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MP Cabinet: औद्योगिक संवर्धन नीति 2025 को मिली स्वीकृति, लगभग 20 लाख रोजगार होंगे सृजित

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MP Cabinet: Industrial Promotion Policy 2025 approved, about 20 lakh jobs will be created

Bhopal: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में मंगलवार को मंत्रि-परिषद की बैठक मंत्रालय में सम्पन्न हुई। मंत्रि-परिषद द्वारा प्रदेश को विकसित एवं समृद्ध राज्य बनाने के लिए औद्योगिक संवर्धन नीति 2025 की स्वीकृति दी गयी है। इसके अंतर्गत 10 सेक्टर विशिष्ट नीतियों यथा कृषि, डेयरी एवं खाद्य प्रसंस्करण नीति, टेक्सटाइल नीति, परिधान, फुटवियर, खिलौने और सहायक उपकरण नीति, एयरोस्पेस और रक्षा उत्पादन प्रोत्साहन नीति, फार्मास्यूटिकल्स नीति, बायोटेक्नोलॉजी नीति, मेडिकल डिवाईसेस नीति, ईव्ही विनिर्माण नीति, नवकरणीय ऊर्जा उपकरण विनिर्माण नीति और हाई वेल्यू-एड विनिर्माता नीति को स्वीकृति दी गयी है।

औद्योगिक संवर्धन नीति 2025 का उदेश्य मध्य प्रदेश में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने और राज्य की वर्तमान जीडीपी को 2.9 लाख करोड़ रूपये से बढ़ाकर वर्ष 2030 तक लगभग 6 लाख करोड़ रूपये करने में उद्योगों का योगदान बढ़ाना है। निवेशकों को एक समग्र औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र प्रदान करने के लिए विश्व स्तरीय औद्योगिक अधोसंरचना का विकास करना, एनवायरनमेंटली सस्टेनेबल इंडस्ट्रियल ग्रोथ और संतुलित क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देना, राज्य में रोजगार के अवसरों को बढ़ाना, विशेष रूप से रोजगार-गहन क्षेत्रों पर जोर देते हुए अगले पाँच वर्षों में लगभग 20 लाख नवीन रोजगार के अवसर सृजित करना,निवेशक सुविधा में सुधार करना और राज्य में व्यापार करने की प्रक्रिया को सरल बनाना और प्रदेश की योजनाओं को उद्योगों की आवश्यकताओं के साथ संरेखित कर भविष्य के लिए प्रशिक्षित कार्यबल तैयार करना है। इसके अंतर्गत वृहद और मेगा स्तर की औद्योगिक इकाई को निवेश प्रोत्साहन सहायता, सामान्य सहायता और अतिरिक्त सहायता के प्रावधान शामिल किये गये है।

कृषि, डेयरी एवं खाद्य प्रसंस्करण नीति में विद्युत टैरिफ प्रतिपूर्ति 1 रूपये प्रति यूनिट 5 वर्षों के लिए प्रदाय की जायेगी। गुणवत्ता प्रमाणन के लिए प्रोत्साहन, 50% अथवा 5 लाख जो भी कम हो 5 वर्षों के लिए प्रदाय किया जायेगा। इसके साथ ही 75 करोड़ से अधिक का निवेश करने वाले खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां सीसीआईपी अंतर्गत कस्टामाईज्ड पैकेज के लिए पात्र होंगी।

टैक्सटाइल नीति के अंतर्गत्‍संयंत्र और मशीनरी के लिए गए टर्मलोन पर 5 प्रतिशत ब्याज अनुदान सुविधा 5 वर्षों के लिए अधिकतम, 50 करोड़ रूपये प्रदाय की जायेगी। अपेरल प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना पर 25 प्रतिशत सहायता अधिकतम 50 लाख रूपये वित्तीय सहायता प्रदाय की जायेगी। साथ ही 500 करोड़ रूपये से अधिक का निवेश करने वाली मेगा श्रेणी की इकाईयां सीसीआईपी अंतर्गत कस्टमाईज्ड पैकेज के लिए पात्र होंगी।

परिधान, फुटवियर, खिलौने और सहायक उपकरण नीति में रोजगार सृजन को प्रोत्साहित करने के लिए प्रति कर्मचारी 5 हजार रूपये प्रति माह 5 वर्षों तक, कुल 10 वर्षों की अवधि में प्रदान किये जायेंगे। प्रशिक्षण और कौशल विकास के लिए 13 हजार रूपये प्रति नए कर्मचारी के लिए 5 वर्षों तक प्रदान किया जायेगा। टर्मलोन पर 5% ब्याज अनुदान, अधिकतम 50 करोड़ रूपये दिया जायेगा। विकास शुल्क में 25% की रियायत देने के साथ स्टांप ड्यूटी और पंजीकरण शुल्क सहायता में 100 प्रतिशत की छूट दी जायेगी। विद्युत टैरिफ रियायत के रूप में 1 रूपये प्रति यूनिट, अधिकतम 5 वर्षों के लिए प्रदान की जायेगी। अपेरल प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना पर 25 प्रतिशत सहायता अधिकतम 50 लाख रूपये प्रदाय की वित्तीय सहायता प्रदाय की जायेगी। इसके साथ ही 75 करोड़ रूपये से अधिक का निवेश करने वाली मेगा श्रेणी इकाइयां कस्टामाईज्ड पैकज के लिए पात्र होंगी।

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एयरोस्पेस और रक्षा उत्पादन प्रोत्साहन नीति में विकास शुल्क में 25% की रियायत दी जायेगी। गुणवत्ता प्रमाणन के रूप मे 50% या 10 लाख रूपये की प्रतिपूर्ति, जो भी कम हो की जायेगी। साथ ही 500 करोड़ रूपये से अधिक का निवेश करने वाली मेगा श्रेणी इकाइयां कस्टामाईज्ड पैकज के‍लिए पात्र होंगी।

नवकरणीय ऊर्जा उपकरण विनिर्माण नीति में विकास शुल्क में 50% की रियायत दी जायेगी गुणवत्ता प्रमाणन लागत का 50% या 1 लाख रूपये जो भी कम हो, की प्रतिपूर्ति की जायेगी। 250 करोड़ से अधिक का निवेश करने वाली मेगा श्रेणी की इकाइयां सीसीआईपी अंतर्गत कस्टामाईज्ड पैकज के‍लिए पात्र होंगी।

फार्मास्यूटिकल्स नीति के अंतर्गत्‍गुणवत्ता प्रमाणन लागत का 50% या 1 करोड़ रूपये 5 वर्षों के लिए प्रदान किया जायेगा। अतिरिक्त निवेश पर 2 वर्षों का स्लैक अवधि प्रोत्साहन के रूप में दिया जायेगा। परीक्षण सुविधा की स्थापना में हुए व्यय का 50% पूंजी अनुदान अधिकतम 1 करोड़ रूपये प्रदान किया जायेगा। साथ ही 250 करोड़ रूपये से अधिक का निवेश करने वाली मेगा श्रेणी की इकाइयां सीसीआईपी अंतर्गत कस्टामाईज्ड पैकज के लिए पात्र होंगी।

बायोटेक्नोलॉजी नीति में इन-हाउस आर एंड डी के लिए यंत्र-संयंत्र एवं भवन का 50 प्रतिशत ईएफसीआई में सम्मिलित होगा। परीक्षण सुविधा की स्थापना में हुए व्यय का 50% पूंजी अनुदान अधिकतम 1 करोड़ रूपये प्रदान किया जायेगा। बायोटेक्नोलॉजी पार्क निजी औद्योगिक पार्क के समान सुविधा के लिए पात्र होंगे। 250 करोड़ रूपये से अधिक का निवेश करने वाली मेगा श्रेणी की इकाईयां सीसीआईपी अंतर्गत कस्टामाईज्ड पैकज के लिए पात्र होंगी।

मेडिकल डिवाइसेस नीति में आर एंड डी सुविधाएं विकसित करने के लिए 50 प्रतिशत ईएफसीआई में सम्मिलित होगा। परीक्षण सुविधा की स्थापना पर 50% पूंजी अनुदान अधिकतम 1 करोड़ रूपये प्रदान किया जायेगा। 500 करोड़ रूपये से अधिक का निवेश करने वाली मेगा श्रेणी इकाईयां सीसीआईपी अंतर्गत कस्टामाईज्ड पैकज के लिए पात्र होंगी।

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ईव्ही विनिर्माण नीति के बैटरी परीक्षण सहित को ईएफसीआई अंतर्गत मान्य किया जायेगा। गुणवत्ता प्रमाणन के लिए 50 प्रतिशत प्रतिपूर्ति या 1 लाख रूपये प्रति मॉडल जो भी कम हो, अधिकतम 10 लाख रूपये प्रदान किये जायेंगे। एमपीआईडीसी द्वारा लगाए गए विकास शुल्क में 25% की रियायत दी जायेगी। 500 करोड़ रूपये से अधिक का निवेश करने वाली मेगा श्रेणी इकाइयां सीसीआईपी अंतर्गत कस्टामाईज्ड पैकज के लिए पात्र होंगी।

हाई वेल्यू-एड विनिर्माता नीति के अतंर्गत प्रशिक्षण और कौशल विकास के लिए सहायता के रूप में 13 हजार रूपये प्रति नए कर्मचारी 5 वर्षों तक प्रदान किया जायेगा। गुणवत्ता प्रमाणन लागत का 50% या 1 लाख रूपये की प्रतिपूर्ति, जो भी कम हो प्रदान की जायेगी। 75 करोड़ रूपये से अधिक का निवेश करने वाली मेगा श्रेणी की इकाईयां सीसीआईपी अंतर्गत कस्टमाईज्ड पैकज के लिए पात्र होंगी।

मेड इन मध्यप्रदेश बाजार विकसित करने “मध्य प्रदेश निर्यात नीति-2025” की स्वीकृति

प्रदेश के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए “मध्य प्रदेश निर्यात नीति-2025” लागू करने की स्वीकृति दी गयी। यह नीति निर्यात अधोसंरचना में निजी डेवलपर्स की भागीदारी बढ़ाने के लिए, निर्यात क्षेत्रों के डेवलपर्स को प्रोत्साहित करती है। नीति अतर्गत प्रावधानित अन्य गैर-वित्तीय सहायता एवं आईसीडी को सुगम बनाने के निर्णयों से प्रदेश के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। नीति का उद्देश्य राज्य में बड़े निर्यातकों की भागीदारी में वृद्धि करना, निर्यात विविधीकरण को बढ़ावा देना, निर्यात मात्रा और निर्यात दक्षता बढ़ाना, प्रदेश में निर्यातोन्मुखी इकाइयों को उनके निर्यात मूल्य को बढ़ाने में सहायता करना, विश्व स्तर पर ‘मेड इन मध्यप्रदेश बाजार को विकसित करना और प्रदेश में रोजगार के अवसर को बढ़ाना है।

वृहद श्रेणी की विनिर्माता इकाइयों द्वारा अपने उत्पादन का 25% से अधिक निर्यात करने पर निर्यात प्रोत्साहन सहायता उपलब्ध करायी जायेगी। इसमें पहली बार निर्यात करने वाली इकाइयों के लिए पंजीकरण सह-सदस्यता प्रमाणन की प्रतिपूर्ति अधिकतम 10 लाख रूपये तक और निर्यात बीमा प्रीमियम की प्रतिपूर्ति अधिकतम 25 लाख रूपये तक की जायेगी। निर्यात भाड़ा सहायता के रूप में फैक्टरी परिसर से बंदरगाह/ एयर कार्गों/ अंतरराष्ट्रीय सड़क मार्ग तक माल ले जाने के लिए किए गए व्यय की 50% तक प्रतिपूर्ति अधिकतम 2 करोड़ रूपये की जायेगी। निर्यात अधोसंरचना सहायता के अंतर्गत्‍परीक्षण प्रयोगशालाएं, अनुसंधान और विकास केंद्र, निर्यात इनक्यूबेशन केन्द्र आदि निर्यातोन्मुखी अधोसंरचना पर किये गये व्यय का 25% अधिकतम 1 करोड़ रूपये प्रदान किया जायेगा। प्रदेश से निर्यात करने वाली इकाई के लिए इन्क्रीमेंटल फ्री ऑनबोर्ड वेल्यू पर 10% की सहायता 5 वर्षों तक अधिकतम 2 करोड़ रूपये निर्यात टर्नओवर सहायता के रूप में प्रदान की जायेगी। निर्यात विपणन सहायता मे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेलों प्रदर्शनियों और केता-विक्रेता बैठकों में भाग लेने के लिए किये गये व्यय का 75% प्रतिपूर्ति अधिकतम 5 लाख रूपये प्रतिवर्ष प्रदान किया जायेगा। निर्यात ग्रीन दस्तावेज सहायता के रूप मंी निर्यात प्रलेखन लागत (सीबीएएम नेट-जीरो उत्सर्जन कार्बन ऑफसेटिंग आदि) पर किये गये व्यय का 50% प्रतिपूर्ति अधिकतम 20 लाख रूपये प्रतिवर्ष प्रति इकाई 5 वर्षों की अवधि के लिए किया जायेगा। निर्यात वित्तीय सहायता मे लिये गये ऋण पर 5 प्रतिशत ब्याज अनुदान 5 वर्षों के लिए अधिकतम 50 लाख रूपये प्रदान किया जायेगा। एचजीवी सेक्टर्स (फर्नीचर ट्रांसपोर्ट, आदि) एवं वैश्विक बाजार स्तर पर निर्यात की गई वस्तुओं (एलेक्ट्रॉनिक्स मशीनरी, अप्लाइन्स आदि) के लिए Free Onboard Value का 5% की अतिरिक्त सहायता, अधिकतम 30 लाख रूपये प्रति वर्ष 5 वर्ष की अवधि में निर्यात विकास संवर्धन प्रोत्साहन सहायता के रूप मे प्रदान की जायेगी।

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न्यूनतम 25 एकड़ तथा 70% से अधिक निर्यात उन्मुखी इकाइयां जिनके द्वारा पिछले 3 वर्षों में 25% से अधिक उत्पादन निर्यात किया गया हो वह डेडीकेटेड एक्सपोर्ट पार्क्स (DEP) डेव्हलपर्स के लिए सहायता के लिए पात्र होंगी। इसमें स्टांप शुल्क एवं पंजीकरण शुल्क पर 100% प्रतिपूर्ति, स्थाई अधोसंरचना (भूमि एवं आवासीय इकाइयों को छोड़कर) पर 50% प्रतिपूर्ति या 20 लाख रूपये प्रति एकड़, जो भी कम हो, अधिकतम 40 करोड रूपये तक प्रदान किया जायेगा। कॉमन प्रोसेसिंग फेसिलिटी पर 25% पूंजीगत सहायता, अधिकतम 25 करोड़ रूपये प्रदान कि जायेगी। हरित औद्योगीकरण मे अपशिष्ट प्रबंधन के लिए 50% पूंजीगत अनुदान, अधिकतम 5 करोड़ रूपये और जीरो लिक्विड डिस्चार्ज के लिए अधिकतम 10 करोड़ रूपये का पूंजीगत अनुदान सहायता दी जायेगी।

नीति अंतर्गत्‍निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए स्टार्टअप और नए निर्यातकों के लिए समर्पित निर्यात इनक्यूबेशन हब तैयार किए जायेगें। व्यावसायिक संस्थानों में उद्योग-संस्थान इंटरफेस में वृद्धि के साथ तकनीकी पाठ्यक्रमों का उन्नयन किया जाएगा। प्रदेश के छात्रों के लिए ऑन जाब ट्रेनिंग प्रदान करने के लिए संस्थानों के साथ भागीदारी की जायेगी। प्रदेश में व्यापार सहायता सुविधा स्थापित किया जाएगा।। निर्यात के लिए प्राथमिकता क्षेत्र केंद्रित विशेष आर्थिक क्षेत्र विकसित किया जाएगा। केंद्र सरकार के सहयोग से 20+ गति शक्ति कार्गो टर्मिनलों का विकास किए जाने का प्रयास किया जाएगा। भंडारण और परिवहन अधोसंरचना को बढ़ाने के लिए अतिरिक्त एमएमएलपी, एयर कार्गो हब और हवाई अड्डों का विकास किया जाएगा। साथ ही जिला स्तर पर ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ओएनडीसी) विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। पर्यावरण अनुपालन प्राप्त करने और जेडईडी (जीरो डिफेक्ट जीरो इफेक्ट) प्रमाणन प्राप्त करने में एमएसएमई की सहायता के लिए एक लक्षित कार्यक्रम शुरू किया जाएगा। स्थापित उद्यमियों और क्षेत्रीय विशेषज्ञों के सहयोग से एक राज्यव्यापी परामर्श कार्यक्रम शुरू किए जाएगें। Minimum inspection and speedy clearance हेतु ग्रीन कार्ड स्कीम स्थापित की जायेगी। निर्यातक आयातक इकाईयों के डेटाबेस को स्टेट पोर्टल पर अपडेट किया जायेगा। प्रदेश के गतिशक्ति पोर्टल को नेशनल मास्टर प्लान से संरेखित किया जायेगा।

”मध्यप्रदेश लॉजिस्टिक नीति 2025” की स्वीकृति

मंत्रि-परिषद द्वारा प्रदेश में लॉजिस्टिक अधोसंरचना विकसित करने और समग्र विकास के लिए मध्यप्रदेश लॉजिस्टिक नीति 2025 की स्वीकृति दी हैं। नीति का उद्देश्य प्रदेश में दक्ष धारणीय, विश्वसनीय एवं अनुकूल लॉजिस्टिक अधोसंरचना का विकास करना और वर्ष 2030 तक वैश्विक बेंचमार्क के अनुरूप लॉजिस्टिक लागत को कम करना एवं डेटा संचालित निर्णय समर्थन तंत्र स्थापित करना हैं।

लॉजिस्टिक एवं वेयरहाउस अधोसरंचना अंतर्गत लॉजिस्टिक पार्क, मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक पार्क, इन्लैंड कंटेनर डिपो और ड्राय पोर्टस् की स्थापना के लिए निवेश सहायता प्रदान की जायेगी। इसके अंतर्गत लॉजिस्टिक पार्क की सुविधा 25 एकड़ से 75 एकड़ क्षेत्र मे विकसित करने पर अधिकतम 50 करोड़ रूपये और 75 एकड़ से अधिक क्षेत्र पर विकसित करने पर अधिकतम 75 करोड़ रूपये की सहायता राशि दी जायेगी। आईजीबीसी ग्रीन लॉजिस्टिक्स पार्क और गोल्ड एवं प्लैटिनम प्रमाणन के लिए वेयरहाउस सर्टिफिकेशन के लिए 50% तक की सहायता, अधिकतम 20 लाख रुपये तक प्रदाय की जायेगी। परियोजना अंतर्गत्‍बाह्य सड़क/रेल अधोसंरचना विकास (परियोजना स्थल तक पहुंचने हेतु) के लिए व्यय की गई राशि की 50% प्रतिपूर्ति, अधिकतम 5 करोड़ रूपये की सीमा तक प्रदान की जायेगी।

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प्रायवेट फ्रीट टर्मीनल,गति शक्ति कार्गो टर्मिनल,कंटेनर फ्रीट स्टेशन और एयर कार्गों कॉम्पलेक्स के निर्माण पर भी वित्तीय सहायता प्रदान की जायेगी। 5 से 10 एकड़ तक के क्षेत्र पर निर्माण पर अधिकतम 5 करोड़ रूपये, 10 से 50 एकड़ के क्षेत्र पर निर्माण पर अधिकतम 15 करोड़ रूपये और 50 एकड़ से अधिक क्षेत्र पर निर्माण पर अधिकतम 25 करोड़ रूपये की सहायता राशि प्रदाय की जायेगी।

कृषि वेयरहाउस से औद्योगिक वेयरहाउस में उन्नयन करने पर किये गये व्यय की 40% प्रतिपूर्ति, अधिकतम 1 करोड़ रूपये प्रदान किये जायेंगे। साथ ही परियोजना अंतर्गत बाह्य सड़क/रेल अधोसंरचना विकास (परियोजना स्थल तक पहुंचने हेतु) के लिए व्यय की गई राशि की 50% प्रतिपूर्ति, अधिकतम 3 करोड़ रूपये की सहायता प्रदान की जायेगी।

सामान्य प्रोत्साहन में वेयरहाउसिंग एवं लॉजिस्टिक गतिविधियों को कलेक्टर गाइड लाइन दर अनुसार अविकसित भूमि आवंटित करने के लिए प्रचलित भूमि प्रबंधन नियम में प्रावधान किया जायेगा। लॉजिस्टिक हब/पार्क की स्थापना के लिए भूमि के क्रय पर 100 प्रतिशत स्टाम्प शुल्क और पंजीकरण शुल्क (अधिकतम 5 करोड़ रूपये) की प्रतिपूर्ति की जाएगी। साथ ही अन्य गैर वित्तीय सहायता जैसे एक्जिम कार्गो के लिए ग्रीन चैनल का विकास, फास्ट-ट्रैक भवन अनुमति, सिंगल विडो सिस्टम, 24×7 निरंतर संचालन की अनुमति ग्राउंड कवरेज में रियायत लॉजिस्टिक और वेयरहाउसिंग अधोसंरचना को 70% तक के उच्च ग्राउंड कवरेज की अनुमति प्रदान की जायेगी।

म.प्र. सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन (सीजीडी) पॉलिसी नेटवर्क विकास एवं विस्तार नीति, 2025 की स्वीकृति

मंत्रि-परिषद द्वारा प्रदेश में सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन (सीजीडी) पॉलिसी नेटवर्क के विस्तार के लिए म.प्र. सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन (सीजीडी) पॉलिसी नेटवर्क विकास एवं विस्तार नीति, 2025 लागू किए जाने का निर्णय लिया गया। मध्यप्रदेश देश के अग्रणी राज्यों में सम्मिलित है जहां सीजीडी पॉलिसी लागू की जा रही है। मध्यप्रदेश में सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन (सीजीडी) पॉलिसी नेटवर्क के अंतर्गत् घरेलू उपयोग के लिए, वाणिज्यक एवं औद्यौगिक इकाइयों में पाईपलाईन के माध्यम से पाईप्ड नेचुरल गैस की आपूर्ति की जायेगी। सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन (सीजीडी) पॉलिसी नेटवर्क का उदेश्य घरों और उद्योगों के लिये स्वच्छ और किफायती ईंधन की उपलब्धता सुनिश्चित कराना है। सीएनजी गैस स्टेशन के माध्यम से वाहनों में ईधन के रूप में सीएनजी की आपूर्ति की जायेगी। यह ईंधन पेट्रोल एवं डीजल की अपेक्षा सस्ता होता है और इसमें प्रदूषण का स्तर कम होता है। इस पॉलिसी का उदेश्य राज्य में सीजीडी बुनियादी ढांचे का विकास एवं क्रियान्वयन शीघ्रतापूर्वक किया जाना है। इसके लिये सभी आवश्यक अनुमतियां समय-सीमा में उपलब्ध करा दिये जाने और भूमि आवंटन की प्रक्रिया का निर्धारण स्पष्ट किया गया है।

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नीति के माध्यम से घरों में स्वच्छ ईधन का उपयोग होने से महिलाओं का स्वास्थ्य बेहतर होगा साथ ही घरों में गैस सिलेण्डर के स्थान पर पाईप के माध्यम से घरेलू गैस उपलब्धता में सुविधा होगी। यह गैस सिलेण्डर में उपलब्ध गैस की अपेक्षाकृत सस्ती होगी, जिससे प्रदेश के विभिन्न परिवारों को आर्थिक लाभ के साथ ही जीवन स्तर में सुधार होगा। नीति के अंतर्गत् विभिन्न अनुमतियां सिंगल विण्डो सिस्टम के माध्यम से डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट से प्राप्त करने के लिए अधिकतम कार्य दिवस 60 दिन एवं पाईप लाईन विछाने की अनुमति के लिए अधिकतम कार्य दिवस 77 दिन निर्धारित किये गये हैं। प्रावधान ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के अंतर्गत् कारोबार करने में आसानी के लिए किये गये हैं। साथ ही पॉलिसी में सीएनजी वाहनों को बढावा देने के उद्देश्य से एक प्रतिशत जीवनकाल मोटरयान कर में छूट दी जायेगी। वाहनों का पंजीयन शुल्क यथावत् रहेगा। यह छूट पॉलिसी लागू होने के एक वर्ष तक लागू रहेगी।

प्रदेश को फिल्म पर्यटन अनुकूल राज्य बनाने के लिए फिल्म पर्यटन नीति 2025 की स्वीकृति

मंत्रि-परिषद ने प्रदेश को फिल्म पर्यटन अनुकूल राज्य बनाने और राज्य में फिल्म उद्‌योग के माध्यम से अधिकाधिक निवेश एवं रोजगार के अवसर उत्पन्न करने के उद्धेश्य से मध्यप्रदेश फिल्म पर्यटन नीति 2025 की स्वीकृति दी। मध्यप्रदेश फिल्म पर्यटन नीति 2025 के तहत समग्र सिनेमा उद्यो ग का विकास, स्थानीय प्रतिभाओं, क्षेत्रीय भाषाओं, महिलाओं के सशक्तिकरण और बुनियादी ढांचे के विकास को प्राथमिकता दी गयी है। नीति अंतर्गत फिल्म शूटिंग अनुमतियों को सिंगल विण्डो सिस्टम अंतर्गत किया जाकर पब्लिक सर्विस गारंटी एक्ट के तहत शामिल किया गया है। स्थानीय और जनजातीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए मालवी, बुंदेलखंडी, बघेलखंडी, निमाडी, गोंडी, भीली, कोरकू जैसी स्थानीय भाषाओं पर आधारित फिल्मों के लिए 10% अतिरिक्त अनुदान का प्रावधान किया गया है। बच्चों के सिनेमा को बढ़ावा देने के लिए बच्चों के विषयों पर आधारित फिल्मों के लिए विशेष अनुदान 10% दिया जायेगा। महिला केंद्रित फिल्मों के लिए 10% अतिरिक्त अनुदान की व्यवस्था की गयी हैं। क्षेत्रीय भाषाओं को प्रोत्साहन देने के लिए मराठी, बंगाली, आदि क्षेत्रीय भाषाओं मे फिल्म निर्माण पर 10% अतिरिक्त अनुदान प्रदान किया जायेगा। साथ ही ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक व्यक्तित्वों पर आधारित फिल्मों के लिए अतिरिक्त अनुदान, शॉर्ट फिल्मों के लिए वित्तीय सहायता, नवीन एकल सिनेमाघरों के निर्माण और मौजूदा सिनेमाघरों के उन्नयन के लिए विशेष अनुदान प्रावधान और राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त डॉक्यूमेंट्री फिल्मों के लिए अनुदान प्रदान किया जायेगा।

राज्य में फिल्म निर्माण को बढ़ावा देने तथा रोजगार एवं आर्थिक गतिविधियों में वृ‌द्धि एवं फिल्म निर्माण संबंधी अधोसंरचना निवेश को आकर्षित करने के लिए विशेष वित्तीय अनुदान प्रदान किये जायेंगे। फीचर फिल्म के लिए अनुदान अधिकतम रु. 2 करोड़ रूपये तक, वेब सीरीज के लिए अनुदान अधिकतम 1 करोड़ 50 लाख रूपये तक, टीवी-शो/सीरियल्स के लिए अनुदान अधिकतम 1 करोड़ रूपये तक, डॉक्युमेंट्री के लिए अनुदान अधिकतम 40 लाख रूपये तक, अंतर्राष्ट्रीय फिल्म के लिए अनुदान अधिकतम 1.3 मिलियन USD (INR 10 करोड़ रूपये तक) और शॉर्ट फिल्मों के लिए अधिकतम अनुदान 15 लाख रुपये तक प्रदान किया जायेगा। वित्तीय अनुदान तब दिया जायेगा जब कुल शूटिंग दिवसों में 75% शूटिंग दिवस मध्य प्रदेश में किया गया हो।

उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश को 2022 में ‘मोस्ट फिल्म-फ्रेंडली स्टेट का पुरस्कार प्राप्त हुआ है। पिछले 5 वर्षों में राज्य में 350 से अधिक फिल्म परियोजनाए सफलतापूर्वक पूर्ण हो चुकी हैं। अब तक 10 हिंदी फीचर फिल्मे 1 तेलुगु फीचर फिल्म और 4 वेबसीरीज को लगभग 21 करोड़ रुपये की वित्तीय अनुदान सहायता दी गई है। विगत वर्षों में प्रदेश में फिल्मांकित विभिन्न फिल्म परियोजनाओं दवारा राज्य में अनुमानित रूप से 700 करोड़ रुपये व्यय गये है और एक लाख पचास हजार से अधिक अस्थायी रोजगार दिवसो का सृजन हुआ है। भूल भुलैया-3. सिक्सर, लव की अरेंज मैरेज, गुल्लक, धड़क-2, स्त्री, पंचायत, कोटा फैक्ट्री, पोन्नियिन सेल्वन, सिटीडेल (हनी बन्नी), औरों में कहा दम था, डंकी, पटना शुक्ला, तिवारी, फुकरे 3, द रेलवे मेन, सेल्फी, लापता लेडीज, युद्ध, एवं जरा हटके जरा बचके जैसी प्रसिद्ध एवं लोकप्रिय फिल्म परियोजनाएं प्रदेश में फिल्मांकित हुई है।

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प्रदेश को सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गंतव्य के रूप मे स्थापित करने के लिए पर्यटन नीति 2025 की स्वीकृति

मंत्रि-परिषद द्वारा प्रदेश को सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गंतव्य के रूप मे स्थापित करने के लिए पर्यटन नीति 2025 की स्वीकृति दी है। इसका उद्धेश्य प्रदेश की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक एवं प्राकृतिक विरासत को वैश्विक पहचान दिलाना है। साथ ही पर्यटन स्थलों में विश्व स्तरीय अधोसरंचना का निर्माण कर पर्यटकों को अविस्मरणीय अनुभव प्रदान कराना हैं। नीति के अंतर्गत्‍गोल्फ, कन्वेंशन सेंटर, वेलनेस रिसोर्ट, क्रूज, अंर्तप्रदेशीय वायु सेवा, हेरिटेज होटल, रोप-वे, म्यूजियम, लाइट एंड साउंड शो आदि के निर्माण को प्रोत्साहन दिया जायेगा।

नीति अंतर्गत अल्ट्रा मेगा परियोजनाओं (निवेश 100 करोड़ रूपये से अधिक) को कलेक्टर गाइडलाइन दर पर 90 वर्षों के लिए उपलब्ध विभागीय भूमि का सीधा आवंटन किया जायेगा। राज्य में किसी भी स्थान पर पर्यटन परियोजनाओं के लिए 15% से 30% अधिकतम रुपये 90 करोड़ तक का पूंजी अनुदान प्रदाय किया जायेगा। इलेक्ट्रिक कूज को प्रोत्साहित करने के लिए 5% का अतिरिक्त अनुदान दिया जायेगा। दुर्गम दूरस्थ नवीन क्षेत्रों में पर्यटन परियोजनाओं की स्थापना पर 5% का अतिरिक्त अनुदान प्रदान किया जायेगा। मध्य प्रदेश पर्यटन बोर्ड में निवेश प्रोत्साहन सेल की स्थापना की गई है। पारदर्शी प्रक्रिया के माध्यम से निजी निवेशकों को लैंड पार्सल मार्ग सुविधा केन्द्रों और हेरिटेज संपतियों का आवंटन किया जायेगा। वाइल्ड लाइफ रिसॉर्टस के लिए विशेष अनुदान दिया जायेगा। पर्यटन सम्भावित अविकसित नवीन क्षेत्रों में निवेश कर पर्यटन परियोजनाएं स्थापित की जाएगी। नवीन पर्यटन सम्भावना वाले क्षेत्रों का विकास कर निजी निवेश का मार्ग प्रशस्त किया जायेगा।

निवेशक, पर्यटन परियोजनाओं की स्थापना के लिये विभिन्न विभागों से अनुमतियाँ/अनापत्ति समयसीमा में प्राप्त करने के लिए सिंगल विंडो सिस्टम से प्राप्त कर सकेंगे। पर्यटन परियोजनाओं की स्थापना के लिए आवश्यक अनुमतिया/अनापत्ति को समयसीमा के साथ नीति में अधिसूचित किया गया है। ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस की अवधारणा अंतर्गत अनुमतियां/अनापत्तियों को लोक सेवा गारंटी अधिनियम अंतर्गत लाया जायेगा। गोल्फ टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल अंतर्गत निजी निवेश को अनुबंध पर दिया जायेगा। निजी निवेशकों को गोल्फ टूरिज्म की स्थापना के लिए विभागीय भूमि में से अधिकतम 10 प्रतिशत भूमि का सब-लीज पर व्यवसायिक उपयोग करने की अनुमति दी जा सकेगी। आवंटित मार्ग सुविधा केन्द्र को कम हुई भूमि के बदले समतुल्य मूल्य की भूमि उपलब्ध करायी जा सकेगा। नर्मदाघाटी विकास प्राधिकरण, जल संसाधन विभाग, लोक निर्माण विभाग के रेस्ट हाऊस, गेस्ट हाऊस, डॉक बंगला, सर्किट हाऊस आदि को पर्यटन परियोजना की स्थापना के लिए निजी निवेशकों को लीज पर दिया जायेगा। स्टार्टअप उद्यमियों को निविदाओं में भाग लेने का अवसर प्राप्त होगा ।

शिवपुरी में विमान संचालन के लिए 292 एकड़ भूमि की स्वीकृति

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मंत्रि-परिषद द्वारा शिवपुरी स्थित शासकीय हवाई पट्टी में ATR-72 विमानों के संचालन के लिए भाविप्रा को 292 एकड़ भूमि की स्वीकृति दी गयी है। इसके लिए भूमि अधिग्रहित करने एवं मुआवजा राशि का भुगतान किये जाने का निर्णय लिया गया हैं।

उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश राज्य का शिवपुरी शहर एक ऐतिहासिक एवं पर्यटन की दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण है, जहाँ माधव एवं कूनो राष्ट्रीय उद्यान स्थित है। कूनों की पहचान देश ही नहीं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी है। शिवपुरी में काफी अधिक संख्या में देश-विदेश के पर्यटकों का आवागमन होता रहता है। शिवपुरी में विमान संचालन से पर्यटकों को आवागमन में सहुलियत होगीं।

पम्प हाईड्रो स्टोरेज परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिए योजना की स्वीकृति

मंत्रि-परिषद द्वारा “मध्यप्रदेश में पम्प हाईड्रो स्टोरेज परियोजनाओं के क्रियांवयन के लिए योजना 2025” को स्वीकृति दी है। उल्लेखनीय है कि सौर तथा पवन ऊर्जा स्त्रोतों से मिलने वाली ऊर्जा, स्थाई प्रकृति की नहीं होने के कारण पम्प हाइड्रो स्टोरेज परियोजनाओं का विकास महत्वपूर्ण है। देश में 96 हजार मेगावाट की क्षमता उपलब्ध है जिसके विरूद्ध वर्तमान में मात्र 8 पंप हाइड्रो स्टोरेज परियोजनाएं तैयार है। इस परियोजना मुख्यतः तीन प्रकार की होती है ऑन स्ट्रीम पीएसपी, सेमी ऑफ स्ट्रीम और ऑफ स्ट्रीम पीएसपी। पम्प हाइड्रो स्टोरेज परियोजना के साईट आवंटन के लिए चार श्रेणियां निर्धारित है।

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Ujjain: महाकाल लोक बनने के बाद चार गुना बढ़ गया बाबा महाकाल का खजाना, तीन से चार गुना हुई भक्तों की संख्या

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Ujjain: After the formation of Mahakal Lok, the treasure of Baba Mahakal increased four times, the number of devotees increased three to four times

Ujjain: विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में प्रतिदिन होने वाली भस्म आरती और बाबा महाकाल के दिव्य दर्शन के लिए हर कोई उज्जैन आने को लालायित रहता है। वहीं महाकाल लोक बनने के बाद श्रद्धालुओं का उज्जैन आने का सिलसिला और भी बढ़ गया है। इससे बाबा महाकाल को चढ़ावे में आने वाले दान में भी जबरदस्त इजाफा हुआ है। बाबा महाकाल के दर्शन करने के बाद श्रद्धालु खुले हाथों से दान भी कर रहे हैं। मंदिर को मिलने वाला दान पिछले चार वर्षों में चार गुना बढ़ गया है।

महाकाल लोक बनने के बाद रोजाना लगभग डेढ़ से दो लाख भक्त दर्शन के लिए आ रहे हैं। पहले यह संख्या प्रतिदिन 40 से 50 हजार थी।  भक्तों की संख्या बढ़ने से मंदिर को मिलने वाला दान भी पिछले चार वर्षों में चार गुना बढ़ गया है। वर्ष 2019-20 में मंदिर को लगभग 15 करोड़ रुपये दान मिला था। वहीं वर्ष 2023-24 में यह बढ़कर 59.91 करोड़ रुपए हो गया। 2024-25 में अब तक 51.22 करोड़ रुपए का दान आ चुका है। यह राशि सिर्फ दान पेटियों में डाले गए दान की है।

खास बात यह है, इसमें लड्डू प्रसादी, भस्मारती शुल्क दर्शन, शृंगार बुकिंग, आभूषण और अन्य से मिली राशि को नहीं जोड़ा गया है। मंदिर की दान पेटी से 64 किलो ऐसे आभूषण हैं, जो कि दान पेटी से कैश के साथ निकले हैं, जिसमें हीरे की अंगूठी, बेशकीमती घड़ियां, डॉलर सहित अन्य देशों की मुद्रा भी शामिल है।

लगातार बढ़ रही श्रद्धालुओं की संख्या

उज्जैन में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। जहां साल 2023 में 5.3 करोड़ लोग उज्जैन आए थे। तो वहीं साल 2024 में यह आंकड़ा बढ़कर 7.4 करोड़ हो गया। इसका मतलब है कि एक साल में लगभग 40 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। पिछले दो वर्षों में 12 करोड़ 32 लाख से ज्यादा श्रद्धालु भगवान महाकाल के दर्शन के लिए उज्जैन पहुंचे हैं।

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Khandwa: श्रद्धालु को ढाबे में सेव टमाटर में मिले मटन के पीस, हिंदू नाम से ढाबा चला रहा मुस्लिम संचालक गिरफ्तार

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Khandwa: Devotee found mutton pieces in tomato sev at Dhaba, Muslim operator running Dhaba under Hindu name arrested

Khandwa: धूनीवाले दादाजी धाम की यात्रा पर निकले श्रद्धालुओं के साथ खंडवा के पंधाना थाना क्षेत्र के डुल्हार गांव के पास स्थित एक ढाबे पर खाने के नाम पर बड़ा धोखा हुआ है। गुरु पूर्णिमा पर्व पर धूनीवाले दादाजी धाम में दर्शन के लिए आ रहा श्रद्धालुओं का एक ग्रुप पंधाना थाना क्षेत्र के राजवीर ढाबा पर खाना खाने के लिए रुका। जानकारी के अनुसार, उन्होंने ढाबे से सेव टमाटर की सब्जी और रोटी मांगी, परंतु परोसे गए भोजन में मटन की मिलावट पाई गई। जब श्रद्धालुओं ने सब्जी में मांस के टुकड़े देखे, तो वे भड़क उठे और मौके पर हंगामा हो गया।

घटना की जानकारी लगने पर हिंदू संगठनों के कार्यकर्ता घटनास्थल पर पहुंचे और पंधाना पुलिस को मामले की सूचना दी। जांच में सामने आया कि ‘राजवीर ढाबा’ का संचालक मुस्लिम युवक जावेद था। मामले की गंभीरता को देखते हुए एसडीएम पंधाना दिनेश सावले और एसडीएम खंडवा बजरंग बहादुर सिंह ने तत्काल मौके पर पहुंचकर ढाबे को सील करने के आदेश दिए।

पुलिस ने ढाबा संचालक जावेद और एक अन्य व्यक्ति को हिरासत में ले लिया, और पूछताछ के दौरान बड़े पैमाने पर अवैध शराब भी जब्त की गई है। श्रद्धालुओं की धार्मिक भावनाओं और आस्था से खिलवाड़ की इस घटना से हिंदू धार्मिक संगठनों में काफी आक्रोश है। उन्होंने मांग की है कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की तरह जिले के सभी ढाबों और होटलों पर संचालकों के नाम स्पष्ट रूप से दर्शाए जाएं। साथ ही गुरु पूर्णिमा पर्व के दौरान तीन दिनों तक खंडवा जिले में मांस और शराब की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए।

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MP IAS Transfer: नीरज मंडलोई होंगे मुख्यमंत्री के एसीएस, संजय दुबे को नगरीय प्रशासन एवं आवास की जिम्मेदारी

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MP IAS Transfer: Neeraj Mandloi will be ACS of Chief Minister, Sanjay Dubey will be given responsibility of Urban Administration and Housing

Bhopal: मध्यप्रदेश की डॉ. मोहन यादव सरकार ने रविवार रात 9 वरिष्ठ आईएएस अफसरों की जिम्मेदारी में बदलाव किया है। इस फेरबदल में 1993 बैच के वरिष्ठ IAS अफसर नीरज मंडलोई को मुख्यमंत्री कार्यालय में अपर मुख्य सचिव के रूप में पदस्थ किया गया है। उन्हें इसके साथ ऊर्जा विभाग और लोक सेवा प्रबंधन विभाग का अतिरिक्त प्रभार भी सौंपा गया है। वहीं, अब तक मुख्यमंत्री कार्यालय में अपर मुख्य सचिव पद पर कार्यरत वरिष्ठ आईएएस अधिकारी 1990 बैंच के डॉ. राजेश राजौरा को उपाध्यक्ष, नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण, प्रबंध संचालक, नर्मदा बेसिन प्रोजेक्ट कंपनी लिमिटेड, जल संसाधन विभाग के अपर मुख्य सचिव पद पर पदस्थ किया गया है।

सामान्य प्रशासन विभाग से जारी आदेश में अब तक सामान्य प्रशासन विभाग, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और कर्मचारी चयन मंडल का अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे 1993 बैच के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी संजय दुबे को नगरीय विकास एवं आवास विभाग का अपर मुख्य सचिव बनाया गया है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग उनके पास यथावत रहेगा।

नगरीय विकास एवं आवास विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार शुक्ल को सामान्य प्रशासन विभाग, विधिक प्रकोष्ठ, समन्वय तथा विमानन विभाग का जिम्मा सौंपा गया है। इसके साथ ही वे कर्मचारी चयन मंडल के अध्यक्ष भी बने रहेंगे। अब तक मत्स्य विकास व आयुष विभाग के प्रमुख सचिव रहे डी. पी. आहूजा को नया दायित्व सहकारिता विभाग के प्रमुख सचिव के रूप में सौंपा गया है। इससे अशोक बर्णवाल को इस प्रभार से मुक्त कर दिया गया है।

किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग तथा सचिव कार्मिक, सामान्य प्रशासन विभाग का अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे एम. सेलवेन्द्रन को अब सचिव “कार्मिक”, सामान्य प्रशासन विभाग के रूप में नियुक्त किया है। वहीं, उच्च शिक्षा विभाग के आयुक्त निशांत वरबवड़े को किसान कल्याण तथा कृषि विभाग का सचिव बनाया गया है। मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग इंदौर में ओएसडी सह सचिव प्रबल सिपाहा को उच्च शिक्षा विभाग के आयुक्त बनाया गया है। वहीं, मध्य प्रदेश वित्त निगम इंदौर की प्रबंध संचालक राखी सहाय को लोक सेवा आयोग इंदौर का सचिव बनाया गया है।

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MP News: मुख्यमंत्री ने 94,234 विद्यार्थियों को जारी की लैपटॉप की राशि, सिंगल क्लिक के जरिए 25-25 हजार रुपए ट्रांसफर

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MP News: Chief Minister released laptop amount to 94,234 students, Rs 25,000 each transferred through a single click

Bhopal: मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने आज भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में लैपटॉप प्रोत्साहन राशि अंतरण के राज्य स्तरीय कार्यक्रम में 94,234 मेधावी स्टूडेंट्स के खातों में 235 करोड़ रुपए से अधिक की राशि ट्रांसफर की। कार्यक्रम में शैक्षणिक सत्र 2024-25 में कक्षा 12वीं में 75 प्रतिशत या इससे अधिक अंक लाने वाले मेधावी विद्यार्थियों को लैपटॉप खरीदने के लिए प्रत्येक पात्र विद्यार्थी को 25-25 हजार रुपए डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के जरिए हस्तांतरित किए गए।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने अगले साल से प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को प्रोत्साहन राशि के स्थान पर 25 हजार रुपए मूल्य के और अधिक गुणवत्ता वाले अपडेटेड लैपटॉप देने की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने मंच से 15 मेधावी विद्यार्थियों को लेपटॉप भी वितरित किए। मुख्यमंत्री ने खुद सेल्फी लेकर सभी बच्चों का उत्साहवर्धन भी किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि 15 साल पहले शुरू हुई इस योजना का लाभ अब तक 4 लाख 32 हजार से अधिक मेधावी विद्याथियों को मिल चुका है। इस दौरान राज्य सरकार ने विद्यार्थियों को लैपटॉप वितरण पर 1080 करोड़ से अधिक की प्रोत्साहन राशि खर्च की है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि अब हमारे विद्यार्थी आधुनिक तकनीक से लैस होकर बेहतर तरीके से पढ़ाई कर सकेंगे। लैपटॉप सिर्फ एक उपकरण नहीं, बल्कि यह सुनहरे भविष्य की तैयारी का सशक्त माध्यम है।

इन 15 मेधावी विद्यार्थियों को मिला लैपटॉप

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने मेधावी विद्यार्थी मैहर जिले के प्रियल द्विवेदी (492 अंक), सतना जिले के हर्ष पाण्डे (490 अंक), रीवा जिले के अंकुर यादव (489 अंक), सीधी जिले के अभय सिंह (489 अंक), रीवा जिले के आर्यन पाण्डे जिला रीवा (488 अंक), शहडोल जिले की हिना देवी (488 अंक), भोपाल जिले की  निशु पंडित (487 अंक), भोपाल जिले के प्रांजल कुशवाह (487 अंक), छिंदवाड़ा जिले के हरिओम साहू (486 अंक), डिण्डोरी जिले के रघुवीर गौतम (484 अंक), दमोह जिले की गार्गी अग्रवाल (484 अंक), सीधी जिले के दिव्यांशु तिवारी (484 अंक) सतना जिले की दीपिका सिंह (483 अंक), सीहोर जिले के पार्थ राठौर (483 अंक) एवं भिण्ड जिले की योग्यता टंक (478 अंक) को मंच से लैपटॉप प्रदान किए।

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MP News: लाड़ली बहनों को प्राथमिकता के आधार पर मिले आवास सुविधा, शहरी क्षेत्रों में झुग्गियों का विस्तार नियंत्रित करें- मुख्यमंत्री डॉ. यादव

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MP News: Ladli sisters should get housing facilities on priority basis, control the expansion of slums in urban areas - CM Dr. Yadav

Bhopal: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि प्रदेश के नगरों में झुग्गी बस्तियों के विस्तार को नियंत्रित करने के उद्देश्य से, लोगों की सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों को देखते हुए किफायती और सुविधाजनक आवास सुविधा विकसित करने कार्य-योजना बनाई जाए। नगरीय क्षेत्र में पर्यावरण की बेहतरी के लिए उद्यानों को विकसित करना और विकास प्राधिकरण, हाउसिंग बोर्ड सहित सभी आवासीय परियोजनाओं में पौध-रोपण को प्रोत्साहित करना आवश्यक है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि भोपाल के बड़े तालाब के आसपास अवैध निर्माण का सर्वेक्षण करवा कर उन पर कार्रवाई के लिए अभियान चलाया जाए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव नगरीय विकास एवं आवास विभाग की मुख्यमंत्री निवास स्थित समत्व भवन में हुई समीक्षा बैठक को संबोधित कर रहे थे।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश में शहरी क्षेत्रों में कॉलोनियों के विकास में देश के प्रतिष्ठित बिल्डर्स एंड कॉलोनाईजस को जोड़ा जाए। सीएम डॉ. यादव ने कहा कि लाड़ली बहनों को प्राथमिकता के आधार पर आवास सुविधा उपलब्ध कराई जाए। बैठक में बताया गया कि प्रदेश में शहरी क्षेत्रों की एक करोड़ 30 लाख लाड़ली बहनों को आर्थिक सहायता के साथ आवास दिए जाएंगे।

प्रदेश में मीट-मछली के दुकानदारों को व्यवस्थित करने और उपयुक्त स्थान उपलब्ध कराने के लिए नगरीय निकायों को शीघ्र कार्यवाही करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्रों के साथ औद्योगिक क्षेत्रों में होने वाली आकस्मिक घटनाओं पर नियंत्रण के लिए अग्निशमन सेवा का आधुनिकीकरण तत्काल किया जाए। अंतर्शहरी क्षेत्र में रेल सेवा के विस्तार के लिए नमो ट्रेन की योजना तैयार की जाए। जल्द ही इस पर केन्द्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से चर्चा कर मदद ली जाएगी।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने धार्मिक क्षेत्रों में दीनदयाल रसोई योजना के विस्तार पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इस कार्य में सरकारी मदद के साथ स्वंयसेवी संस्थाओं और निजी दानदाताओं की मदद ली जाए। शहरी क्षेत्रों में स्थानीय समुदाय के स्व-सहायता समूह तैयार कर उन्हें आधुनिक लॉण्ड्री शुरू करने के लिए वित्तीय सहायता और उपयुक्त स्थान उपलब्ध कराया जाए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी एवं अन्य योजनाओं में तैयार किए गए आवासों के आधिपत्य बनने के साथ ही सौंपे जाने के निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि शहरी क्षेत्रों में स्वच्छ पर्यावरण एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। इसके लिए जरूरी है कि शहरी क्षेत्रों में आरक्षित भूमि चयनित कर ‘नगर वन’ अधिक से अधिक विकसित किए जाएं और उनके रखरखाव की जिम्मेदारी भी तय की जाए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने विभागीय बैठक में प्रमोशन प्रक्रिया की जानकारी भी ली। उन्होंने कहा कि अधिकारी-कर्मचारियों को तय समय-सीमा में प्रमोशन दिया जाए। इससे रिक्त होने वाले पदों पर अभी से भर्ती की प्रक्रिया की कार्य-योजना तैयार कर ली जाए।

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नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि धार्मिक एवं पर्यटन शहरों के विकास में एकीकृत विकास की योजना तैयार की जा रही है। चित्रकूट नगर में 2800 करोड़ रुपए की कार्य-योजना तैयार की गई है, जिसमें नगरीय विकास विभाग द्वारा 800 करोड़ रुपए का विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन तैयार किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में रीडेंसिफिकेशन परियोजनाओं की संभावना को देखते हुए हाऊसिंग बोर्ड को निर्देश दिए गए हैं। बैठक में राज्यमंत्री प्रतिमा बागरी, मुख्य सचिव अनुराग जैन, अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा, विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय शुक्ला सहित संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।

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