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Chhattisgarh: बिलासपुर में स्थापित होगी भगवान बिरसा मुंडा की आदमकद प्रतिमा, जनजातीय गौरव दिवस पर सीएम साय ने की कई महत्वपूर्ण घोषणाएं

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Chhattisgarh: A life-size statue of Lord Birsa Munda will be installed in Bilaspur, on Janjatiya Gaurav Divas, CM Sai made several important announcements

Janjatiya Gaurav Divas: पुलिस परेड ग्राउंड, बिलासपुर में भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर राष्ट्रीय जनजातीय गौरव दिवस का भव्य और गरिमामय आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने विशाल जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा कि जनजातीय समाज का इतिहास शौर्य, बलिदान और गौरव से ओत-प्रोत है। देश की स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय वीरों का योगदान अतुलनीय और अविस्मरणीय रहा है, किंतु इतिहास के पन्नों में उन्हें वह सम्मान नहीं मिला, जिसके वे वास्तविक रूप से अधिकारी थे।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस अवसर पर बिलासपुर में भगवान बिरसा मुंडा की आदमकद प्रतिमा की स्थापना तथा शहर के एक प्रमुख चौक का नाम भगवान बिरसा मुंडा के नाम पर करने की घोषणा की। उन्होंने लाल खदान ओवरब्रिज का नामकरण शहीद वीर नारायण सिंह के नाम पर करने, जनजातीय बालक-बालिकाओं के लिए 300 और 200 सीटर के अत्याधुनिक पोस्ट-मैट्रिक छात्रावास की स्थापना तथा कोटा ब्लॉक में जनजातीय समाज के लिए सामुदायिक भवन के निर्माण की भी घोषणा की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री \मोदी ने इस ऐतिहासिक उपेक्षा को सुधारा है और जनजातीय समाज के सम्मान, उत्थान एवं विकास के लिए अभूतपूर्व कार्य किए हैं। वे स्वयं भगवान बिरसा मुंडा की कर्मभूमि में गए और समाज की प्रगति के लिए अनेक जनकल्याणकारी योजनाओं का शुभारंभ किया। प्रधानमंत्री \मोदी द्वारा भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के रूप में मनाने के निर्णय ने पूरे देश में स्वाभिमान और गर्व की नई चेतना जगाई है।

मुख्यमंत्री साय ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने मध्यप्रदेश के जबलपुर में रानी दुर्गावती संग्रहालय और रायपुर में शहीद वीर नारायण सिंह ट्राइबल म्यूजियम का उद्घाटन कर देशभर के जनजातीय वीरों और नायकों के योगदान को सम्मानित किया है। यह संग्रहालय डिजिटल स्वरूप में भी उपलब्ध है, ताकि नई पीढ़ी अपने इतिहास से बेहतर ढंग से परिचित हो सके।

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को स्मरण करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि अटल जी ने ही झारखंड और छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण कर जनजातीय समाज को नई पहचान दी। उन्होंने आदिम जाति कल्याण मंत्रालय की स्थापना कर जनजातीय विकास हेतु विशेष बजट प्रावधान सुनिश्चित किए।

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मुख्यमंत्री ने बताया कि धरती आबा ग्राम उत्कर्ष योजना के माध्यम से लगभग 80 हजार करोड़ रुपए से अधिक की राशि से देश के 6,600 से अधिक गांवों में तीव्र विकास कार्य किए जा रहे हैं। इसके साथ ही विशेष पिछड़ी जनजातियों के लिए पीएम जनमन योजना चलाई जा रही है, जिसके अंतर्गत सड़क, आवास और मूलभूत सुविधाओं का तीव्र विस्तार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इन योजनाओं के क्रियान्वयन में छत्तीसगढ़ देश में प्रथम स्थान पर है तथा इस उपलब्धि के लिए राज्य को राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया गया है।

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री सीएम साय ने बिलासपुर जिले में 329 करोड़ 77 लाख रुपए से अधिक के विकास कार्यों के लोकार्पण और शिलान्यास पर जनता को शुभकामनाएं दीं। कार्यक्रम में जनजातीय समाज के प्रतिभाशाली विद्यार्थियों, सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करने वाले कलाकारों, समाजसेवियों तथा स्कैच तैयार करने वाली दीपिका ध्रुव को सम्मानित किया गया। मुख्यमंत्री ने समाज के प्रमुख जनप्रतिनिधियों से चर्चा की और उनकी मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने की। उन्होंने कहा कि आज का दिन बिलासपुर के लिए सौभाग्य और सम्मान का दिन है, जब 329 करोड़ रुपए से अधिक के विकास कार्यों की सौगात मिली है। उन्होंने भगवान बिरसा मुंडा को स्वतंत्रता आंदोलन के महा-नायक बताते हुए नवा रायपुर स्थित ट्राइबल म्यूजियम की विशेषताओं का उल्लेख किया और सभी से उसे अवश्य देखने की अपील की।

इस अवसर पर विधायक धरमलाल कौशिक, अमर अग्रवाल, धर्मजीत सिंह, सुशांत शुक्ला, दिलीप लहरिया, अटल श्रीवास्तव, छत्तीसगढ़ क्रेडा अध्यक्ष भूपेंद्र सवन्नी, पाठ्य पुस्तक निगम अध्यक्ष राजा पांडेय, जिला पंचायत अध्यक्ष राजेश सूर्यवंशी, महापौर पूजा विधानी, जनजातीय समाज के हेमंत राज, वीरेंद्र सिंह राज, उमेश कश्यप, वंदना उइके, वेद सिंह मरकाम, संभाग आयुक्त सुनील जैन, आईजी संजीव शुक्ला, कलेक्टर संजय अग्रवाल, एसएसपी रजनेश सिंह सहित बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि एवं अधिकारी उपस्थित रहे।

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Janjatiya Gaurav Divas: जनजातीय समुदायों का योगदान भारत के इतिहास में एक गौरवशाली अध्याय- राष्ट्रपति मुर्मू

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Janjatiya Gaurav Divas: Contribution of tribal communities is a glorious chapter in the history of India – President Murmu

Ambikapur: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर, सरगुजा में आयोजित ‘जनजातीय गौरव दिवस’ समारोह में अपनी गरिमामयी उपस्थिति दर्ज कराई। इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि जनजातीय समुदायों का योगदान भारत के इतिहास में एक गौरवशाली अध्याय है, जो लोकतंत्र की जननी है। इसके उदाहरण प्राचीन गणराज्यों के साथ-साथ कई जनजातीय परंपराओं में भी देखे जा सकते हैं, जैसे कि बस्तर में ‘मुरिया दरबार’ – जो आदिम लोगों की संसद है। राष्ट्रपति ने कहा कि जनजातीय विरासत की जड़ें छत्तीसगढ़, ओडिशा और झारखंड सहित देश के विभिन्न हिस्सों में गहरी हैं। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि इस वर्ष छत्तीसगढ़ सरकार ने 1 नवंबर से 15 नवंबर तक जनजातीय गौरव पखवाड़े को बड़े स्तर पर मनाया।

राष्ट्रपति ने कहा- कि पिछले एक दशक में, जनजातीय समुदायों के विकास और कल्याण के लिए राष्ट्रीय स्तर पर योजनाएँ विकसित और कार्यान्वित की गई हैं। पिछले वर्ष, गांधी जयंती के अवसर पर ‘धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान’ शुरू किया गया था। इस अभियान का लाभ देश भर के 5 करोड़ से अधिक जनजातीय भाई-बहनों तक पहुंचेगा। वर्ष 2023 में, 75 विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महा अभियान (पीएम-जनमन अभियान) शुरू किया गया। ये सभी योजनाएं इस बात का प्रमाण हैं कि सरकार जनजातीय समुदायों को कितनी प्राथमिकता देती है।

राष्ट्रपति ने कहा कि जनजातीय समुदायों के विकास प्रयासों को नई ऊर्जा देने के लिए, भारत सरकार ने भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के वर्ष के दौरान ‘आदि कर्मयोगी अभियान’ शुरू किया है। उन्होंने उल्लेख किया कि इस अभियान के तहत देश भर में लगभग 20 लाख स्वयंसेवकों का एक नेटवर्क तैयार किया जा रहा है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि ये स्वयंसेवक जमीनी स्तर पर काम करके जनजातीय समुदायों का विकास सुनिश्चित करेंगे।

राष्ट्रपति ने यह जानकर प्रसन्नता व्यक्त की कि छत्तीसगढ़ सहित देश भर में लोग वामपंथी उग्रवाद का रास्ता छोड़कर विकास की मुख्यधारा में शामिल हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों के सुविचारित और सुसंगठित प्रयासों से निकट भविष्य में वामपंथी उग्रवाद का उन्मूलन संभव हो पाएगा। उन्होंने इस बात पर खुशी व्यक्त की कि हाल ही में आयोजित ‘बस्तर ओलंपिक्स’ में 1,65,000 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि जनजातीय महापुरुषों के आदर्शों का पालन करते हुए, छत्तीसगढ़ के लोग एक सशक्त, आत्मनिर्भर और विकसित भारत के निर्माण में अमूल्य योगदान देंगे।

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Chhattisgarh: स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ को मिली दो ऐतिहासिक उपलब्धि, जिला अस्पताल पंडरी, रायपुर और बलौदाबाजार को मिला राष्ट्रीय स्तर का क्वालिटी सर्टिफिकेट

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Chhattisgarh achieved two historic achievements in the field of health services, District Hospital Pandri, Raipur and Balodabazar received national level quality certificate

Raipur: छत्तीसगढ़ ने स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता को लेकर एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। जिला अस्पताल पंडरी रायपुर और जिला अस्पताल बलौदाबाजार की इंटिग्रेटेड पब्लिक हेल्थ लैब (IPHL) को भारत सरकार के नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस कार्यक्रम (NQAS) के अंतर्गत राष्ट्रीय स्तर का गुणवत्ता प्रमाणपत्र प्राप्त हुआ है। इनमें पंडरी रायपुर की IPHL देश की प्रथम, जबकि बलौदाबाजार की IPHL देश एवं राज्य की द्वितीय प्रमाणित लैब बनी है। यह उपलब्धि छत्तीसगढ़ में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार और वैज्ञानिक मानकों पर आधारित लैब सुविधाओं के सुदृढ़ीकरण को प्रमाणित करती है।

राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत बनाने की दिशा में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा निरंतर किए जा रहे प्रयासों का यह सीधा परिणाम है कि जनवरी 2024 से नवंबर 2025 के बीच राज्य की कुल 832 स्वास्थ्य संस्थाओं का राष्ट्रीय मानकों के आधार पर मूल्यांकन और प्रमाणीकरण किया गया है। इनमें दंतेवाड़ा के दूरस्थ क्षेत्र चिंतागुफा जैसे दुर्गम इलाकों के स्वास्थ्य केंद्र भी शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि देश में पहली बार किसी राज्य में लैब्स की इतनी बड़ी और व्यवस्थित श्रृंखला का मूल्यांकन एवं प्रमाणीकरण हुआ है, जिसने छत्तीसगढ़ को राष्ट्रीय स्तर पर विशिष्ट स्थान दिलाया है।

दोनो लैब्स का मूल्यांकन भारत सरकार, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, नई दिल्ली द्वारा नामित विशेषज्ञ मूल्यांकनकर्ताओं की टीमों ने किया। पंडरी रायपुर की IPHL का मूल्यांकन 10 सितंबर 2025, जबकि बलौदाबाजार की IPHL का मूल्यांकन 11 सितंबर 2025 को किया गया। दोनों टीमों ने लैब की कार्यप्रणाली, मरीज केंद्रित सेवाएं, गुणवत्ता नियंत्रण, समयबद्ध रिपोर्टिंग और सुरक्षा प्रक्रियाओं की गहन समीक्षा की। मूल्यांकन उपरांत, पंडरी रायपुर IPHL को 90% और बलौदाबाजार IPHL को 88% स्कोर के साथ प्रमाणन प्राप्त हुआ। यह स्कोर स्वास्थ्य गुणवत्ता के राष्ट्रीय मानकों में उत्कृष्ट श्रेणी में आता है।

इंटिग्रेटेड पब्लिक हेल्थ लैब की अवधारणा का मूल उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि मरीजों को एक ही छत के नीचे पैथोलॉजी, बायोकैमिस्ट्री और माइक्रोबायोलॉजी से संबंधित सभी प्रकार की जांच सुविधाएं उपलब्ध हों। इससे न केवल जांच की गति और विश्वसनीयता बढ़ती है, बल्कि लोगों को महंगी निजी जांच लैब्स पर अनावश्यक निर्भरता से भी राहत मिलती है। एकीकृत मॉडल होने के कारण, मरीजों को एक ही स्थान पर किफायती और सटीक जांच रिपोर्ट उपलब्ध हो पाती है।

पंडरी रायपुर की IPHL पूरे राज्य का मॉडल लैब बन चुकी है। यहां प्रतिदिन 3,000 से अधिक जांचें की जाती हैं और 120 से अधिक प्रकार की जांच सेवाएं उपलब्ध हैं। यह लैब ‘हब एंड स्पोक’ मॉडल पर कार्य करते हुए रायपुर जिले के विभिन्न सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से प्राप्त सैंपल की भी जांच करती है। कई बार आपातकालीन परिस्थितियों में यह लैब मेडिकल कॉलेज और अन्य जिलों से आए नमूनों की जांच भी करती रही है, जिससे इसकी क्षमता और उपयोगिता दोनों प्रमाणित होती हैं।

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बलौदाबाजार की IPHL भी सेवा गुणवत्ता के मामले में तेजी से उभरती हुई लैब है। यहां प्रतिदिन 1,000 से 1,200 जांचें की जाती हैं और 100 से अधिक प्रकार की लैब टेस्टिंग उपलब्ध है। लैब में अत्याधुनिक उपकरणों, प्रशिक्षित तकनीशियनों और समयबद्ध रिपोर्टिंग की वजह से जिले के हजारों मरीजों को बड़ी राहत मिल रही है। ग्रामीण एवं आदिवासी क्षेत्रों के मरीजों को अब जांच के लिए शहर या निजी लैब्स में जाने की जरूरत नहीं पड़ती।

स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा पूर्व में भी पंडरी रायपुर IPHL के मॉडल की राष्ट्रीय स्तर पर सराहना की जा चुकी है। देश के 13 से अधिक राज्यों की टीमें उक्त लैब का निरीक्षण कर इसकी कार्यप्रणाली का अवलोकन कर चुकी हैं। इतना ही नहीं, भारत सरकार द्वारा इंटिग्रेटेड पब्लिक हेल्थ लैब्स हेतु जारी की गई विस्तृत गाइडलाइन के मुख्य पृष्ठ पर रायपुर IPHL की फोटो प्रकाशित की गई है। इस मॉडल को PM–ABHIM के अंतर्गत पूरे देश में स्थापित किए जा रहे IPHL नेटवर्क के मार्गदर्शक स्वरूप में अपनाया गया है।

छत्तीसगढ़ में गुणवत्ता आधारित मूल्यांकन की यह प्रक्रिया केवल प्रमाणीकरण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह स्वास्थ्य प्रणाली में स्थायी सुधार की दिशा में एक ठोस कदम है। NQAS के मानकों में साफ-सफाई, सुरक्षा, रोगी संतुष्टि, रिकॉर्ड प्रबंधन, तकनीकी गुणवत्ता, उपकरण कैलिब्रेशन, बायो-मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट और स्टाफ क्षमता निर्माण जैसे बिंदुओं का कड़ाई से पालन अनिवार्य है। दोनों लैब्स ने इन सभी मानकों पर उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए यह उपलब्धि अर्जित की है।

आयुक्त सह संचालक डॉ. प्रियंका शुक्ला ने बताया कि NQAS कार्यक्रम भारत सरकार का एक अत्यंत महत्वपूर्ण प्रयास है, जिसके जरिए सरकारी अस्पतालों में गुणवत्ता सुधार को संस्थागत स्वरूप दिया जा रहा है। इस कार्यक्रम में निर्धारित चेकलिस्ट बेहद व्यापक है और प्रमाणन तभी मिलता है जब कोई संस्थान सभी मानकों पर सतत् उत्कृष्टता प्रदर्शित करे। छत्तीसगढ़ की दोनों IPHL लैब्स ने जिस दक्षता और अनुशासन के साथ सभी मापदंडों को पूरा किया है, वह राज्य के स्वास्थ्य तंत्र की मजबूती और प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार के साथ-साथ गुणवत्ता सुधार पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इस प्रक्रिया में लैब तकनीशियनों, चिकित्सकों और प्रबंधन टीमों ने बड़े समर्पण और परिश्रम के साथ कार्य किया है। पंडरी रायपुर और बलौदाबाजार IPHL की उपलब्धि पूरे राज्य के लिए प्रेरक है और आने वाले समय में छत्तीसगढ़ के अन्य जिलों में भी इसी मॉडल को सुदृढ़ता से लागू किया जाएगा।

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मुख्यमंत्री साय एवं स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल द्वारा दोनों जिला अस्पतालों की IPHL टीमों—चिकित्सकों, तकनीशियनों और स्टाफ—को इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ दी गई हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं छत्तीसगढ़ सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता हैं, और IPHLs के राष्ट्रीय प्रमाणन से राज्य की स्वास्थ्य प्रणाली को नई विश्वसनीयता और मजबूती मिली है।

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि राज्य सरकार प्राथमिक और द्वितीयक स्वास्थ्य सुविधाओं को आधुनिक उपकरणों और प्रशिक्षित मानव संसाधन से लैस कर रही है। IPHL जैसी उच्च गुणवत्ता वाली लैब्स ग्रामीण, आदिवासी और पिछड़े इलाकों में समय पर स्वास्थ्य जांच सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। आने वाले वर्षों में राज्य भर के जिला अस्पतालों और प्रमुख स्वास्थ्य संस्थानों को इसी मॉडल पर अपग्रेड किया जाएगा।

यह उपलब्धि छत्तीसगढ़ की स्वास्थ्य प्रणाली के लिए केवल प्रमाणन नहीं, बल्कि यह संकेत भी है कि राज्य अब राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप गुणवत्ता केंद्रित स्वास्थ्य प्रबंधन की दिशा में अग्रसर है। IPHL मॉडल के विस्तार से रोगियों की जाँच सेवाएँ और अधिक सुलभ, तीव्र और विश्वसनीय होंगी। इसका सीधा लाभ लाखों नागरिकों को मिलेगा और राज्य के स्वास्थ्य सूचकांकों में भी उल्लेखनीय सुधार होगा। दोनों IPHL लैब्स की सफलता यह प्रमाणित करती है कि जब वैज्ञानिक मानकों, प्रशिक्षित मानव संसाधन, आधुनिक तकनीक और शासन की दृढ़ इच्छाशक्ति का संगम होता है, तब स्वास्थ्य सेवाओं में क्रांतिकारी बदलाव संभव है। यह उपलब्धि न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरक मॉडल है और आने वाले समय में स्वास्थ्य गुणवत्ता सुधार की दिशा में नए मानक स्थापित करेगी।

“पंडरी रायपुर और बलौदाबाजार जिलों की इंटिग्रेटेड पब्लिक हेल्थ लैब्स को देश की प्रथम और द्वितीय क्वालिटी सर्टिफाइड IPHL बनने पर स्वास्थ्य विभाग की पूरी टीम को बधाई। यह उपलब्धि छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य तंत्र में आ रहे व्यापक, वैज्ञानिक और संरचनात्मक सुधारों का प्रमाण है। गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं हमारी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता हैं, और राष्ट्रीय स्तर के इस प्रमाणन ने राज्य की स्वास्थ्य प्रणाली को नई विश्वसनीयता और मजबूती प्रदान की है। IPHL मॉडल ने ग्रामीण, आदिवासी और दूरस्थ क्षेत्रों तक विश्वसनीय जांच सेवाएँ पहुँचाने का मार्ग मजबूत किया है, और आने वाले समय में राज्य के सभी जिला अस्पतालों को आधुनिक, दक्ष और मानकीकृत मॉडल पर अपग्रेड किया जाएगा।” – मुख्यमंत्री विष्णु देव साय

“पंडरी रायपुर और बलौदाबाजार IPHL के देश की प्रथम और द्वितीय क्वालिटी सर्टिफाइड इंटिग्रेटेड पब्लिक हेल्थ लैब बनने पर प्रदेशवासियों और पूरी स्वास्थ्य टीम को बधाई। यह उपलब्धि छत्तीसगढ़ की स्वास्थ्य प्रणाली में आए ऐतिहासिक बदलाव का परिणाम है। राज्य सरकार प्राथमिक से लेकर जिला स्तर तक सभी स्वास्थ्य संस्थानों को आधुनिक उपकरणों, प्रशिक्षित मानव संसाधन और सशक्त गुणवत्ता तंत्र से लैस कर रही है। IPHL मॉडल ने जांच सेवाओं को तेज, सटीक और किफायती बनाकर ग्रामीण एवं दूरस्थ क्षेत्रों तक स्वास्थ्य सुविधाओं की पहुँच को मजबूत किया है। आने वाले समय में इसी उच्च गुणवत्ता मॉडल का विस्तार पूरे प्रदेश में किया जाएगा, जिससे छत्तीसगढ़ राष्ट्रीय स्तर पर स्वास्थ्य सेवा गुणवत्ता का अग्रणी राज्य बनेगा।” – स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल

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Chhattisgarh: प्रदेश के 25 लाख किसानों के खातों में पहुंची पीएम किसान निधि, 2,500 किमी ग्रामीण सड़कों की मिली सौगात

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Chhattisgarh: PM Kisan Nidhi reaches accounts of 2.5 million farmers, gift of 2,500 km of rural roads

Raipur: केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने धमतरी में आयोजित राज्यस्तरीय समारोह में 2,225 करोड़ रुपए की ग्रामीण सड़क परियोजनाओं, मखाना बोर्ड का विस्तार, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के अंतर्गत किसानों को प्रत्यक्ष भुगतान और अनेक विकासपरक घोषणाओं का औपचारिक शुभारंभ किया। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा कोयंबटूर से प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की 21वीं किस्त का देशव्यापी वितरण और छत्तीसगढ़ के 25 लाख किसानों के खातों में 500 करोड़ रुपये का सीधा हस्तांतरण इस आयोजन का मुख्य आकर्षण रहा। हज़ारों किसानों और ग्रामीण प्रतिनिधियों की उपस्थिति में सम्पन्न इस समारोह ने राज्य के विकास पथ को नई दिशा प्रदान की।

इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के धमतरी में राज्यस्तरीय समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, केंद्रीय राज्य मंत्री तोखन साहू, उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा, राज्य के कृषि मंत्री रामविचार नेताम, मंत्री दयालदास बघेल, टंकराम वर्मा सहित अनेक जनप्रतिनिधि उपस्थित थे।

कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना (Pradhan Mantri Gram Sadak Yojana) के अंतर्गत 2,225 करोड़ रुपये की स्वीकृत ग्रामीण सड़क परियोजनाओं का दस्तावेज प्रस्तुत किया। इन परियोजनाओं के माध्यम से छत्तीसगढ़ के लगभग 780 गाँव पहली बार पक्की सड़क से जुड़ेंगे और 2,500 किलोमीटर से अधिक नई ग्रामीण सड़कें निर्मित की जाएँगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व क्षमता ने देश में बुनियादी ढांचे के विस्तार को नई दिशा दी है और ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क निर्माण आर्थिक गतिविधियों को सशक्त बनाता है।

केंद्रीय मंत्री चौहान ने घोषणा की कि केंद्र सरकार द्वारा स्थापित किए गए राष्ट्रीय मखाना विकास बोर्ड में अब छत्तीसगढ़ को भी शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस निर्णय से प्रदेश के किसानों को मखाना उत्पादन, प्रसंस्करण, मूल्य संवर्धन और राष्ट्रीय बाज़ार से जुड़ने का बड़ा अवसर प्राप्त होगा।

अपने संबोधन में केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हुए प्रमुख राष्ट्रीय निर्णयों का उल्लेख किया, जिनमें अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण, जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 का शांतिपूर्ण निष्कासन, महिला आरक्षण कानून का पारित होना और राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने वाले निर्णय शामिल हैं। उन्होंने कहा कि ये सभी कदम भारत की विकास और आत्मनिर्भरता की दिशा में ऐतिहासिक मील के पत्थर हैं।

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केंद्रीय मंत्री चौहान ने छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद पर निर्णायक प्रहार को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में चलाए जा रहे समन्वित अभियान से राज्य में नक्सली हिंसा में उल्लेखनीय कमी आई है और अब नक्सलवाद “अंतिम चरण” में पहुँच चुका है। उन्होंने इसे प्रदेश के विकास, निवेश और ग्रामीण शांति की दिशा में बड़ा कदम बताया।

अपने संबोधन में उन्होंने छत्तीसगढ़ की वर्तमान राज्य सरकार के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि राज्य अब पुनः विकास की मुख्यधारा में तेजी से लौट रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले वर्षों में भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी के कारण कई केंद्रीय योजनाएं प्रभावी रूप से लागू नहीं हो सकीं, किन्तु अब लाभ सीधे पात्र किसानों, ग्रामीणों और महिलाओं तक पहुंच रहा है।

कार्यक्रम में हजारों किसानों एवं ग्रामीण नागरिकों की सहभागिता रही। इस अवसर पर विभिन्न योजनाओं से जुड़े लाभार्थियों को स्वीकृति पत्र, कृषि किट, उपकरण और अन्य सामग्री वितरित की गई। कार्यक्रम स्थल पर कृषि तकनीक, ग्रामीण अवसंरचना, महिला स्व-सहायता समूहों, प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना और आत्मनिर्भर भारत से संबंधित प्रदर्शनी भी लगाई गई, जिसे किसानों और ग्रामीण प्रतिनिधियों ने उत्साहपूर्वक देखा।

केंद्रीय मंत्री चौहान ने छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के 25 वर्ष पूर्ण होने पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा स्थापित इस राज्य की उपलब्धियों का उल्लेख किया और कहा कि केंद्र और राज्य सरकार मिलकर प्रदेश को देश के अग्रणी राज्यों की श्रेणी में स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

राज्य स्तरीय समारोह को संबोधित करते समय मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने किसानों की आय-वृद्धि, कृषि तकनीकी विस्तार, सिंचाई क्षमता, जैविक खेती और मिलेट मिशन जैसे विषयों पर केंद्रित महत्वपूर्ण वक्तव्य दिया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि अन्नदाताओं का सम्मान और समृद्धि हमारी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि आज प्रधानमंत्री मोदी द्वारा प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की किस्त जारी होने से राज्य के 24 लाख 70 हजार 640 किसानों को सीधा लाभ प्राप्त हुआ है। उन्होंने बताया कि 494 करोड़ रुपये की राशि किसानों, वनपट्टाधारी हितग्राहियों एवं विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (PVTG) के परिवारों के बैंक खातों में अंतरित की गई है। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि राज्य सरकार ने इस योजना में 2 लाख 75 हजार नए किसानों को पंजीकृत कर लाभार्थियों की संख्या बढ़ाई है।

कृषक उन्नति योजना का विस्तार

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि सरकार ने कृषक उन्नति योजना का दायरा बढ़ाते हुए इसमें दलहन, तिलहन और मक्का फसलों को शामिल किया है। उन्होंने कहा कि धान फसल में लाभ ले चुके किसान यदि इन फसलों की खेती करेंगे तो उन्हें भी योजना का पूरा लाभ प्राप्त होगा। उन्होंने कहा कि योजना का लाभ रेगहा , बटाई, लीज तथा डूबान क्षेत्र के किसानों को भी दिया जा रहा है, जिससे कृषि आधारित आजीविका को सीधा बल मिल रहा है।

मुख्यमंत्री साय ने यह भी बताया कि पिछले 22 महीनों में लगभग सवा लाख करोड़ रुपये विभिन्न योजनाओं के माध्यम से किसानों के खातों में अंतरित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार बनने के दो सप्ताह के भीतर 13 लाख किसानों को 3,716 करोड़ रुपये बोनस के रूप में दिया गया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा मिलेट मिशन को दिए गए बढ़ाए गए महत्व से छत्तीसगढ़ के परंपरागत कोदो-कुटकी, रागी उत्पादकों को बड़ा लाभ मिला है। उन्होंने जशपुर जिले में स्वसहायता समूहों द्वारा बनाए जा रहे ‘‘जशप्योर’’ ब्रांड के उत्पादों का उदाहरण देते हुए कहा कि ‘‘महुआ लड्डू, कोदो-कुटकी आधारित उत्पाद पूरे देश में लोकप्रिय हो रहे हैं।’’

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ जैविक खेती की अपार संभावनाओं वाला प्रदेश है, क्योंकि जनजातीय क्षेत्रों में रासायनिक खादों का न्यूनतम उपयोग हुआ है। मुख्यमंत्री ने कहा कि 2015 से लंबित 115 सिंचाई परियोजनाओं के लिए 2,800 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई है, जिससे लाखों किसानों को सिंचाई सुविधा मिलेगी।उन्होंने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (GST) में कटौती से ट्रैक्टरों और कृषि मशीनरी की खरीदी बढ़ी है। उन्होंने कहा कि ‘‘कई व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल यह बताते हैं कि GST कटौती के बाद किसानों की खरीद क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।’’ कार्यक्रम का समापन किसानों के प्रति आभार और छत्तीसगढ़ के ग्रामीण एवं कृषि विकास की निरंतरता बनाए रखने के संकल्प के साथ हुआ।

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Chhattisgarh: पीएमजीएसवाई-IV के अंतर्गत छत्तीसगढ़ को मिली 774 नई सड़कें, ग्रामीण सड़क संपर्क को मिलेगी मजबूती

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Chhattisgarh gets 774 new roads under PMGSY-IV, rural road connectivity will be strengthened

Raipur: प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) के क्रियान्वयन में छत्तीसगढ़ ने देशभर में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए एक बार फिर अग्रणी राज्यों में अपनी पहचान कायम की है। योजना के विभिन्न चरणों में छत्तीसगढ़ को अब तक कुल 9,722 सड़कें (48,594 किमी) और 669 पुल स्वीकृत हुए हैं। इनमें से 8,753 सड़कें (43,380 किमी) और 470 पुलों का निर्माण सफलतापूर्वक पूरा किया जा चुका है।

भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री ने पत्र लिखकर मुख्यमंत्री साय को जानकारी दी कि ग्रामीण सड़क संपर्क को और सुदृढ़ करते हुए PMGSY-IV के अंतर्गत छत्तीसगढ़ को 774 नई सड़कें (कुल लंबाई 2,426.875 किमी) स्वीकृत की गई हैं। यह पहली बार है जब इस चरण में पात्र संपर्क-विहीन बसावटों को ‘बारहमासी सड़क संपर्कता’ प्रदान करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस स्वीकृति से छत्तीसगढ़ की दूरस्थ और वंचित बसावटों तक सर्व मौसम सड़क सुविधा पहुँचाने का मार्ग खुल गया है।

भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय के निर्णय की जानकारी देते हुए कहा गया है कि बारहमासी सड़क संपर्कता से इन बसावटों को बाज़ार, स्वास्थ्य सेवाओं, शिक्षा, पोषण, आपदा प्रबंधन और दैनिक आवागमन में व्यापक सुविधा मिलेगी। इससे क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास में तेजी, ग्रामीण आजीविका में वृद्धि और जन-कल्याणकारी सेवाओं तक सुगम पहुंच सुनिश्चित होगी।

केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने छत्तीसगढ़ की उपलब्धियों की सराहना करते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के उत्कृष्ट क्रियान्वयन में छत्तीसगढ़ ने लगातार अग्रणी प्रदर्शन किया है। उन्होंने इस उपलब्धि के लिए छत्तीसगढ़ के लोगों, पीएमजीएसवाई टीम, इंजीनियरों और मैदानी अमले को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि सरकार इस योजना का लाभ लक्षित लाभार्थियों तक पहुंचाने के लिए प्रयास निरन्तर जारी रहेगा और छत्तीसगढ़ में ग्रामीण विकास की गति में तेजी आएगी।

“प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत छत्तीसगढ़ को मिली 774 नई सड़कों की स्वीकृति हमारे ग्रामीण विकास अभियान को नई गति देगी। यह निर्णय दूरस्थ और संपर्क-विहीन बसावटों को बारहमासी सड़क सुविधा प्रदान करने की दिशा में ऐतिहासिक कदम है। मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान का हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ। हमारी सरकार का संकल्प है कि छत्तीसगढ़ के प्रत्येक ग्राम तक सुरक्षित, सुदृढ़ और सर्व मौसम सड़क संपर्क सुनिश्चित कर ग्रामीण अर्थव्यवस्था, शिक्षा, स्वास्थ्य और जन-कल्याण को नई ऊंचाइयों तक पहुँचाया जाए।” – मुख्यमंत्री विष्णु देव साय

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Raipur: मंत्रालय के सभी विभागों में आधार-आधारित बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली लागू, कल से ट्रायल शुरू

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Raipur: Aadhaar-based biometric attendance system implemented in all departments of the ministry, trial to begin tomorrow

Raipur: पारदर्शिता, समयपालन और प्रशासनिक कार्यकुशलता को और अधिक सुदृढ़ करने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए छत्तीसगढ़ सरकार ने महानदी भवन और इन्द्रावती भवन में कार्यरत सभी विभागों में आधार-आधारित बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली (AEBAS) लागू करने की घोषणा की है। आज वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक में मुख्य सचिव विकास शील की उपस्थिति में नए सिस्टम का लाइव प्रदर्शन किया गया, जिसमें फेसियल ऑथेंटिकेशन आधारित उपस्थिति प्रणाली तथा दीवार पर लगाए गए आधार-सक्षम बायोमेट्रिक उपकरणों का डेमो प्रस्तुत किया गया। इस प्रणाली का परीक्षण कल से प्रारंभ होगा और 1 दिसंबर 2025 से मंत्रालय में AEBAS के माध्यम से उपस्थिति अनिवार्य होगी।

मुख्य सचिव विकास शील ने निर्देशित किया है कि 1 जनवरी 2026 से यह प्रणाली सभी संचालनालयों/ विभागाध्यक्ष कार्यालयों में भी लागू कर दी जाए। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि समय पालन प्रशासन की सर्वोच्च प्राथमिकता है और सभी अधिकारियों-कर्मचारियों को कड़ाई से इसका पालन करना होगा।

कर्मचारियों के लिए उपस्थिति दर्ज करने के तरीके

नए प्रोटोकॉल के अनुसार, प्रत्येक कर्मचारी को रोज़ाना दो बार—प्रवेश के समय “IN” और प्रस्थान के समय “OUT”—उपस्थिति दर्ज करनी होगी। इसके लिए दो विकल्प उपलब्ध किए गए हैं:

1. मोबाइल ऐप के माध्यम से फेसियल ऑथेंटिकेशन

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कर्मचारी अपने स्मार्टफोन पर आधार-आधारित फेसियल वेरिफिकेशन के माध्यम से IN/OUT उपस्थिति दर्ज कर सकेंगे। यह प्रणाली सुविधा और बायोमेट्रिक सुरक्षा—दोनों को ध्यान में रखकर तैयार की गई है।

2. प्रवेश द्वारों पर लगे आधार-सक्षम बायोमेट्रिक उपकरण

मंत्रालय भवनों के प्रमुख प्रवेश द्वारों पर दीवार पर लगे थम्ब-बेस्ड आधार-सक्षम बायोमेट्रिक डिवाइसेज़ स्थापित किए गए हैं, जिनके माध्यम से कर्मचारी उपस्थिति दर्ज कर सकेंगे। दोनों प्रणालियाँ समानांतर रूप से संचालित होंगी और कर्मचारी अपनी सुविधा के अनुसार किसी भी विकल्प का उपयोग कर सकते हैं।

सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) ने सभी निर्धारित प्रवेश द्वारों पर आधार-सक्षम बायोमेट्रिक उपकरण स्थापित कर दिए हैं और नोडल अधिकारियों का प्रशिक्षण भी पूरा कर लिया है, जिससे व्यवस्थित और निर्बाध क्रियान्वयन सुनिश्चित हो सके। सभी कर्मचारियों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं कि उनके आधार और सेवा संबंधी विवरण उपस्थिति पोर्टल में सही ढंग से अपडेट हों।नई उपस्थिति व्यवस्था में किसी भी प्रकार की लापरवाही, ढिलाई या अनुपालन न करने को गंभीरता से लिया जाएगा।

आधार-आधारित बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली (AEBAS) की शुरुआत राज्य सरकार की प्रशासनिक जवाबदेही, कार्यकुशलता और सेवा प्रदायगी की गुणवत्ता में सुधार लाने की प्रतिबद्धता को और मजबूत करती है। यह प्रणाली न केवल विभागीय संचालन को सरल बनाएगी, बल्कि प्रशासनिक तंत्र में अनुशासन और पारदर्शिता की संस्कृति को भी स्थापित करेगी।

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“महानदी और इन्द्रावती भवन के सभी विभागों में आधार-आधारित बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली (AEBAS) का क्रियान्वयन पारदर्शिता, समयपालन और प्रशासनिक दक्षता को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। आज मुख्य सचिव और सभी सचिवों की उपस्थिति में फेसियल ऑथेंटिकेशन आधारित उपस्थिति प्रणाली और दीवार पर लगे आधार-सक्षम बायोमेट्रिक उपकरणों का विस्तृत प्रदर्शन किया गया। 1 दिसंबर 2025 से मंत्रालय में AEBAS आधारित उपस्थिति अनिवार्य होगी और 1 जनवरी 2026 से यह प्रणाली सभी संचालनालयों में लागू कर दी जाएगी। मैं अपेक्षा करता हूँ कि हर अधिकारी और कर्मचारी समयपालन और पूर्ण अनुपालन सुनिश्चित करेंगे, ताकि हम आधुनिक, तकनीक-आधारित और जवाबदेह शासन व्यवस्था की ओर निरंतर अग्रसर हो सकें।”

– मुख्यमंत्री विष्णु देव साय

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