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दुर्ग में CM ने शुद्ध पेयजल के लिए अमृत मिशन फेज-1 समेत करोड़ों के कार्यों का किया लोकार्पण-भूमिपूजन, जिला अस्पताल को मिली हाइटेक सर्जिकल यूनिट और हमर लैब

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दुर्ग: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल शुक्रवार को जिले के दौरे पर पहुंचे। इस दौरान उन्होंने तय कार्यक्रम के अनुसार 233 करोड़ रुपए के विभिन्न विकास कार्यों का लोकार्पण-भूमिपूजन किया। मुख्यमंत्री ने जिला उद्योग एवं व्यापार केंद्र के नवीन कार्यालय भवन के लोकार्पण समारोह में उद्योगपतियों की मांग पर दुर्ग में भी रायपुर की तरह होलसेल कॉरिडोर बनाने की घोषणा की। उन्होंने कलेक्टर को इसके लिए जमीन चिन्हांकन के निर्देश दिए।

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने 17 करोड़ की लगात से निर्मित प्रयास आवासीय विद्यालय का लोकार्पण किया। इस अवसर पर उन्होंने विद्यालय के छात्र-छात्राओं से क्लास रूम इंटरेक्शन किया। मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम के दौरान बच्चों की हर जिज्ञासा को सरल शब्दों में उदाहरण के साथ समझाकर दूर किया। सीएम ने बच्चों के साथ लंच भी किया। उन्होंने भोजन के दौरान बच्चों से उनकी पढ़ाई लिखाई के बारे में बात की।

हॉकी प्रेमियों को एस्ट्रोटर्फ की सौगात

दुर्ग के गंज मंडी में आयोजित आमसभा में मुख्यमंत्री ने हॉकी प्रेमियों के लिए एस्ट्रोटर्फ बनाने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि सबा अंजुम की तरह ही हॉकी की अन्य प्रतिभाएं भी निखरें, इसके लिए एस्ट्रोटर्फ आवश्यक है। मुख्यमंत्री ने कहा कि दुर्ग जिले के सर्वांगीण विकास के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। दुर्ग शहर के विकास के लिए अधोसंरचना के क्षेत्र में बड़े कार्य किये जा रहे हैं। जिला चिकित्सालय में सर्जिकल यूनिट और हमर लैब का लोकार्पण किया गया है। जिला अस्पताल में बनाए गए हमर लैब में काफी कम कीमत पर पैथोलॉजी की सुविधाएं मिलेंगी।

अमृत मिशन फेस-1 योजना का शुभारंभ

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मुख्यमंत्री बघेल ने जिले के वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में अमृत मिशन फेस-1 का लोकार्पण किया। अमृत मिशन फेस-1, 140 करोड़ रुपए लागत वाली इस योजना से 32000 परिवारों को शुद्ध पेयजल की आपूर्ति हो सकेगी। इस योजना के अंतर्गत वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के रिनोवेशन के साथ ही साथ पाइपलाइन विस्तारीकरण तथा पांच टंकियों के निर्माण कार्य भी शामिल हैं।

स्मृति नगर में टेनिस कोर्ट का किया लोकार्पण

मुख्यमंत्री ने भिलाई के स्मृति नगर में टेनिस कोर्ट का लोकार्पण किया। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने टेनिस का रैकेट थामा और टेनिस के कुशल खिलाड़ी की तरह सर्विस शाट लगाया। उनके सामने महापौर नीरज पाल थे। इस मौके पर चर्चा में उन्होंने कहा कि यह बहुत अच्छी बात है कि दुर्ग-भिलाई में खेलों की शानदार अधोसंरचना तैयार हो रही है। हमने खेल अधोसंरचना को प्राथमिकता में रखा है।

 

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Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में वैकल्पिक उर्वरकों की कोई कमी नहीं, सहकारी समितियों में एक लाख बॉटल नैनो DAP का किया जा रहा भंडारण

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Chhattisgarh: There is no shortage of alternative fertilizers in Chhattisgarh, one lakh bottles of Nano DAP are being stored in cooperative societies

Raipur: राज्य में खरीफ सीजन 2025 के दौरान विभिन्न प्रकार के रासायनिक उर्वरकों की मांग को देखते हुए छत्तीसगढ़ सरकार ने समय रहते न सिर्फ इसकी ठोस व्यवस्था सुनिश्चित की, बल्कि रासायनिक उर्वरकों की आपूर्ति भंडारण एवं वितरण व्यवस्था पर भी लगातार निगरानी रख रही है, जिसके चलते राज्य में रासायनिक उर्वरकों के भंडारण एवं उठाव की स्थिति बेहतर बनी हुई है। डीएपी की कमी को पूरा करने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने एनपीके, सुपर फास्फेट और नेनो डीएपी जैसे वैकल्पिक उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित कर किसानों के हितों का ध्यान रखा है। छत्तीसगढ़ में अब तक विभिन्न प्रकार के 12.27 लाख मीट्रिक टन उर्वरकों का भंडारण कर लिया गया है, जिससे खरीफ सीजन में किसानों को समय पर पर्याप्त उर्वरक उपलब्ध हो सकें।

छत्तीसगढ़ राज्य में खरीफ 2025 में पूर्व में कुल 14.62 लाख मीट्रिक टन उर्वरक वितरण का लक्ष्य निर्धारित था। इसमें यूरिया 7.12 लाख, डी.ए.पी. 3.10 लाख, एन.पी.के. 1.80 लाख, पोटाश 60 हजार तथा सुपर फास्फेट 2 लाख मीट्रिक टन शामिल हैं। वर्तमान में कुल 12.27 लाख मीट्रिक टन उर्वरक का भंडारण किया जा चुका है। डीएपी की आपूर्ति में कमी के चलते उर्वरक वितरण के लक्ष्य को संशोधित कर अन्य वैकल्पिक उर्वरकों जैसे- एनपीके, एसएसपी के लक्ष्य में 4.62 लाख मीट्रिक टन की उल्लेखनीय वृद्धि की है, जिसके चलते खरीफ सीजन 2025 में विभिन्न प्रकार के रासायनिक उर्वरकों की वितरण का लक्ष्य 17.18 लाख मीट्रिक टन हो गया है।

राज्य में अब तक 5.63 लाख मीट्रिक टन यूरिया का भंडारण एवं 3.76 लाख मीट्रिक टन का वितरण किया गया है। किसानों को अभी 1.86 लाख मीट्रिक टन यूरिया वितरण हेतु उपलब्ध है। यहां यह उल्लेखनीय है कि यूरिया का उपयोग धान फसल में तीन बार किया जाता है। पहली बार बुवाई अथवा रोपाई के समय कुल अनुशंसित मात्रा का 30 प्रतिशत, दूसरी बार 3 से 4 सप्ताह बाद कन्से निकलने के समय एवं तीसरी बार 7 से 8 सप्ताह बाद गभौट अवस्था में किया जाता है। इस प्रकार यूरिया का उपयोग बुवाई से लेकर सितंबर तक विभिन्न अवस्थाओं में किया जाना है, जिसके अनुरूप राज्य में यूरिया की चरणबद्ध आपूर्ति सुनिश्चित की गई है।

डी.ए.पी. के आयात में राष्ट्रीय स्तर पर कमी को देखते हुए राज्य शासन ने समय रहते वैकल्पिक उर्वरकों की दिशा में ठोस पहल की है, जिसके चलते एन.पी.के. को लक्ष्य बढ़ाकर 4.90 लाख तथा सुपर फास्फेट का 3.53 लाख मीट्रिक टन कर दिया गया। वर्तमान में एन.पी.के. 11 हजार एवं सुपर फास्फेट 54 हजार मीट्रिक टन, लक्ष्य से अधिक भंडारित है, जिससे 23 हजार 600 मीट्रिक टन डी.ए.पी. में उपलब्ध फॉस्फेट तत्व की पूर्ति होगी।

छत्तीसगढ़ राज्य को चालू माह जुलाई में आपूर्ति प्लान के अनुसार कुल 2.33 लाख मी. टन उर्वरक मिलेगी। जिसमें यूरिया 1.25 लाख, डी.ए.पी. 48,850, एन.पी.के. 34,380, पोटाश 10 हजार एवं सुपर फास्फेट 76 हजार मी. टन शामिल हैं। जुलाई के अंत तक डी.ए.पी. का कुल भंडारण 1.95 लाख मी. टन तक होने की उम्मीद है। राज्य में डी.ए.पी. की कमी से बचाव हेतु 25 हजार मी. टन सुपर फास्फेट एवं 40 हजार मी. टन एन.पी.के. के अतिरिक्त भंडारण का लक्ष्य तय किया गया है। साथ ही, नैनो डी.ए.पी. उर्वरक को बढ़ावा देने हेतु सहकारी क्षेत्र में एक लाख बाटल का भंडारण किया जा रहा है, जिससे 25 हजार मीट्रिक टन पारंपरिक डी.ए.पी. की आवश्यकता की पूर्ति होगी।

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छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा अप्रैल माह से ही वैकल्पिक उर्वरकों के प्रचार-प्रसार हेतु पोस्टर पैम्फलेट तैयार कर समस्त सहकारी समितियों एवं उपार्जन केन्द्रों में प्रदर्शित किए गए डीएपी, उर्वरक के स्थान पर अन्य वैकल्पिक उर्वरकों के उपयोग के बारे में किसानों को जानकारी दी गई। इसी कड़ी में कृषि वैज्ञानिकों एवं कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा किसानों को विकसित कृषि संकल्प अभियान के दौरान एन.पी.के, सुपर फास्फेट एवं नेनो डी.ए.पी. के वैज्ञानिक उपयोग का प्रशिक्षण भी दिया। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा कुशल प्रबंधन कर खरीफ 2025 में उर्वरकों की निर्बाध आपूर्ति की जा रही है।

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Chhattisgarh: उद्योग विभाग को सौंपा जाएगा जशप्योर का ट्रेडमार्क, छत्तीसगढ़ में लिया गया बड़ा निर्णय

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Chhattisgarh: Jashpure's trademark will be handed over to the Industry Department, a big decision taken in Chhattisgarh

Raipur: छत्तीसगढ़ के दूरस्थ अंचल जशपुर की आदिवासी महिलाओं के समूह द्वारा प्राकृतिक वनोपज का प्रसंस्करण कर तैयार की गई विभिन्न प्रकार की खाद्य सामग्रियों का ब्रांड जशप्योर अब जशपुर और छत्तीसगढ़ की सीमाओं से बाहर निकलकर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कदमताल करने को तैयार है।

मुख्यमंत्री साय के नेतृत्व में प्रधानमंत्री मोदी के वोकल फॉर लोकल अभियान को आत्मसात करते हुए एक अहम निर्णय लिया गया है, जिसके तहत जशपुर जिले की महत्वाकांक्षी महिला केंद्रित ब्रांड जशप्योर का ट्रेडमार्क अब उद्योग विभाग को हस्तांतरित किया जाएगा। यह ऐतिहासिक निर्णय जशप्योर को व्यापक उत्पादन, संस्थागत ब्रांडिंग और राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुँच दिलाने की दिशा में एक बड़ा और निर्णायक कदम है।

‘जशप्योर’- परंपरा को उद्यमिता से जोड़कर खोली उन्नति की राह

‘जशप्योर’ ब्रांड महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने वाला उपक्रम है, जिसे जशपुर जिले की आदिवासी महिलाओं द्वारा संचालित किया जाता है। इसका उद्देश्य प्राकृतिक, पोषणयुक्त और रसायनमुक्त खाद्य उत्पादों का निर्माण करते हुए स्थानीय समुदायों को रोजगार उपलब्ध कराना और सतत विकास को बढ़ावा देना है। इस ब्रांड का लक्ष्य छत्तीसगढ़ की समृद्ध कृषि और वनोपज का प्रसंस्करण कर खाद्य उत्पादों के रूप में तैयार करना तथा रोजगार से जोड़ते हुए व्यावसायिक स्तर पर इन्हें व्यापक पहचान दिलाना है।

जशप्योर के उत्पादों की मुख्य विशेषता यह है कि ये पूरी तरह से प्राकृतिक हैं। इनमें किसी भी प्रकार के प्रिज़र्वेटिव, रंग या कृत्रिम स्वाद का उपयोग नहीं किया जाता और ये सस्टेनेबल पैकेजिंग में उपलब्ध हैं। जशप्योर केवल एक ब्रांड नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ी माटी की महक, आदिवासी बहनों की मेहनत और आत्मनिर्भर छत्तीसगढ़ का प्रतीक बन चुका है।

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‘जशप्योर’ के उत्पाद बना रहे हैं अपनी अलग पहचान

जशप्योर द्वारा महुआ और अन्य वनोपज को शामिल करते हुए कई प्रकार के पारंपरिक और स्वास्थ्यवर्धक उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं। इनमें महुआ आधारित उत्पाद जैसे महुआ नेक्टर, महुआ वन्यप्राश, महुआ कुकीज़, रागी महुआ लड्डू, महुआ कैंडी और महुआ नेक्टर कोकोआ शामिल हैं। इसके अलावा, ढेकी कूटा जवा फूल चावल, मिलेट आधारित पास्ता और कोदो, कुटकी, रागी तथा टाऊ से बने विभिन्न उत्पाद भी पूरे भारत में अपनी पहचान बना रहे हैं।

महिला उद्यमिता को मिल रहा बढ़ावा

जशप्योर ब्रांड का उद्देश्य केवल व्यापार नहीं है, बल्कि यह आदिवासी महिलाओं के सशक्तिकरण और उनकी आर्थिक स्थिति को सुधारने का एक सशक्त प्रयास भी है। इस ब्रांड के माध्यम से महिलाओं को रोजगार का अवसर मिला है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हुई है और वे आत्मनिर्भर बनने की दिशा में अग्रसर हुई हैं। जशप्योर द्वारा निर्मित हर उत्पाद आदिवासी महिलाओं की मेहनत और समर्पण का प्रतीक है। ये उत्पाद देशभर के विभिन्न स्टोर्स पर उपलब्ध हैं, जो ब्रांड की व्यापक पहुंच का प्रमाण हैं। जशप्योर के सभी उत्पाद पूर्णतः प्राकृतिक हैं। इनमें किसी भी प्रकार के प्रिज़र्वेटिव, कृत्रिम रंग या स्वाद का उपयोग नहीं किया जाता। यह उत्पाद श्रृंखला न केवल स्वादिष्ट है, बल्कि पोषण से भरपूर और पर्यावरण-संवेदनशील पैकेजिंग में उपलब्ध है।

जशप्योर के प्रमुख उत्पादों में महुआ नेक्टर, महुआ वन्यप्राश, रागी महुआ लड्डू, महुआ कुकीज़, महुआ कोकोआ ड्रिंक, कोदो, कुटकी, रागी आधारित पास्ता और ढेकी कूटा चावल शामिल हैं।

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जशप्योर की सबसे खास बात इसकी महिला प्रधान कार्यशक्ति है। यहां 90 प्रतिशत से अधिक कर्मचारी आदिवासी महिलाएं हैं, जो उत्पादन से लेकर पैकेजिंग तक हर स्तर पर सक्रिय भूमिका निभा रही हैं। इस मंच के माध्यम से ये महिलाएं न केवल आत्मनिर्भर बन रही हैं, बल्कि परंपरागत ज्ञान और तकनीकों को आधुनिक बाजार में प्रस्तुत करने में भी सक्षम हो रही हैं।

वर्ल्ड फूड इंडिया 2024 में मिली सकारात्मक प्रतिक्रिया

20 सितंबर 2024 को नई दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित वर्ल्ड फूड इंडिया 2024 में जशप्योर का स्टॉल सभी के आकर्षण का केंद्र बना रहा। स्वस्थ जीवनशैली अपनाने वाले उपभोक्ताओं, पोषण विशेषज्ञों और उद्यमियों ने विशेष रुचि के साथ महुआ और मिलेट से बने उत्पादों की सराहना की। इन उत्पादों में कोई एडिटिव, प्रिज़र्वेटिव या स्टेबलाइजर नहीं है, जिससे ये पूरी तरह से प्राकृतिक, सुरक्षित और पोषणयुक्त हैं।

रेयर प्लेनेट के साथ ऐतिहासिक समझौता

जशप्योर की पहुंच अब देशभर के प्रमुख एयरपोर्ट स्टोर्स तक होगी। रेयर प्लेनेट के साथ हुए समझौते के तहत पहले चरण में पांच एयरपोर्ट्स पर महुआ और अन्य उत्पादों की बिक्री शुरू की जा रही है। यह पहल जशप्योर को राष्ट्रीय उपभोक्ताओं से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इस एमओयू पर हस्ताक्षर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय द्वारा ऑनलाइन माध्यम से किए गए, जो राज्य के स्थानीय उत्पादों को वैश्विक पहचान दिलाने की प्रतिबद्धता का प्रतीक है।

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जशप्योर – लोकल टू ग्लोबल की राह पर अग्रसर

जशप्योर से जुड़े जशपुर जिले के युवा वैज्ञानिक श्री समर्थ जैन ने बताया कि जिला प्रशासन और छत्तीसगढ़ शासन के प्रयासों से “महुआ को अब केवल शराब तक ही सीमित नहीं रखा जाएगा, बल्कि इसे फॉरेस्ट गोल्ड या ग्रीन गोल्ड के रूप में भी देखा जाएगा।” जशप्योर ने यह साबित कर दिया है कि स्वास्थ्यवर्धक भोजन स्वादिष्ट भी हो सकता है। उनका मानना है कि शासन की इस पहल से जशप्योर को लोकल टू ग्लोबल ब्रांड बनाने में मदद मिलेगी और निश्चित ही यह निर्णय प्रदेश भर में वनोपज और स्थानीय उत्पादकों के लिए नए अवसरों के द्वार खोलेगा।

ब्रांड ट्रेडमार्क हस्तांतरण के इस ऐतिहासिक निर्णय से जशप्योर को प्रोत्साहन मिलने के साथ ही कच्चे माल की माँग में वृद्धि होगी और आदिवासी महिलाओं को रोजगार के अधिक अवसर प्राप्त होंगे। इस निर्णय से जशप्योर ब्रांड का ट्रेडमार्क उद्योग विभाग को हस्तांतरित किया जाएगा, ताकि इसके दायरे और प्रभाव को और व्यापक बनाया जा सके। इससे जशप्योर के उत्पादों को विश्वस्तरीय बनाने, उत्पादन में वृद्धि के लिए उन्नत मशीनें लगाने और प्रभावी मार्केटिंग सुनिश्चित करने का मार्ग प्रशस्त होगा।

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Chhattisgarh: दूरस्थ क्षेत्रों में बेहतर कनेक्टीविटी के लिए लगेंगे 5000 टॉवर, ऑनलाइन होंगी 250 अन्य सेवाएं, CM साय का बड़ा ऐलान

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Chhattisgarh: 5000 towers will be installed for better connectivity in remote areas, 250 other services will be available online, CM Sai makes a big announcement

Raipur: मुख्यमंत्री साय ने आज मंत्रालय महानदी भवन में इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग की गहन समीक्षा बैठक ली। इस दौरान उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि प्रदेश के दूरस्थ क्षेत्रों, विशेष रूप से बस्तर एवं सरगुजा संभागों में नए मोबाइल टॉवर लगाने तथा फाइबर नेटवर्क लाइन बिछाने जैसे कार्यों में तेजी लाई जाए। मुख्यमंत्री ने आने वाले समय में राज्य में समय सीमा के भीतर चरणबद्ध रूप से 5,000 से अधिक मोबाइल टॉवर लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि ई-डिस्ट्रिक्ट 2.0 के माध्यम से वर्तमान में विभिन्न विभागों की 85 ऑनलाइन सेवाओं का विस्तार करते हुए 250 अन्य ऑफलाइन सेवाओं को भी ऑनलाइन सेवाओं में तब्दील किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यदि योजनाओं का लाभ लोगों को घर बैठे ही ऑनलाइन प्राप्त होगा, तो इससे समय की बचत होगी तथा कार्यालय आने-जाने में होने वाला खर्च भी कम होगा। इसके साथ ही टीयर-थ्री के अनुरूप स्टेट डाटा सेंटर को अपग्रेड करने की भी बात कही गई।

मुख्यमंत्री साय ने बैठक में प्रदेश में विभाग द्वारा संचालित प्रमुख परियोजनाओं—अटल मॉनिटरिंग पोर्टल, नियद नेल्लानार एवं L.W.E. सैचुरेशन डैशबोर्ड, भारतनेट फेस-2, छत्तीसगढ़ स्टेट डाटा सेंटर (CGSDC), आधार एनरोलमेंट इन-हाउस मॉडल, ई-डिस्ट्रिक्ट 2.0, सीजी स्वान, ई-प्रोक्योरमेंट तथा कैपेसिटी बिल्डिंग सहित अन्य योजनाओं की प्रगति की जानकारी ली।

इस दौरान प्रमुख सचिव निहारिका बारिक ने विगत सवा साल में विभाग द्वारा अर्जित महत्वपूर्ण उपलब्धियों का विवरण प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि विगत 4 वर्षों से लंबित डाटा सेंटर के अपग्रेडेशन की निविदा प्रक्रिया पूर्ण की गई, खनिज 2.0 पोर्टल का गो लाइव किया गया, वाई-फाई मंत्रालय योजना तथा ई-डिस्ट्रिक्ट पोर्टल सफलतापूर्वक शुरू हुए। इसके साथ ही भारतनेट फेज-2 परियोजना का प्रस्ताव भारत सरकार को प्रेषित किया गया एवं अटल मॉनिटरिंग पोर्टल डैशबोर्ड का निर्माण कर 19 विभागों की 100 योजनाओं के KPI इसमें प्रदर्शित किए गए हैं।

इस बैठक में इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग की प्रमुख सचिव निहारिका बारिक सिंह, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव सुबोध सिंह, मुख्यमंत्री के सचिव राहुल भगत, चिप्स के मुख्य कार्यपालन अधिकारी प्रभात मलिक सहित विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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Chhattisgarh: डीएपी की कमी पूरा करने सरकार ने बढ़ाया NPK-SSP का कोटा, मुख्यमंत्री ने कहा किसानों को परेशान होने की जरूरत नहीं

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Chhattisgarh: To meet the shortage of DAP, the government increased the quota of NPK-SSP, the Chief Minister said that farmers need not worry

Raipur: देश में डीएपी खाद के आयात में कमी के चलते चालू खरीफ सीजन में राज्य में डीएपी की आपूर्ति प्रभावित होने का वैकल्पिक मार्ग छत्तीसगढ़ सरकार ने निकाल लिया है। किसानों को डीएपी खाद की किल्लत के चलते परेशान होने की जरूरत नहीं है। डीएपी के बदले किसानों को भरपूर मात्रा में इसके विकल्प के रूप में एनपीके और एसएसपी खाद की उपलब्धता सोसायटियों के माध्यम सुनिश्चित की जा रही है। डीएपी की कमी को पूरा करने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने एनपीके (20ः20ः013) और एनपीके (12ः32ः13) के वितरण लक्ष्य में 3.10 लाख मेट्रिक टन तथा एसएसपी के वितरण लक्ष्य में 1.80 लाख मेट्रिक टन की वृद्धि करने के साथ ही इसके भण्डारण एवं वितरण की भी पुख्ता व्यवस्था सुनिश्चित की है। एनपीके और एसएसपी के लक्ष्य में वृद्धि होने के कारण चालू खरीफ सीजन में विभिन्न प्रकार के रासायनिक उर्वरकों का वितरण लक्ष्य 14.62 लाख मेट्रिक टन से 17.18 लाख मेट्रिक टन हो गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा है कि डीएपी खाद की कमी को लेकर किसानों को परेशान होने की जरूरत नहीं है। इसके विकल्प के रूप में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा अन्य रासायनिक उर्वरक जैसे-एनपीके और एसएसपी की भरपूर व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। इंदिरा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों और कृषि विभाग के अधिकारियों के सुझाव के अनुरूप किसान डीएपी के बदले उक्त उर्वरकों का प्रयोग कर बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। सोसायटियों से किसानों को उनकी डिमांड के अनुसार खाद-बीज की उपलब्धता सुनिश्चित हो, इस पर कड़ी निगाह रखी जा रही है। किसानों की समस्याओं का समाधान सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।

यहां यह उल्लेखनीय है कि चालू खरीफ सीजन में 14.62 लाख मेट्रिक टन उर्वरक वितरण का लक्ष्य कृषि विभाग द्वारा निर्धारित किया गया था, जिसमें यूरिया 7.12 लाख मेट्रिक टन, डीएपी 3.10 लाख मेट्रिक टन, एनपीके 1.80 लाख मेट्रिक टन, एमओपी 60 हजार मेट्रिक टन, एसएसपी 2 लाख मेट्रिक टन शामिल था। डीएपी के कमी को देखते हुए कृषि विभाग ने इस लक्ष्य को संशोधित किया है। डीएपी की आपूर्ति की कमी चलते इसके लक्ष्य को 3.10 लाख मेट्रिक टन से कमकर 1.03 लाख मेट्रिक टन किया गया है, जबकि एनपीके के 1.80 लाख मेट्रिक टन के लक्ष्य को बढ़ाकर 4.90 लाख मेट्रिक टन और एसएसपी के 2 लाख मेट्रिक टन को बढ़ाकर 3.53 लाख मेट्रिक टन कर दिया गया है। यूरिया और एमओपी के पूर्व निर्धारित लक्ष्य को यथावत् रखा गया है। इस संशोधित लक्ष्य के चलते रासायनिक उर्वरकों के वितरण की मात्रा 14.62 लाख मेट्रिक टन से बढ़कर अब 17.18 लाख मेट्रिक टन हो गई है।

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि डीएपी की कमी को अन्य उर्वरकों के निर्धारित मात्रा का उपयोग कर पूरी की जा सकती है और फसल उत्पादन बेहतर किया जा सकता है। फसलों के लिए जरूरी पोषक तत्व जैसे नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश सहित मात्रा में मिले तो उपज में कोई कमी नहीं आती है। डीएपी की कमी को देखते हुए किसानों को अन्य फॉस्फेट खादों के उपयोग की सलाह दी है। डीएपी के प्रत्येक बोरी में 23 किलोग्राम फॉस्फोरस और 9 किलोग्राम नाइट्रोजन होता है। इसके विकल्प के रूप में तीन बोरी एसएसपी और एक बोरी यूरिया का उपयोग करने से पौधों को पर्याप्त मात्रा में फॉस्फोरस, कैल्सियम, नाइट्रोजन और सल्फर मिल जाता है। एसएसपी उर्वरक पौधों की वृद्धि के साथ-साथ जड़ों के विकास में भी सहायक है, इसके उपयोग से फसल की क्वालिटी और पैदावार बढ़ाने में मदद मिलती है। डीएपी की कमी को दूर करने के लिए किसान जैव उर्वरकों का भी उपयोग कर सकते हैं।

कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार खरीफ-2025 में किसानों को विभिन्न प्रकार के रासायनिक उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए 12.13 लाख मेट्रिक टन उर्वरकों का भंडारण कराया गया है, जिसमें से 7.29 लाख मेट्रिक टन का वितरण किसानों को किया जा चुका है। राज्य में वर्तमान में सहकारी और निजी क्षेत्र में 4.84 लाख मेट्रिक टन खाद वितरण हेतु उपलब्ध है।

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Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में जीएसटी कलेक्शन में ऐतिहासिक बढ़त, 18% वृद्धि दर के साथ देश में अव्वल

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Chhattisgarh: Historical growth in GST collection in Chhattisgarh, tops the country with 18% growth rate

Raipur: मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज मंत्रालय स्थित महानदी भवन में वाणिज्यिक कर (जीएसटी) विभाग की समीक्षा बैठक ली। उन्होंने विभाग के कार्यों एवं राजस्व संग्रहण की विस्तार से जानकारी प्राप्त की और कर संग्रहण बढ़ाने के उपायों पर कार्य करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री साय ने कहा कि कर की राशि का उपयोग देश और प्रदेश के विकास कार्यों में होता है, इसलिए सभी को ईमानदारी पूर्वक कर अदा करना चाहिए। साय ने कहा कि जो लोग कर (जीएसटी) की चोरी करते हैं, उनके विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाए तथा उनसे कर की वसूली सुनिश्चित की जाए। बैठक के दौरान अधिकारियों ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में राज्य को जीएसटी एवं वैट से कुल 23,448 करोड़ रुपये का कर राजस्व प्राप्त हुआ, जो राज्य के कुल कर राजस्व का 38% है। छत्तीसगढ़ ने 18% की जीएसटी वृद्धि दर हासिल की है, जो देश में सर्वाधिक है।

बैठक में वित्त एवं वाणिज्यिक कर (जीएसटी) मंत्री ओ.पी. चौधरी ने विभागीय जानकारी साझा की। मुख्यमंत्री साय ने जीएसटी संग्रहण हेतु विभाग द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की और कहा कि आगे भी नियमों के अनुरूप संग्रहण बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयास किए जाएं। उन्होंने विभागीय अधिकारियों के साथ कर अपवंचन के मामलों एवं उनसे निपटने के उपायों पर भी विस्तार से चर्चा की।

मुख्यमंत्री साय ने फर्जी बिल, दोहरी बहीखाता प्रणाली और गलत टैक्स दरों का उपयोग कर अनुचित लाभ लेने वाले लोगों पर सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए। उन्होंने विभाग की नवाचारी पहलों की प्रशंसा करते हुए कहा कि जीएसटी पंजीकरण की औसत समय सीमा को 13 दिन से घटाकर 2 दिन कर दिया गया है।

बैठक में अधिकारियों ने जीएसटी विभाग द्वारा हाल ही में की गई बड़ी कार्रवाइयों एवं कर चोरी की राशि की वसूली की जानकारी दी। बैठक में बताया गया कि विभाग द्वारा की गई कार्रवाइयों से शासन के कर राजस्व में निरंतर वृद्धि हो रही है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश के सभी 33 जिलों में जीएसटी कार्यालय स्थापित किए गए हैं, जिससे कर संग्रहण एवं जीएसटी से जुड़ी सेवाओं का कार्य पारदर्शिता और समयबद्धता के साथ संपादित किया जा रहा है।

बैठक में मुख्य सचिव अमिताभ जैन, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव सुबोध कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के सचिव मुकेश कुमार बंसल, मुख्यमंत्री के सचिव राहुल भगत तथा आयुक्त वाणिज्यिक कर पुष्पेंद्र मीणा सहित वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे।

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