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Chhattisgarh: स्वाइन फ्लू से स्वास्थ्य विभाग ने की सजग रहने की अपील, इलाज के लिए अस्पतालों में पुख्ता इंतजाम

Bilaspur: छत्तीसगढ़ में स्वाइन फ्लू के मामले में बिलासपुर हॉट स्पॉट बना हुआ है। यहां स्वाइन फ्लू से 9 जान जा चुकी हैं। इसको देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने स्वाइन-फ्लू से निपटने के लिए पुख्ता इंतजाम किए हैं। बिलासपुर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. प्रभात श्रीवास्तव ने बताया कि मेडिकल कॉलेज सिम्स, जिला अस्पताल और सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में आइसोलेशन वार्ड, दवाईयों और ऑक्सीजन सिलेंडर की सुविधा है। जरूरत पड़ने पर मरीजों को उच्च संस्थानों में भेजने के लिए एंबुलेंस की व्यवस्था भी है। उन्होंने बताया कि स्वाइन-फ्लू सामान्य बुखार जैसा ही होता है। शरीर में दर्द, सर्दी और बलगम की शिकायत के साथ बुखार आता है तो तत्काल चिकित्सक से परामर्श जरूर लें।
बिलासपुर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. श्रीवास्तव ने बताया कि बिलासपुर जिले में स्वाइन-फ्लू पीड़ितों की मौत के पीछे कई बीमारियां हैं जो मरीजों को पहले से होती हैं। ऐसे मरीजों द्वारा देर से इलाज लेना प्रारंभ करने पर हालत गंभीर हो जाती है जो मृत्यु का कारण बनता है। उन्होंने कहा कि स्वाइन-फ्लू से पीड़ित होने पर तुरंत उपचार लेना चाहिए।
सीएमएचओ श्रीवास्तव ने बताया कि स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए भीड़ से दूर रहना चाहिए । सार्वजनिक स्थानों पर थूकने-छींकने से बचें, मास्क का उपयोग करें और अन्य लोगों से दूरी बनाकर रखें। सर्दी, खांसी, बुखार होने पर शुरूआती 72 घंटों में स्वस्थ नहीं होने पर स्वाइन-फ्लू की जांच अवश्य कराएं। किसी भी तरह की जानकारी के लिए फोन नंबर 104 पर चौबीसों घण्टे संपर्क किया जा सकता है।
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CG Cabinet: छत्तीसगढ़ को लॉजिस्टिक हब बनाया जाएगा, पेंशन फंड के गठन को मंजूरी, दलहन, तिलहन और मक्का के किसानों को भी मिलेगा बोनस

Raipur:मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में सोमवार को मंत्रालय महानदी भवन में आयोजित कैबिनेट की बैठक में अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। कैबिनेट ने कृषक उन्नति योजना के प्रचलित निर्देशों को संशोधित करते हुए इसके दायरे को और विस्तृत कर दिया है। अब इस योजना का लाभ खरीफ 2025 में धान उत्पादक किसानों के साथ-साथ पंजीकृत धान फसल के स्थान पर अब दलहन, तिलहन, मक्का आदि की फसल लगाने वाले किसानों को भी मिलेगा।
खरीफ 2024 में पंजीकृत कृषक जिन्होंने धान की फसल लगाई थी और समर्थन मूल्य पर धान बेचा था, उनके द्वारा खरीफ 2025 में धान फसल के स्थान पर दलहन, तिलहन, मक्का आदि फसल की खेती की जाती है, तो उन्हें भी अब कृषक उन्नति योजना के तहत आदान सहायता राशि प्रदान की जाएगी।
कैबिनेट के अन्य महत्वपूर्ण निर्णय
1.मंत्रिपरिषद द्वारा राज्य में लॉजिस्टिक सेक्टर के समग्र विकास के लिए छत्तीसगढ राज्य लॉजिस्टिक पॉलिसी-2025 के प्रारूप का अनुमोदन किया गया। इस पॉलिसी से छत्तीसगढ़ राज्य लॉजिस्टिक हब के रूप में विकसित होगा तथा निर्यात अधोसंरचना को मजबूती मिलेगी। राज्य की भौगोलिक स्थिति का लाभ लेते हुए लॉजिस्टिक सेक्टर तथा ई-कॉमर्स की राष्ट्रीय एवं बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को लॉजिस्टिक हब की स्थापना के लिए निवेश के लिए आकर्षित किया जाएगा। इस नीति के माध्यम से ड्राई पोर्ट/इन्लैंण्ड कंटेनर डिपो की स्थापना को प्रोत्साहित करने से सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों तथा स्थानीय उत्पादकों को निर्यात बाजारों तक पहुंचने का अवसर मिलेगा।
2.छत्तीसगढ सरकार के अधिकारी-कर्मचारियों के हित में एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए भविष्य में सेवानिवृत्ति के समय पेंशन भुगतान संबंधी दायित्वों के बेहतर वित्तीय प्रबंधन हेतु छत्तीसगढ़ पेंशन फंड के गठन तथा इसके प्रबंधन एवं विनियमन संबंधी विधेयक-2025 के प्रारूप का अनुमोदन किया गया।
3. कैबिनेट द्वारा राज्य के दीर्घकालिक आर्थिक विकास एवं राजकोषीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए छत्तीसगढ़ ग्रोथ एंड स्टेबिलिटी फंड के गठन तथा इसके प्रबंधन एवं विनियमन संबंधी विधेयक-2025 के प्रारूप का अनुमोदन किया गया। इससे राज्य के राजस्व में असामान्य वृद्धि/कमी का समुचित प्रबंधन एवं आर्थिक मंदी के समय वित्तीय सुरक्षा प्राप्त होगी।
4.मंत्रिपरिषद द्वारा महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए राज्य के कुछ कानूनों के प्रावधानों का गैर-अपराधीकरण करने के लिए छत्तीसगढ़ जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) विधेयक-2025 के प्रारूप का अनुमोदन किया गया। जन विश्वास विधेयक से व्यवसाय व जीवनयापन में सहजता बढ़ेगी। अनावश्यक न्यायालयीन प्रकरणों और उनमें होने वाले व्यय में कमी आएगी।
5. कैबिनेट ने प्रदेश के विभिन्न विभागों/निगम/मण्डल/कम्पनी/बोर्ड के पूर्व निर्मित एवं जर्जर भवनों तथा इनके स्वामित्व की अनुपयोगी शासकीय भूमि के व्यवस्थित विकास और सदुपयोग के लिए रिडेव्हलपमेंट योजना अंतर्गत 7 योजनाओं को स्वीकृति प्रदान की है। इसमें शांति नगर रायपुर, बीटीआई शंकर नगर रायपुर, कैलाश नगर राजनांदगांव, चांदनी चौक फेस-2 जगदलपुर, सिविल लाइन कांकेर, क्लब पारा महासमुंद, कटघोरा कोरबा शामिल हैं।
6.मंत्रिपरिषद द्वारा वाणिज्यिक कर (पंजीयन) विभाग के अंतर्गत उच्च श्रेणी पंजीयन लिपिक/रिकार्ड कीपर से तृतीय श्रेणी कार्यपालिक, उप पंजीयक के पद पर पदोन्नति के लिए विहित 5 वर्ष की न्यूनतम अर्हकारी सेवा को केवल एक बार के लिए न्यूनतम अर्हकारी सेवा 2 वर्ष निर्धारित करने का निर्णय लिया गया।
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Chhattisgarh: मुख्य सचिव अमिताभ को मिला सेवा विस्तार, राज्य के प्रस्ताव को मिली केंद्र की मंजूरी

Raipur: छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव फिलहाल अमिताभ जैन ही बने रहेंगे। केंद्र सरकार ने उनके तीन माह के सेवा विस्तार को मंजूरी दे दी है। सोमवार को हुई कैबिनेट बैठक में अमिताभ जैन के सेवा विस्तार का फैसला लिया गया। केंद्र सरकार ने भी राज्य सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। मुख्य सचिव अमिताभ जैन को 30 सितंबर 2025 तक के लिए सेवा विस्तार मिला है। बता दें कि आज जैन को विदाई दी जानी थी और उनकी जगह चीफ सेक्रेटरी पद के लिए 1992 बैच के आईएएस सुब्रत साहू और 1994 बैच के आईएएस मनोज पिंगुआ के नाम की चर्चा थी।
सबसे पहले बनाए गए थे रायगढ़ के कलेक्टर
आईएएस अमिताभ जैन को सबसे पहले 1997 में अविभाजित मध्यप्रदेश के रायगढ़ जिले का कलेक्टर बनाया गया था। इसके बाद कलेक्टर के रूप में जैन को दूसरी पदस्थापना छतरपुर जिले में मिली। इसके बाद वे होशंगाबाद, राजगढ़, नीमच में भी कलेक्टर रहे। अमिताभ जैन ने छत्तीसगढ़ के अलग राज्य बनने के बाद छत्तीसगढ़ कैडर चुना। राज्य बनने के बाद वे 1 नवंबर 2000 को रायपुर कलेक्टर बनाए गए। रायपुर कलेक्टर के रूप में उनकी दूसरी पोस्टिंग मार्च 2004 में हुई।
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Chhattisgarh: तेंदूपत्ता संग्राहकों के सम्मान में ‘चरण पादुका योजना’ का पुनः शुभारंभ– मुख्यमंत्री साय

Charan Paduka Yojana: मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने आज दुर्ग जिले के जामगांव में महिला तेंदूपत्ता संग्राहकों को चरण पादुका पहनाकर ‘चरण पादुका योजना’ का पुनः शुभारंभ किया। प्रदेश के 12 लाख 40 हजार से अधिक तेंदूपत्ता संग्राहकों को योजना का सीधा लाभ होगा। मुख्यमंत्री साय ने कहा कि हमारी सरकार वनवासियों और तेंदूपत्ता संग्राहक भाइयों-बहनों के जीवन स्तर को सशक्त और सुरक्षित बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत है। चरण पादुका योजना उन परिश्रमी हाथों के प्रति हमारी कृतज्ञता का प्रतीक है, जो कठिन परिस्थितियों में वनोपज संग्रहण का कार्य करते हैं।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि तेंदूपत्ता संग्राहक परिवारों का राज्य की अर्थव्यवस्था, वनोपज आधारित रोजगार और स्थानीय समृद्धि में अमूल्य योगदान है। उनकी मेहनत से ही छत्तीसगढ़ की वनोपज परंपरा जीवंत बनी हुई है और लाखों परिवारों को आजीविका का सहारा मिलता है। ‘चरण पादुका योजना’ हमारे संकल्प पत्र “मोदी की गारंटी” का महत्वपूर्ण वादा था, जिसे हमारी सरकार ने पूरी प्रतिबद्धता के साथ पूरा किया है। यह योजना केवल चरण पादुका वितरण भर नहीं, बल्कि तेंदूपत्ता संग्राहकों के श्रम और स्वाभिमान का सम्मान है।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि इस योजना के माध्यम से हम तेंदूपत्ता संग्राहकों के उस परिश्रम को नमन कर रहे हैं, जो जंगलों की पगडंडियों से होकर प्रदेश की समृद्धि तक पहुंचता है। सरकार उनके हर सुख-दुख में सहभागी है और उनके जीवन में गरिमा और सुरक्षा सुनिश्चित करना हमारा कर्तव्य है।
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Chhattisgarh: मुख्यमंत्री साय ने नवनिर्मित आधुनिक आयुर्वेदिक प्रसंस्करण इकाई और केन्द्रीय भंडार गृह परिसर का किया लोकार्पण

Durg: मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज दुर्ग जिले के पाटन विधानसभा के अंतर्गत ग्राम जामगांव (एम) में छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ मर्यादित द्वारा निर्मित आधुनिक आयुर्वेदिक औषधि प्रसंस्करण इकाई एवं केन्द्रीय भंडार गृह परिसर तथा स्प्रेयर बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड द्वारा पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप अंतर्गत निर्मित हर्बल एक्सट्रेक्शन इकाई का लोकार्पण किया। मुख्यमंत्री साय ने कहा कि तीन नई हर्बल इकाइयों से लगभग दो हजार लोगों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा।
सीएम साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ का 44 प्रतिशत भू-भाग वन क्षेत्र से आच्छादित है, जो हमारे लिए सौभाग्य का विषय है। आयुर्वेदिक औषधियों की कच्ची सामग्रियां जंगलों से एकत्र कर संयंत्रों तक पहुंचाई जाएंगी, जिससे वनवासियों को प्रत्यक्ष लाभ प्राप्त होगा। उन्होंने कहा कि यह प्रसंस्करण इकाई मध्य भारत की सबसे बड़ी इकाई है और आयुर्वेदिक औषधि निर्माण के क्षेत्र में एक मील का पत्थर सिद्ध होगी। इससे न केवल स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार होगा, बल्कि छत्तीसगढ़ की पहचान राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयुर्वेदिक केंद्र के रूप में स्थापित होगी।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वन मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि छत्तीसगढ़ में 44.10 प्रतिशत वनाच्छादित क्षेत्र है, जिससे वनोपज की बहुलता है। यह प्रसंस्करण इकाई मध्य भारत की सबसे बड़ी इकाई है। इसके प्रारंभ से वनोपज का संग्रहण, प्रसंस्करण और विपणन सुगम होगा। मुख्यमंत्री साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ का वनोपज अब वैश्विक बाजार में अपनी पहचान बनाएगा। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में 67 प्रकार की वनोपज का संग्रहण किया जाता है, जिससे 13 लाख 40 हजार वनवासियों को सीधा लाभ मिलेगा। महामंडलेश्वर श्री श्री 1008 स्वामी कैलाशनंद गिरी जी महाराज ने भी कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आयुर्वेदिक औषधियों की महत्ता पर प्रकाश डाला।
उल्लेखनीय है कि आयुर्वेदिक प्रसंस्करण इकाई छत्तीसगढ़ की समृद्ध वन संपदा को विज्ञान और आधुनिक तकनीक से जोड़कर ‘फॉरेस्ट टू फार्मेसी मॉडल’ को साकार करने की दिशा में ऐतिहासिक पहल है। 27.87 एकड़ क्षेत्र में 36.47 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित यह इकाई प्रतिवर्ष 50 करोड़ रुपए मूल्य के उत्पाद तैयार करेगी। यहां प्रदेश के वनों से प्राप्त औषधीय और लघु वनोपज – जैसे महुआ, साल बीज, कालमेघ, गिलोय, अश्वगंधा आदि का संगठित एवं वैज्ञानिक प्रसंस्करण कर चूर्ण, सिरप, तेल, टैबलेट एवं अवलेह जैसे गुणवत्तापूर्ण उत्पाद निर्मित होंगे। यह इकाई ‘छत्तीसगढ़ हर्बल्स’ ब्रांड के तहत प्रदेश के उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहचान दिलाने का प्रमुख केंद्र बनेगी।
परियोजना के अंतर्गत 2,000 से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। इसमें बड़ी संख्या में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित होगी, जिससे उन्हें स्वरोजगार मिलेगा। वहीं युवाओं को तकनीकी प्रशिक्षण प्राप्त होने से स्थानीय स्तर पर आजीविका के नए द्वार खुलेंगे। इकाई में आधुनिक वेयरहाउस की 20,000 मीट्रिक टन की संग्रहण क्षमता विकसित की गई है, जिससे मौसमी वनोपजों के दीर्घकालीन संरक्षण एवं गुणवत्ता नियंत्रण में सहायता मिलेगी। यह परियोजना प्रधानमंत्री मोदी के ‘वोकल फॉर लोकल’ एवं ‘आत्मनिर्भर भारत’ के विजन को साकार करती है। यह न केवल वन उत्पादों के स्थानीय मूल्य संवर्धन का उदाहरण प्रस्तुत करती है, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन, आर्थिक विकास और सामाजिक समावेशिता को भी सशक्त बनाती है।
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Chhattisgarh: बिलासपुर में 100 करोड़ रुपए की लागत से बनेगी आधुनिक एजुकेशन सिटी, एक साथ 5000 स्टूडेंट ले सकेंगे कोचिंग

Raipur: छत्तीसगढ़ सरकार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और छात्रों के सर्वांगीण विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है। इसी क्रम में बिलासपुर शहर को एक आधुनिक एजुकेशनल हब के रूप में विकसित करने की दिशा में ऐतिहासिक पहल की जा रही है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के दिशानिर्देश पर बिलासपुर में एजुकेशनल सिटी की अवधारणा विकसित की गई है। इस परियोजना के लिए बिलासपुर नगर पालिक निगम की लगभग 13 एकड़ भूमि का उपयोग प्रस्तावित है।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि बिलासपुर एजुकेशनल सिटी में नालंदा परिसर की स्थापना की जाएगी, जहां 500 छात्र-छात्राएं एक साथ बैठकर फिजिकल एवं डिजिटल लाइब्रेरी का लाभ ले सकेंगे। इसके साथ ही तीन बहुमंजिला इमारतों का निर्माण किया जाएगा, जिनमें कुल 48 हॉल सेटअप ( 1 सेटअप में 1 हॉल, 2 कक्ष और 1 टॉयलेट) तैयार किए जाएंगे। इस व्यवस्था में एक साथ 4,800 विद्यार्थियों के कोचिंग क्लास अटेंड करने की सुविधा रहेगी।
छात्रों के शैक्षणिक एवं व्यक्तित्व विकास के लिए 700 सीटों वाले आधुनिक ऑडिटोरियम का निर्माण भी किया जाएगा। वहीं, बाहर से आने वाले लगभग 1000 विद्यार्थियों के लिए हॉस्टल फैसिलिटी भी निर्मित की जाएगी। खेलकूद और स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए एजुकेशनल सिटी में एस्ट्रोटर्फ खेल मैदान तथा सुंदर गार्डन भी विकसित किए जाएंगे। साथ ही, वाहनों के लिए मल्टी लेवल पार्किंग की व्यवस्था होगी ताकि आने-जाने में कोई असुविधा न हो।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि इस महत्वाकांक्षी परियोजना की अनुमानित लागत करीब 100 करोड़ रुपए होगी और इसके निर्माण कार्य की कार्य योजना नगर पालिक निगम बिलासपुर द्वारा तैयार कर ली गई है। शीघ्र ही निर्माण कार्य प्रारंभ होगा, जिससे बिलासपुर एजुकेशनल सिटी प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में नई मिसाल कायम करेगी।
उल्लेखनीय है कि राज्य गठन के पश्चात बिलासपुर शहर ने शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। बिलासपुर में एसईसीएल का मुख्यालय और रेलवे का डीआरएम कार्यालय भी स्थित है, जिससे यह शहर न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे देश में अपनी विशिष्ट पहचान बना रहा है। यहां एक केंद्रीय विश्वविद्यालय, दो विश्वविद्यालय, आठ महाविद्यालय, लोक सेवा आयोग, व्यापम और आईआईटी जैसे प्रतिष्ठित परीक्षाओं की तैयारी करवाने वाले करीब 100 से अधिक कोचिंग संस्थान संचालित हो रहे हैं, जिनमें प्रदेश के 50,000 से अधिक छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं।
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