजनों को दोबारा ताकत पाने का समय नहीं मिल सका और विमान क्रैश हो गया। विमान केवल 32 सेकेंड के लिए हवा में रहा था।हालांकि ये सामने नहीं आया है कि फ्यूल स्विच बंद कैसे हुए थे।
12 जून को क्रैश हुआ था एयर इंडिया का विमान
गुजरात के अहमदाबाद में 12 जून को लंदन जा रही फ्लाइट AI 171 टेकऑफ के कुछ ही देर बाद एक मेडिकल हॉस्टल की इमारत से टकरा गई थी। इसमें 270 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें 241 यात्री और क्रू मेंबर शामिल थे। सिर्फ एक यात्री इस हादसे में जिंदा बचा है। फ्लाइट AI 171 ने दोपहर 1.38 बजे उड़ान भरी थी और 1.40 बजे हादसा हो गया। उस समय प्लेन 200 फीट की ऊंचाई पर था। रिपोर्ट के मुताबिक, टेकऑफ से लेकर हादसे तक की पूरी उड़ान करीब 30 सेकेंड ही चली।
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Ajit Doval: ऑपरेशन सिंदूर पर NSA अजीत डोभाल का बड़ा बयान, बोले- एक गिलास भी नहीं टूटा

Ajit Doval: पहलगाम हमले के जवाब में भारतीय सेनाओं के ऑपरेशन सिंदूर पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने पहली बार प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने ऑपरेशन की आलोचना करने वालों को करारा जवाब दिया है। डोभाल ने आईआईटी मद्रास के 62वें दीक्षांत समारोह के कार्यक्रम में कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत को किसी तरह का नुकसान नहीं हुआ है। एनएसए ने कहा कि अगर कोई दावा करता है कि देश को नुकसान हुआ है तो उसकी एक तस्वीर दिखा दीजिए।
सिर्फ 23 मिनट में पूरा हुआ ऑपरेशन
एनएसए अजीत डोभाल ने कहा- ”तकनीक और वॉरफेयर का कनेक्शन अहम है. हमें ऑपरेशन सिंदूर पर गर्व है. ऑपरेशन के दौरान हमने स्वदेशी तकनीक का इस्तेमाल किया. हमने नौ आतंकी ठिकानों पर हमले का फैसला किया था. हमारे सभी निशाने सटीक रहे। यह उस बिंदु तक सटीक था जहां हमें पता था कि कौन कहां है। पूरे ऑपरेशन में सिर्फ 23 मिनट लगे।”
विदेशी मीडिया पर भड़के NSA डोभाल
अजीत डोभाल ने ने कहा- “विदेशी मीडिया में बहुत कुछ कहा गया। पाकिस्तान ने ये किया, वो किया। आप मुझे एक भी तस्वीर बताइए। आज का दौर सैटेलाइट का है, आप मुझे एक भी तस्वीर दिखाइए जिसमें भारत की तरफ हुआ कोई नुकसान दिखाई दे। यहां तक कि एक गिलास भी टूटा हो।”
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Mohan Bhagwat: ’75 की उम्र में पद छोड़ देना चाहिए, दूसरों को मिले मौका’, मोहन भागवत ने किसकी ओर किया इशारा?

Mohan Bhagwat: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि नेताओं को 75 साल की उम्र में सेवानिवृत्त हो जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ’75 साल का होने पर जब किसी नेता को शॉल ओढ़ाई जाती है, तो इसका एक मतलब है। ये मतलब यह है कि उनकी उम्र हो चुकी है। आपको बाकियों को मौका देना चाहिए।’ आरएसएस प्रमुख ने यह बयान 9 जुलाई को नागपुर में आरएसएस के एक विचारक दिवंगत मोरोपंत पिंगले को समर्पित एक किताब के विमोचन के मौके पर दिया है।
संघ प्रमुख ने ‘मोरोपंत पिंगले: द आर्किटेक्ट ऑफ हिंदू रिसर्जेंस’नाम के पुस्तक का विमोचन करते हुए कहा कि एक बार पिंगले ने कहा था, ’75 वर्ष के होने के बाद अगर आपको शॉल देकर सम्मानित किया जाता है, इसका मतलब है कि आपको अब रुक जाना चाहिए, आपकी आयु हो चुकी है; हट जाइए और दूसरों को आगे आने दीजिए।’
दरअसल 2014 में जब से नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्र में बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार बनी है, पार्टी ने एक अघोषित परंपरा रही है। परंपरा यह है कि 75 वर्ष के हो जाने पर इसके नेता रिटायरमेंट ले लेते हैं। लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर, जसवंत सिंह जैसे बड़े नेताओं के नाम इस लिस्ट में शामिल हैं। पार्टी के कई पूर्व सांसदों, राज्यपालों को इसी वजह से न तो टिकट मिला और ना ही उनका कार्यकाल बढ़ाया गया। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर में इसी विचार के तहत एक ऐसी टिप्पणी कर दी है, जिसे पीएम मोदी के रिटायरमेंट से जोड़ा जा रहा है।
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Principal Murder: गुरु पूर्णिमा पर दो छात्रों ने चाकू मारकर प्रिंसिपल की हत्या की, बाल काटकर आने की दी थी सलाह

Hisar: हरियाणा के हिसार के बास बादशाहपुर गांव में स्थित एक स्कूल के प्रिंसिपल की दो छात्रों ने कथित तौर पर चाकू मारकर हत्या कर दी। गुरु पूर्णिमा के दिन हुई इस घटना ने पूरे इलाके को हिलाकर रख दिया है। जानकारी के अनुसार, गुरुवार सुबह करतार मेमोरियल सीनियर सेकेंडरी स्कूल में उस समय अफरा-तफरी मच गई, जब दो छात्रों ने प्रिंसिपल जगबीर सिंह पर चाकू से ताबड़तोड़ वार करना शुरू कर दिया। बताया जा रहा है कि छात्रों के अचानक किए इस हमले में जगबीर सिंह को गंभीर चोटें आईं और उनकी मौके पर ही मौत हो गई। घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची और मामले की जांच शुरू कर दी।
हांसी के एसपी ने जानकारी दी है कि प्रारंभिक जांच में पता चला है कि प्रिंसिपल जगबीर सिंह ने दोनों छात्रों को स्कूल में बाल काटकर आने और अनुशासन में रहने की सलाह दी थी। इस बात से नाराज होकर दोनों नाबालिग छात्रों ने प्रिंसिपल पर चाकू से हमला कर उनकी हत्या कर दी। उन्होंने आगे कहा कि दोनों आरोपी छात्र नाबालिग हैं और अभी तक उनकी गिरफ्तारी नहीं की गई है।
पुलिस ने स्कूल परिसर के सीसीटीवी फुटेज खंगालने शुरू कर दिए हैं और प्रत्यक्षदर्शियों के बयान दर्ज किए जा रहे हैं। एसपी ने बताया कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और विस्तृत जांच के बाद ही हत्या के सटीक कारणों और परिस्थितियों का खुलासा हो पाएगा।
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