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‘बबुआ’ और ‘बुआ’ आएंगे और करीब,अखिलेश का बड़ा दांव,2019 में बसपा से कम सीट पर भी कर सकते हैं समझौता

मैनपुरी : यूपी के उपचुनावों में विपक्षी दलों के साझा गठबंधन को मिली सफलता ने उन्हें और भी करीब ला दिया है। बीजेपी को 2019 में मात देने के लिए सपा किसी भी सूरत में बसपा का साथ नहीं छोड़ना चाहती है. यही वजह है कि सपा यूपी में बसपा की जूनियर पार्टनर बनने को भी तैयार है.
2019 लोकसभा चुनाव से पहले गठबंधन को लेकर बसपा अध्यक्ष मायावती का दबाव काम आने लगा है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने रविवार को मैनपुरी में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि गठबंधन के लिए वह त्याग को तैयार हैं और अगर उन्हें गठबंधन करने के लिए दो-चार सीटें कम पर भी समझौता करना पड़े तो वह पीछे नहीं हटेंगे.
दरअसल मायावती ने कैराना लोकसभा उपचुनाव के पहले साफ कर दिया था कि अगर उन्हें सम्मानजनक सीटें नहीं मिलीं तो उनकी पार्टी अकेले ही चुनाव लड़ेगी. मायावती के इस बयान को राजनीतिक तौर पर एक बड़े बयान के तौर पर देखा जा रहा था, जिसमें उन्हें बड़ा पार्टनर मानने की एक जिद निहित थी.
मैनपुरी में अखिलेश यादव ने एक बार फिर गठबंधन के लिए मायावती के सामने अपने हथियार डाल दिए हैं, और त्याग के नाम पर उन्होंने वर्तमान राजनीतिक हालातों में उन्हें खुद से ज्यादा ताकतवर मंजूर भी कर लिया है. अब देखना यह है अखिलेश यादव के लगभग जूनियर पार्टनर बनने के लिए तैयार हो जाने के बाद कितनी सीटों पर दोनों पार्टियों के बीच समझौता होता है.
गौरतलब है कि यूपी में कुल 80 संसदीय सीटें है. 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में बीजेपी गठबंधन ने 73 सीटों पर जीत हासिल की थी. सपा को 5 और कांग्रेस को 2 सीटें मिली थी. जबकि बसपा का खाता भी नहीं खुला था. इसी तरह से पिछले साल हुए यूपी विधानसभा चुनाव में सपा ने बसपा से ज्यादा सीटें जीतने में कामयाब रही थी. हालांकि इन चुनावों में दोनों पार्टियां अलग-अलग चुनाव लड़ी थी.
फूलपुर-गोरखपुर उपचुनाव में सपा को बसपा ने समर्थन किया था. इसका नतीजा था कि बीजेपी को करारी हार मिली. इसके बाद से दोनों पार्टियां के बीच रिश्ते मजबूत हुए हैं. यही वजह है कि अखिलेश यादव बसपा का साथ किसी भी सूरत में छोड़ने को तैयार नहीं है.
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Mumbai Attack: अमेरिका से तहव्वुर राणा को लेकर भारतीय एजेंसियां रवाना, देर रात तक भारत पहुंचने की उम्मीद

Mumbai Attack: मुंबई के 26/11 हमले के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा को भारत लाया जा रहा है। अमेरिका की ओर से प्रत्यर्पण संधि के तहत सौंपे जाने के बाद भारतीय एजेंसियों की एक टीम तहव्वुर राणा को लेकर स्पेशल फ्लाइट से भारत के लिए रवाना हो चुकी हैं। ये विमान बीच में एक अज्ञात जगह पर कुछ देर के लिए ठहरेगा और फिर जब वो उड़ान भरेगा तो आज देर रात या कल सुबह तड़के मुंबई हमले का गुनहगार भारत पहुंचेगा। राणा को मुंबई की आर्थर रोड जेल में रखने की तैयारी है।
राणा के प्रत्यर्पण पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को खारिज कर दी थी। इसके बाद तहव्वुर ने भारत आने से बचने के लिए याचिका दायर की थी। उसने अपनी याचिका में खुद को पार्किंसन बीमारी से पीड़ित बताते हुए कहा था कि अगर भारत डिपोर्ट किया गया तो उसे प्रताड़ित किया जा सकता है। राणा को एफबीआई ने 2009 में अमेरिका में लश्कर-ए-तैयबा का समर्थन करने के लिए दोषी ठहराया गया था। अब तक उसे लॉस एंजिल्स के एक डिटेंशन सेंटर में बंद ऱखा गया था।
गौरतलब है कि तहव्वुर राणा 26/11 मुंबई आतंकी हमलों के आरोपी डेविड हेडली का करीबी रहा है। ऐसे में उसके भारत पहुंचने के बाद मुंबई आतंकी हमले की साजिश से जुड़े कई राज खुलने की उम्मीद है। 26 नवंबर 2008 को मुंबई में आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने चार दिनों तक अलग-अलग जगहों पर हमले किए थे। इन हमलों में कुल 175 लोग मारे गए, जिनमें 9 हमलावर भी शामिल थे, और 300 से अधिक लोग घायल हुए थे।
मुंबई हमले की 405 पन्नों की चार्जशीट में राणा का नाम बतौर आरोपी दर्ज है। इसके मुताबिक राणा पाक खूफिया एजेंसी ISI और आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का मेंबर है। राणा हमले के मास्टरमाइंड मुख्य आरोपी डेविड कोलमैन हेडली की मदद कर रहा था। राणा ने ही हेडली को मुंबई में फर्स्ट वर्ल्ड नाम से एक ऑफिस खोलने में मदद की। यह ऑफिस उसने अपनी आतंकी गतिविधियों को छुपाने के लिए खोला था।
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Indian Navy: फ्रांस से 26 राफेल मरीन फाइटर जेट खरीदेगा भारत, नौसेना की बढ़ेगी ताकत

Indian Navy: भारत ने फ्रांस से 26 राफेल मरीन फाइटर जेट खरीदने के लिए मेगा डील को मंजूरी दे दी है। 64,000 करोड़ रुपये से अधिक के इस सरकारी सौदे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली सुरक्षा पर कैबिनेट कमेटी (CCS) ने 9 अप्रैल यानी आज मुहर लगाई। डील के तहत भारतीय नौसेना को 22 सिंगल-सीटर और चार ट्विन-सीटर विमान मिलेंगे। फ्रांस से मिलने वाले राफेल-एम जेट को भारतीय नौसेना के विमानों के बेड़े में शामिल किया जाएगा। यह सौदा भारतीय वायुसेना के राफेल विमानों की क्षमताओं को भी अपग्रेड करने में मदद करेगा।
जुलाई 2023 में रक्षा मंत्रालय ने फ्रांस से 26 राफेल मरीन फाइटर जेट विमानों की खरीद को मंजूरी दी थी। इसे स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत और आईएनएस विक्रमादित्य पर तैनात किया जाएगा। राफेल मरीन विमानों की भारत को डिलीवरी 2029 के अंत से शुरू होगी और 2031 तक भारतीय नौसेना को सभी 26 विमान मिल जाएंगे। रक्षा मंत्रालय ने फ्रांस से तीन स्कॉर्पीन पनडुब्बियों की खरीद को भी मंजूरी दी थी। हालांकि, सीसीएस ने अभी तक इस डील को मंजूरी नहीं दी है।
भारतीय नौसेना की सामरिक ताकत में इजाफा
राफेल-एम जेट फ्रांस की डसॉल्ट एविएशन कंपनी की ओर से तैयार किए गए भारतीय वायुसेना के राफेल विमानों की तरह अत्याधुनिक तकनीक और क्षमता से लैस होंगे। यह विमान भारतीय नौसेना के लिए एक गेम-चेंजर साबित होंगे, जो हिंद महासागर में उसकी क्षमता को बढ़ाएंगे। इन जेट का इस्तेमाल विमानवाहक पोत पर भी किया जाएगा, जिससे भारतीय नौसेना की सामरिक ताकत में काफी इजाफा होगा।
पाकिस्तान के खिलाफ मिलेगी रणनीतिक बढ़त
फ्रांस से 26 राफेल मरीन फाइटर जेट का सौदा केवल रक्षा क्षेत्र के लिए ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि यह भारतीय सामरिक ताकत को भी एक नई दिशा देगा। इससे न केवल वायुसेना और नौसेना की क्षमता में वृद्धि होगी, बल्कि यह चीन और पाकिस्तान जैसी ताकतों के खिलाफ भी भारत को रणनीतिक बढ़त प्रदान करेगा।
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Waqf Amendment Act: देशभर में लागू हुआ वक्फ कानून, सरकार ने जारी की अधिसूचना

Waqf Amendment Act: वक्फ संशोधन कानून मंगलवार 8 मार्च से देशभर में लागू हो गया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है। पिछले सप्ताह संसद और राष्ट्रपति ने दी वक्फ संशोधन अधिनियम को मंजूरी दी थी। सरकार ने इसका नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया था, लेकिन यह तय नहीं था कि नया कानून कब से लागू होगा। मंगलवार को केंद्र सरकार ने अधिसूचना जारी करते हुए कहा कि वक्फ संशोधन कानून आठ अप्रैल से प्रभावी होगा। वक्फ संशोधन बिल को पास होने के बाद से अबतक सुप्रीम कोर्ट में 12 याचिकाएं दाखिल हो चुकी हैं। वहीं, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने 11 अप्रैल से पूरे देश में विरोध प्रदर्शन करने की घोषणा की है।
इधर पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में वक्फ बिल वापस लेने की मांग को लेकर मुस्लिम संगठन का प्रदर्शन हिंसक हो गया। इस दौरान भीड़ ने पुलिस की गाड़ियों पर हमला कर दिया। उपद्रवियों ने पुलिस की कई गाड़ियों को भी आग के हवाले कर दिया। प्रदर्शनकारियों से झड़प में कई पुलिसकर्मी घायल हैं। पुलिस ने उपद्रवियों को खदेड़ने के लिए आंसू गैस के गोले दागे और लाठीचार्ज किया। तनाव को देखते हुए भारी पुलिसबल मौके पर तैनात किया गया है।
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SIM Card: आपके सिम कार्ड में तो नहीं है चीनी चिप, भारत सरकार उठा रही है बड़ा कदम

SIM Card: राष्ट्रीय सुरक्षा में साइबर चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार जल्द ही एक बड़ा कदम उठाने जा रही है। यदि आप अपने मोबाइल में पुराना सिम कार्ड इस्तेमाल कर रहे हैं, तो हो सकता है कि आपको अपना सिम कार्ड बदलना पड़े। भारत सरकार मोबाइल फोन में उपयोग हो रहे पुराने सिम कार्ड्स को बदलने पर विचार कर रही है। दरअसल देश की प्रमुख साइबर सुरक्षा एजेंसी द्वारा की गई एक जांच में सामने आया है, कि कुछ सिम कार्ड्स में इस्तेमाल हो रहे चिपसेट्स चीन से आए थे। यह जांच राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा समन्वयक (National Cyber Security Coordinator- NCSC) और गृह मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से की गई थी। भारत सरकार जांच में राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर साइबर चुनौतियों के विभिन्न पहलुओं की समीक्षा कर रही है और पुराने सिम कार्ड्स को बदलने की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं।
क्या है मामला?
मिंट की एक रिपोर्ट के अनुसार, NCSC ने देश के प्रमुख टेलीकॉम ऑपरेटर्स जैसे रिलायंस जिओ, एयरटेल और वोडाफोन आइडिया (Vi) के वरिष्ठ अधिकारियों और दूरसंचार मंत्रालय के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की। इस बैठक में सिम कार्ड आपूर्ति प्रक्रिया की खामियों और पुराने सिम कार्ड्स को बदलने के लिए एक रूपरेखा पर चर्चा की गई। पिछले कुछ वर्षों में भारत ने हुआवेई (Huawei) और जेडटीई (ZTE) जैसे चीनी उपकरण निर्माताओं पर प्रतिबंध लगा दिया है। अब राष्ट्रीय सुरक्षा को और पुख्ता करने के लिए सरकार ने नियम बनाया है कि देश में किसी भी प्रकार के टेलीकॉम उपकरण के आयात, बिक्री या उपयोग से पहले उनकी अनिवार्य टेस्टिंग और प्रमाणन किया जाएगा। यह प्रक्रिया यह सुनिश्चित करती है कि जो भी टेलीकॉम उपकरण भारत में उपयोग किए जाएं, वे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा, प्रदर्शन और गुणवत्ता मानकों पर खरे उतरें।
किन सिम कार्ड्स पर हो सकता है असर
मार्च 2021 में दूरसंचार विभाग (DoT) ने Unified Access Service License में संशोधन किया था, जिसमें कहा गया था कि टेलीकॉम कंपनियां किसी अविश्वसनीय वेंडर से? उपकरण नहीं खरीद सकेंगी। NCSC को यह जिम्मेदारी दी गई कि वह केवल विश्वसनीय आपूर्तिकर्ताओं को ही मंजूरी देगा, लेकिन जांच में पाया गया कि कुछ वेंडर्स ने इस प्रणाली का भी दुरुपयोग किया और उनके द्वारा आपूर्ति किए गए चिप्स में चीनी घटक शामिल थे। इसलिए प्रभावित सिम कार्ड्स 2021 से पहले और बाद के समय दोनों से जुड़े हो सकते हैं।
भारतीय सिम कार्ड्स में चीनी चिप्स कैसे पहुंचे?
देश में सेवाएं दे रहीं टेलीकॉम कंपनियां सर्टिफाइड वेंडर्स से सिम कार्ड्स खरीदती हैं। ये वेंडर्स चिप्स को विश्वसनीय स्रोतों जैसे वियतनाम या ताइवान से मंगवाकर भारत में ही उनका असेंबली, पैकेजिंग और सीरियलाइजेशन करते हैं, लेकिन जांच में सामने आया कि कुछ वेंडर्स ने ट्रस्टेड सोर्स सर्टिफिकेशन का दुरुपयोग किया। पहले उन्होंने यह दर्शाया कि उनके द्वारा उपयोग किए गए चिप्स विश्वसनीय स्रोतों से आए हैं, लेकिन बाद में पता चला कि कुछ चिप्स वास्तव में चीन से मंगवाए गए थे।
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Petrol-Diesel Price: सरकार ने एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई, जाने आम लोगों पर क्या पड़ेगा असर

Petrol-Diesel Price: केंद्र सरकार ने सोमवार को पेट्रोल और डीजल पर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी में 2-2 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी कर दी। हालांकि सरकार ने ये साफ किया है कि एक्साइज ड्यूटी बढ़ने से आम जनता पर कोई बोझ नहीं पड़ेगा। यानी पेट्रोल-डीजल के दामों में कोई बढ़ोतरी नहीं होगी। यह फैसला अंतरराष्ट्रीय तेल कीमतों में जारी उतार-चढ़ाव और ट्रंप प्रशासन की ओर से जवाबी टैरिफ के ऐलान के बीच लिया गया है। सरकार की ओर से एक आधिकारिक आदेश जारी कर इसकी जानकारी दी गई।
पेट्रोल-डीजल पर कितनी लगेगी एक्साइज ड्यूटी
सरकार ने सोमवार को पेट्रोल और डीजल पर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी में दो-दो रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की है। अभी सरकार पेट्रोल पर 19.90 रुपए लीटर और डीजल पर 15.80 रुपए लीटर एक्साइज ड्यूटी वसूल रही है। इस बढ़ोतरी के बाद पेट्रोल पर 21.90 रुपए लीटर और डीजल पर 17.80 रुपए लीटर ड्यूटी लगेगी। सरकार की ओर से जैसे ही पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाने की अधिसूचना जारी की गई। पेट्रोल-डीजल के दाम में भी बढ़ोतरी की अटकलें लगने लगीं। हालांकि बाद में स्थिति स्पष्ट की गई, कि पेट्रोल-डीजल की खुदरा कीमतों पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
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