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Chhattisgarh: बीजापुर में प्रेशर IED ब्लास्ट, CAF के असिस्टेंट प्लाटून कमांडर शहीद

Bijapur: छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले में आज सुबह प्रेशर आईईडी(IED) की चपेट में आकर छत्तीसगढ़ आर्म्ड फोर्स के असिस्टेंट प्लाटून कमांडर शहीद हो गए। ये हादसा उस वक्त हुआ, जब सीएएफ (CAF) की टीम बीजापुर के मिरतुर थाना क्षेत्र में एरिया डोमिनेशन के लिए निकली थी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने असिस्टेंट प्लाटून कमांडर विजय यादव की शहादत पर गहरा दुःख प्रकट किया है। मुख्यमंत्री बघेल ने घटना को दुःखद बताते हुए नक्सलियों की इस कायराना हरकत की कड़ी निंदा की है और शहीद असिस्टेंट प्लाटून कमांडर यादव के शोक संतप्त परिवारजनों के प्रति संवेदना प्रकट की है।
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Chhattisgarh Assembly: राज्य के इतिहास का अब तक का सबसे बड़ा ₹35,000 करोड़ का अनुपूरक बजट पेश, वित्तमंत्री बोले- सरकार वादों पर नहीं, परिणामों पर विश्वास करती है

Raipur: छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य के इतिहास का अब तक का सबसे बड़ा ₹35,000 करोड़ का अनुपूरक बजट प्रस्तुत कर विकास, वित्तीय अनुशासन और दूरदर्शी शासन की स्पष्ट प्रतिबद्धता प्रदर्शित की है। वित्त मंत्री ओ.पी. चौधरी ने कहा कि यह अनुपूरक बजट केवल संसाधनों की व्यवस्था नहीं, बल्कि निरंतर आर्थिक प्रगति और संतुलित विकास की मजबूत दिशा है।
वित्त मंत्री ने कहा कि पिछली सरकार द्वारा विभिन्न बोर्डों और निगमों पर छोड़े गए ₹45,000 करोड़ से अधिक के लंबित ऋण ने इन संस्थानों को लगभग निष्क्रिय स्थिति में पहुँचा दिया था। इस अनुपूरक बजट के माध्यम से सरकार ने मार्कफेड और नान (NAAN) जैसे महत्वपूर्ण संस्थानों को संबल प्रदान करने का गंभीर प्रयास किया है, जो राज्य में धान खरीदी और सार्वजनिक वितरण प्रणाली की रीढ़ हैं। इन संस्थाओं को सुदृढ़ किए बिना किसानों का कल्याण और नागरिकों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की जा सकती।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री साय के नेतृत्व में सरकार ने औद्योगिक विकास को भी समान प्राथमिकता दी है। राज्य में औद्योगिक गतिविधियों को गति देने तथा विभिन्न औद्योगिक विकास एवं प्रोत्साहन योजनाओं को निरंतरता प्रदान करने के लिए अनुपूरक बजट में ₹360 करोड़ का प्रावधान किया गया है, जिससे निवेश, रोजगार और उत्पादन क्षमता को बढ़ावा मिलेगा।
वित्त मंत्री ने कहा कि राज्य के समग्र और संतुलित विकास के लिए केवल राजस्व व्यय पर्याप्त नहीं होता, बल्कि दूरदर्शी पूंजीगत व्यय ही भविष्य की समृद्ध अर्थव्यवस्था और मजबूत अधोसंरचना का आधार बनता है। सड़क, पुल, सिंचाई, बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य और डिजिटल कनेक्टिविटी जैसे क्षेत्रों में किया गया निवेश आने वाले दशकों तक विकास के स्थायी स्रोत तैयार करता है। इसी सोच के साथ सरकार ने पूंजीगत व्यय को अपनी विकास रणनीति का केंद्र बनाया है।
उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के बाद बीते 25 वर्षों में पूंजीगत व्यय में लगभग 55 गुना की ऐतिहासिक वृद्धि दर्ज हुई है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में जहाँ पूंजीगत व्यय ₹13,320 करोड़ था, वहीं 2023-24 में यह बढ़कर ₹15,419 करोड़ और 2024-25 में ₹20,055 करोड़ तक पहुँचा। मुख्य बजट 2025-26 में पूंजीगत व्यय के लिए ₹26,341 करोड़ का प्रावधान किया गया है, साथ ही अनुपूरक बजट में अतिरिक्त ₹2,000 करोड़ का प्रावधान किया गया है।
वित्त मंत्री ने कहा कि बजट के कुल आकार के अनुपात में भी पूंजीगत व्यय में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। जहाँ पूर्व सरकार के समय यह लगभग 3.5 प्रतिशत था, वहीं वर्ष 2025-26 में इसके 4.1 प्रतिशत तक पहुँचने की संभावना है। यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि सरकार दीर्घकालिक विकास और मजबूत अधोसंरचना निर्माण को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है।
अपने वक्तव्य के समापन में वित्त मंत्री ओ.पी. चौधरी ने कहा कि यह सरकार वादों पर नहीं, बल्कि परिणामों पर विश्वास करती है। पूंजीगत व्यय के माध्यम से संकल्पों को कागज से जमीन तक उतारने का कार्य किया जा रहा है। सरकार का स्पष्ट लक्ष्य छत्तीसगढ़ को आर्थिक रूप से सशक्त, अधोसंरचना के दृष्टिकोण से मजबूत और देश के अग्रणी राज्यों की श्रेणी में स्थापित करना है।
अनुपूरक बजट में सड़क एवं भवन निर्माण क्षेत्र को भी विशेष प्राथमिकता दी गई है। अधोसंरचना से जुड़े निर्माण कार्यों को समयबद्ध रूप से पूर्ण करने के उद्देश्य से अतिरिक्त वित्तीय प्रावधान किए गए हैं। इसके अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में कनेक्टिविटी सुदृढ़ करने के लिए ग्रामीण सड़क कार्यक्रम (आरआरपी फेज-2) हेतु ₹175 करोड़ का प्रावधान किया गया है। वहीं राज्य में प्रमुख सड़कों के उन्नयन एवं विस्तार के लिए छत्तीसगढ़ राज्य सड़क क्षेत्र परियोजना (एडीबी लोन-3) के अंतर्गत ₹150 करोड़ का अतिरिक्त प्रावधान किया गया है। इसके साथ ही चिरमिरी-नागपुर हॉल्ट रेल लाइन परियोजना के लिए ₹86 करोड़ की राशि का प्रावधान कर क्षेत्रीय परिवहन नेटवर्क को और अधिक सुदृढ़ करने की दिशा में ठोस कदम उठाया गया है।
अनुपूरक बजट में कृषि विकास एवं किसान कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए व्यापक वित्तीय प्रावधान किए गए हैं। किसानों की आय बढ़ाने और कृषि को आधुनिक एवं लाभकारी बनाने के उद्देश्य से कृषि उन्नति योजना के लिए अनुपूरक बजट में ₹2,000 करोड़ का प्रावधान किया गया है। इसके साथ ही किसानों को 5 एचपी तक के पंपों के लिए मुफ्त बिजली उपलब्ध कराने हेतु ₹1,700 करोड़ की राशि का प्रावधान किया गया है, जिससे सिंचाई लागत में कमी आएगी और कृषि उत्पादन को स्थायी बल मिलेगा। किसानों को बिना ब्याज के ऋण सुविधा उपलब्ध कराने के लिए अनुपूरक में ₹187 करोड़ का प्रावधान कर उन्हें वित्तीय संबल प्रदान किया गया है।
इसके अतिरिक्त, फसल जोखिम से सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत ₹122 करोड़ का प्रावधान किया गया है, वहीं कृषि क्षेत्र में जल प्रबंधन एवं सिंचाई क्षमता बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना हेतु ₹35 करोड़ का प्रावधान किया गया है। कृषि नवाचार और अनुसंधान को बढ़ावा देने की दिशा में बायोटेक इन्क्यूबेशन सेंटर के भवन निर्माण के लिए ₹4 करोड़ का प्रावधान कर राज्य में कृषि आधारित नवाचार एवं तकनीकी विकास को नई गति देने का प्रयास किया गया है।
अनुपूरक बजट में खाद्य सुरक्षा एवं पोषण व्यवस्था को सुदृढ़ करने पर विशेष जोर दिया गया है। पिछली सरकार द्वारा छोड़े गए लंबित भुगतानों के निपटान हेतु अनुपूरक बजट में कुल ₹19,224 करोड़ का प्रावधान किया गया है, जिससे सार्वजनिक वितरण प्रणाली और खाद्य सुरक्षा तंत्र को स्थायित्व प्रदान किया जा सके। इसके अंतर्गत मुख्यमंत्री खाद्यान्न सहायता योजना के तहत ₹6,800 करोड़ का प्रावधान किया गया है, ताकि पात्र हितग्राहियों को नियमित, निर्बाध और गुणवत्तापूर्ण खाद्यान्न उपलब्ध कराया जा सके।
इसके साथ ही राज्य में धान खरीदी की महत्वपूर्ण व्यवस्था को मजबूती देने के उद्देश्य से मार्कफेड को धान खरीदी में हुई हानि के निपटान हेतु ₹12,424 करोड़ का प्रावधान किया गया है। इस प्रावधान से न केवल किसानों को समय पर भुगतान सुनिश्चित होगा, बल्कि राज्य की सार्वजनिक वितरण प्रणाली और खाद्य सुरक्षा ढांचे को भी दीर्घकालिक स्थिरता मिलेगी, जिससे आम नागरिकों के पोषण एवं खाद्य अधिकारों की प्रभावी रक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी।
अनुपूरक बजट में सड़क सुरक्षा एवं पर्यावरण संरक्षण को सुदृढ़ करने के लिए महत्वपूर्ण वित्तीय प्रावधान किए गए हैं। आपातकालीन सेवाओं की त्वरित उपलब्धता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से राज्य के सभी जिला एवं ब्लॉक मुख्यालयों तक फायर वाहन एवं आधुनिक अग्निशमन यंत्रों की व्यवस्था हेतु अनुपूरक बजट में ₹154 करोड़ का प्रावधान किया गया है, जिससे आपदा एवं अग्नि दुर्घटनाओं की स्थिति में त्वरित और प्रभावी कार्रवाई संभव हो सकेगी।
सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने और यातायात अनुशासन को सुदृढ़ करने के लिए ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकॉग्निशन (ANPR) कैमरा प्रणाली के लिए ₹75 करोड़ का प्रावधान किया गया है। इसके साथ ही परिवहन व्यवस्था को अधिक पारदर्शी और तकनीक-सक्षम बनाने के उद्देश्य से राज्य के समस्त परिवहन कार्यालयों में ऑटोमेटेड ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक के निर्माण हेतु अनुपूरक में ₹12 करोड़ का प्रावधान किया गया है।
पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छ परिवहन को बढ़ावा देने की दिशा में इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को प्रोत्साहित करने हेतु अनुपूरक बजट में ₹35 करोड़ की सब्सिडी का प्रावधान किया गया है। इन पहलों के माध्यम से सरकार न केवल सड़क सुरक्षा को मजबूत कर रही है, बल्कि प्रदूषण नियंत्रण और हरित परिवहन की दिशा में भी ठोस कदम उठा रही है।
अनुपूरक बजट में औद्योगिक विकास को नई गति देने के उद्देश्य से कुल ₹360 करोड़ का प्रावधान किया गया है। इसके अंतर्गत राज्य में नए औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना के लिए ₹180 करोड़ का प्रावधान किया गया है, जिससे निवेश के लिए अनुकूल अधोसंरचना विकसित होगी और उद्योगों को सुस्पष्ट स्थान एवं सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सकेंगी।
अनुपूरक बजट में औद्योगिक विकास को नई गति देने के उद्देश्य से कुल ₹360 करोड़ का प्रावधान किया गया है। इसके अंतर्गत राज्य में नए औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना के लिए ₹180 करोड़ का प्रावधान किया गया है, जिससे निवेश के लिए अनुकूल अधोसंरचना विकसित होगी और उद्योगों को सुस्पष्ट स्थान एवं सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सकेंगी। इसके साथ ही औद्योगिक इकाइयों को प्रोत्साहित करने हेतु लागत पूंजी अनुदान के रूप में ₹130 करोड़ का प्रावधान किया गया है, जिससे नए उद्यमों की स्थापना और मौजूदा इकाइयों के विस्तार को बल मिलेगा।
इसके अतिरिक्त उद्योगों की वित्तीय लागत को कम करने और उन्हें प्रतिस्पर्धी बनाने के उद्देश्य से ब्याज अनुदान के रूप में ₹25 करोड़ का प्रावधान किया गया है। इन प्रावधानों के माध्यम से राज्य सरकार निवेश, रोजगार सृजन और औद्योगिक उत्पादन को बढ़ावा देने की अपनी प्रतिबद्धता को स्पष्ट रूप से दर्शा रही है, जिससे छत्तीसगढ़ में संतुलित और सतत औद्योगिक विकास को मजबूती मिलेगी।
अनुपूरक बजट में महिला एवं बाल विकास को सशक्त बनाने के लिए ठोस वित्तीय प्रावधान किए गए हैं। महिलाओं की आर्थिक सुरक्षा, सम्मान और आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से महतारी वंदन योजना के लिए अनुपूरक बजट में ₹2,500 करोड़ का प्रावधान किया गया है। इस योजना के माध्यम से राज्य की महिलाओं को नियमित आर्थिक सहायता प्रदान कर उनके जीवन स्तर को सुदृढ़ करने और पारिवारिक निर्णयों में उनकी भूमिका को और अधिक मजबूत करने का प्रयास किया जा रहा है।
इसके साथ ही मातृ एवं शिशु पोषण, प्रारंभिक बाल देखभाल और आंगनबाड़ी सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार के लिए सक्षम आंगनबाड़ी एवं पोषण 2.0 योजना के अंतर्गत अनुपूरक में ₹225 करोड़ का प्रावधान किया गया है। इन प्रावधानों से पोषण स्तर में सुधार, स्वास्थ्य संकेतकों को सुदृढ़ करने और भावी पीढ़ी के समग्र विकास को सुनिश्चित करने की दिशा में सरकार की प्रतिबद्धता स्पष्ट होती है।
ग्रामीण क्षेत्रों के समग्र विकास और आवासीय सुरक्षा को सुदृढ़ करने के लिए सरकार द्वारा बजट में महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं। केवल ग्रामीण क्षेत्रों में आवास उपलब्ध कराने के उद्देश्य से मुख्य बजट में ₹8,500 करोड़ का प्रावधान किया गया है, वहीं अनुपूरक बजट के माध्यम से इसके लिए ₹1,000 करोड़ का अतिरिक्त प्रावधान किया जा रहा है, जिससे ग्रामीण परिवारों को सुरक्षित और सम्मानजनक आवास सुनिश्चित किया जा सके।
इसके साथ ही ग्रामीण अधोसंरचना और बुनियादी सेवाओं को मजबूत करने के लिए प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत ₹378 करोड़ का प्रावधान किया गया है, जिससे गांवों की सड़क कनेक्टिविटी को और अधिक सुदृढ़ किया जाएगा। स्वच्छता और स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए स्वच्छ भारत मिशन हेतु ₹150 करोड़ का प्रावधान किया गया है। ग्राम पंचायतों की प्रशासनिक एवं संस्थागत क्षमता को मजबूत करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान के लिए ₹40 करोड़ तथा ग्रामीण महिलाओं और स्व-सहायता समूहों के आजीविका सशक्तिकरण हेतु राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत ₹286 करोड़ का प्रावधान किया गया है।
हवाई कनेक्टिविटी से लेकर किसान कल्याण और बस्तर में शांति तक: साय सरकार की बहुआयामी विकास रणनीति
मुख्यमंत्री साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार राज्य के समावेशी विकास और संतुलित क्षेत्रीय प्रगति के लिए निरंतर कार्य कर रही है। इसी क्रम में हवाई कनेक्टिविटी को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से अनुपूरक बजट में बिलासपुर एयरपोर्ट के विकास के लिए ₹150 करोड़ तथा रायगढ़ एयरपोर्ट के विकास के लिए ₹30 करोड़ का प्रावधान किया गया है। इन निवेशों से क्षेत्रीय संपर्क, औद्योगिक गतिविधियों और नागरिक सुविधाओं को नई गति मिलेगी।
मुख्यमंत्री साय की सरकार ने किसान कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। सरकार की संवेदनशील और किसान-हितैषी नीतियों का प्रत्यक्ष प्रमाण यह है कि बीते दो वर्षों में ₹25,000 करोड़ से अधिक की राशि सीधे किसानों तक पहुँची है। यह न केवल किसानों की आय और आर्थिक सुरक्षा को सुदृढ़ करता है, बल्कि राज्य की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को भी मजबूत आधार प्रदान करता है।
राज्य में शांति और सुरक्षा की दिशा में भी साय सरकार निर्णायक परिणाम लेकर आई है। 31 मार्च 2026 की समयसीमा के निकट आते हुए सरकार इस बात को लेकर आश्वस्त और प्रतिबद्ध है कि छत्तीसगढ़ जल्द ही वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) की समस्या से पूर्णतः मुक्त होगा। शांति, संवाद, विकास और सुरक्षा की बहुआयामी रणनीति के माध्यम से साय सरकार ने ऐसे वातावरण का निर्माण किया है, जिसमें नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के लोग लोकतंत्र की मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं और विकास की यात्रा में सहभागी बन रहे हैं।
बस्तर, जहाँ कभी गोलियों की आवाजें गूंजती थीं, आज वहाँ बस्तर पंडुम जैसे सांस्कृतिक आयोजन और बस्तर ओलंपिक जैसे खेल महोत्सव नई पहचान बना रहे हैं। यह परिवर्तन केवल सुरक्षा अभियानों का परिणाम नहीं, बल्कि साय सरकार की उस बहुआयामी विकास नीति का प्रमाण है, जिसने विश्वास, उत्सव और भविष्य की आशा को बस्तर की धरती पर पुनः स्थापित किया है।
“₹35,000 करोड़ का यह ऐतिहासिक अनुपूरक बजट छत्तीसगढ़ के भविष्य को मजबूत आधार देने वाला बजट है, जिसमें विकास, वित्तीय अनुशासन और संवेदनशील शासन की स्पष्ट झलक दिखाई देती है। यह बजट किसानों, महिलाओं, गरीबों, युवाओं और उद्योगों के लिए समान रूप से अवसर सृजित करता है। पूंजीगत व्यय को प्राथमिकता देकर सरकार ने सड़कों, आवास, कृषि, उद्योग, कनेक्टिविटी और सामाजिक सुरक्षा के माध्यम से राज्य की अर्थव्यवस्था को दीर्घकालिक रूप से सशक्त बनाने का संकल्प लिया है। बस्तर में शांति, किसानों को सीधा आर्थिक लाभ, महिलाओं का सम्मान और ग्रामीण क्षेत्रों का समग्र विकास—ये सभी इस बात के प्रमाण हैं कि सरकार वादों नहीं, परिणामों की राजनीति कर रही है और छत्तीसगढ़ को देश के अग्रणी विकसित राज्यों की श्रेणी में स्थापित करने की दिशा में पूरी प्रतिबद्धता के साथ आगे बढ़ रही है।”- मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय
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Chhattisgarh: बीजापुर में 84 लाख के इनामी 34 नक्सलियों का सरेंडर, 7 महिला नक्सली भी शामिल

Bijapur: बस्तर अंचल में शांति, विश्वास और विकास की दिशा में एक और महत्वपूर्ण सफलता मिली है। बीजापुर जिले में ₹84 लाख के इनामी 34 माओवादी कैडरों ने हिंसा का मार्ग त्यागते हुए भारतीय संविधान में आस्था जताई है और समाज की मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री साय ने कहा कि यह उपलब्धि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व एवं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की दृढ़ इच्छाशक्ति के अनुरूप छत्तीसगढ़ को नक्सलमुक्त बनाने की दिशा में चल रहे सतत और ठोस प्रयासों का परिणाम है।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि राज्य सरकार की ‘पूना मारगेम’ नीति ने यह सिद्ध कर दिया है कि संवाद, संवेदनशीलता और विकास, हिंसा से कहीं अधिक प्रभावी समाधान हैं। यह आत्मसमर्पण केवल हथियार छोड़ने की घटना नहीं है, बल्कि भय और भ्रम से मुक्त होकर सम्मानजनक जीवन की ओर लौटने का निर्णय है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार आत्मसमर्पण करने वाले सभी व्यक्तियों के पुनर्वास, सुरक्षा, आजीविका, कौशल विकास और सामाजिक पुनर्समावेशन के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है, ताकि वे समाज में आत्मनिर्भर बन सकें। मुख्यमंत्री ने आज भी भटके हुए युवाओं से अपील करते हुए कहा कि वे हिंसा का मार्ग त्यागें, लोकतंत्र और विकास के साथ कदम से कदम मिलाकर चलें तथा प्रदेश और देश के निर्माण में सहभागी बनें।
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Raipur: साय सरकार में छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल हुआ कर्जमुक्त, अटल नगर देश का पहला ऋण मुक्त ग्रीनफील्ड शहर बना- वित्त मंत्री चौधरी

Raipur: प्रदेश के आवास एवं पर्यावरण मंत्री ओपी चौधरी ने छत्तीसगढ संवाद ऑडिटोरियम में प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री विष्णु देव साय जी के नेतृत्व में आवास एवं पर्यावरण विभाग ने विगत दो वर्षों में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं। लोगों को किफायती आवास की उपलब्धता, बेहतर रहवासी सुविधा, आजीविका के साधनों के विकास के साथ ही पर्यावरण अनुकूल ईज आफ लिविंग का ध्यान रखते हुए इन दो सालों में काम किया गया है। विभाग द्वारा किये गये दो सालों से नागरिक जीवन बेहतर हुआ है और राज्य की उज्ज्वल भविष्य की ठोस नींव रख दी गई है।
मंत्री चौधरी ने बताया कि दो साल पहले छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल अनेक चुनौतियों का सामना कर रहा था। 3200 से अधिक आवासीय एवं व्यावसायिक संपत्तियों का विक्रय नहीं हो सका था। 735 करोड रुपए का बकाया था। मंडल को ऋण मुक्त करने के लिए यह राशि राज्य शासन द्वारा उपलब्ध कराई गई। वर्तमान में मंडल पर कोई ऋण नहीं है। जिन संपत्तियों का विक्रय लंबे समय से नहीं हुआ था, उनके विक्रय के लिए सरकार द्वारा एकमुश्त निपटान योजना ओटीएस-2 आरंभ की गई। इसके माध्यम से इन संपत्तियों पर 30 प्रतिशत तक की छूट उपलब्ध करायी गई। इस योजना को सफलता मिली और 9 महीनों में ही 1251 संपत्तियों का विक्रय हुआ और इस योजना के माध्यम से 190 करोड रुपए का राजस्व अर्जित किया गया। यह राशि आगामी परियोजनाओं में व्यय की जाएगी, ताकि अधिकतम हितग्राहियों को किफायती आवास एवं व्यावसायिक संपत्ति का लाभ मिल सके।
उन्होंने बताया कि भविष्य में अविक्रित स्टॉक से बचने के लिए नई निर्माण नीति लागू की गई है। अब मांग आधारित निर्माण को प्राथमिकता दी जाएगी। बाजार की वास्तविक आवश्यकता के अनुसार परियोजनाएं शुरू होंगी। इससे वित्तीय जोखिम कम होगा। नई नीति के अनुसार 60 प्रतिशत या प्रथम 3 माह में 30 प्रतिशत पंजीयन अनिवार्य किया गया है। इसके पश्चात ही निर्माण कार्य प्रारंभ होगा। यह व्यवस्था परियोजनाओं की व्यवहार्यता सुनिश्चित करेगी। नागरिकों की मांग को प्रत्यक्ष रूप से महत्व मिलेगा।
चौधरी ने कहा कि आवंटियों की सुविधा के लिए ऑनलाइन पोर्टल को और सुदृढ किया गया है। प्रक्रियाएं सरल और समयबद्ध हुई हैं। नागरिकों को कार्यालयों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। एआई आधारित चैटबॉट के माध्यम से 24×7 जानकारी उपलब्ध कराई जा रही है। मानव हस्तक्षेप की आवश्यकता कम हुई है। पारदर्शिता और सुविधा दोनों में वृद्धि हुई है।
मंत्री चौधरी ने रायपुर विकास प्राधिकरण की उपलब्धियों के संबंध में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि 193 करोड रूपए की लागत से प्राधिकरण द्वारा पीएम यूनिटी मॉल का निर्माण किया जा रहा है। इसके साथ ही टिकरापारा में 168 फ्लैट का निर्माण प्रस्तावित है। जिसके लिए निविदा आमंत्रित की गई है। जनवरी से प्राधिकरण द्वारा ऑनलाईन प्रणाली की शुरूआत की गई है।
उन्होंने कहा कि नवा रायपुर अटल नगर के विकास के लिए बीते 2 सालों में ऐतिहासिक निर्णय हुए हैं। नवा रायपुर अटल नगर देश का पहला ऋण मुक्त ग्रीनफील्ड शहर बना है। यह उपलब्धि राष्ट्रीय स्तर पर उल्लेखनीय मानी जा रही है। प्राधिकरण द्वारा 1,345 करोड़ के संपूर्ण ऋण का भुगतान किया गया। यह ऋण पूर्ववर्ती विकास परियोजनाओं से संबंधित था। अनुशासित वित्तीय प्रबंधन से यह संभव हो सका। किसी नए ऋण का बोझ नहीं डाला गया। ऋण चुकता होने के साथ 5,030 करोड मूल्य की भूमि और संपत्ति गिरवी-मुक्त हुई। अब ये परिसंपत्तियां पूरी तरह स्वतंत्र हैं। इससे निवेश और विकास प्रस्तावों को गति मिलेगी।
नवा रायपुर में औद्योगिक एवं व्यावसायिक गतिविधि बढ़ाने के लिए भी उल्लेखनीय पहल की गई है। 132 एकड क्षेत्र में टेक्सटाइल पार्क विकसित किया जा रहा है। टेक्सटाइल पार्क में लगभग 2,000 करोड के निवेश का अनुमान है। यह निवेश राज्य की औद्योगिक अर्थव्यवस्था को सशक्त करेगा। एमएसएमई और बड़े उद्योगों को अवसर मिलेंगे। निर्यात क्षमता में वृद्धि होगी। इस परियोजना से 12,000 से अधिक रोजगार सृजित होने की संभावना है। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार दोनों शामिल होंगे। स्थानीय युवाओं को अवसर मिलेंगे तथा क्षेत्रीय विकास को गति मिलेगी।
सेमीकंडक्टर और आईटी क्षेत्र में 1,800 करोड़ का निवेश प्रस्तावित है। यह पहल उन्नत 5जी और 6 जी तकनीक को ध्यान में रखकर की गई है। इससे राज्य को तकनीकी मानचित्र पर नई पहचान मिलेगी। डिजिटल इकोसिस्टम मजबूत होगा। आईटी क्षेत्र से लगभग 10,000 नए रोजगार सृजित होने की संभावना है। उच्च कौशल आधारित रोजगार उपलब्ध होंगे। स्टार्टअप और तकनीकी कंपनियों को बढ़ावा मिलेगा।
चौधरी ने कहा कि नवा रायपुर टेक-हब के रूप में उभरेगा। नवा रायपुर को कॉन्फ्रेंस कैपिटल के रूप में विकसित किया जा रहा है। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय आयोजनों को आकर्षित करने की योजना है। एमआईसीई टूरिज्म को बढावा मिलेगा। सेवा और पर्यटन क्षेत्र को नई गति मिलेगी। चौधरी ने बताया कि शहर को वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में भी विकसित किया जा रहा है। आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर और खुले स्थल उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इवेंट आधारित अर्थव्यवस्था को बढावा मिलेगा। स्थानीय सेवाओं में रोजगार बढ़ेगा। 400 करोड की लागत से इनलैंड मरीना परियोजना विकसित की जा रही है। यह पर्यटन और शहरी सौंदर्य दोनों को बढ़ाएगी। मनोरंजन के नए अवसर सृजित होंगे। ग्रीन और ब्लू इंफ्रास्ट्रक्चर को जोड़ा गया है।
120 करोड की लागत से आर्ट ऑफ लिविंग सेंटर विकसित किया जाएगा। यह आध्यात्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र बनेगा। वेलनेस टूरिज्म को प्रोत्साहन मिलेगा। शहर की सामाजिक पहचान मजबूत होगी। 230 करोड की लागत से साइंस सिटी विकसित की जा रही है। इससे शिक्षा और नवाचार को बढ़ावा मिलेगा। छात्रों और युवाओं को विज्ञान से जोड़ने का उद्देश्य है। भविष्य उन्मुख सोच को प्रोत्साहन मिलेगा।
नवा रायपुर को मेडिकल हब बनाने के उद्देश्य से मेडी सिटी विकसित की जा रही है। यहां उच्च स्तरीय स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध होंगी। क्षेत्रीय स्वास्थ्य सुविधाओं पर दबाव कम होगा। मेडिकल टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा। मेडी सिटी में 300 बिस्तरों वाला हॉस्पिटल बॉम्बे हॉस्पिटल ट्रस्ट द्वारा विकसित किया जा रहा है। एजु सिटी के अंतर्गत NIFT और NIELIT को भूमि आवंटन की प्रक्रिया प्रगति पर है। डिजाइन और आईटी शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा। उच्च शिक्षा संस्थानों का क्लस्टर विकसित होगा। देश विदेश के नामी शैक्षणिक संस्थानों के आने से नवा रायपुर ज्ञान केंद्र के रूप में उभरेगा।
मंत्री ओपी चौधरी ने बताया कि नगर तथा ग्राम निवेश विभाग द्वारा भी बीते दो साल में उल्लेखनीय कार्य किये गये हैं। नियमों को अधिक सरल, व्यावहारिक और किफायती बनाने के उद्देशेय से राज्य में पहली बार किफायती जन आवास नियम, 2025 लागू किया गया है। इससे आवास निर्माण को प्रोत्साहन मिलेगा। नागरिकों और डेवलपर्स दोनों को लाभ होगा। अब कृषि भूमि में भी किफायती आवास स्वीकार किया गया है। प्रक्रिया सरल और समयबद्ध हुई है। कॉलोनाइजर्स द्वारा सामुदायिक खुले स्थान की अनिवार्यता 10 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत की गई है। इससे परियोजनाओं की लागत में कमी आएगी। किफायती आवास अधिक व्यवहार्य बनेंगे। फिर भी आवश्यक खुले स्थान सुरक्षित रहेंगे।
मंत्री चौधरी ने बताया इसके अतिरिक्त केंद्रीय रिफॉर्म के अंतर्गत छत्तीसगढ़ भूमि विकास नियम 1984 में भी संशोधन किये गये हैं। औद्योगिक क्षेत्रों में न्यूनतम पहुंच मार्ग की चौड़ाई कम की गई है। अब 7.5 से 9 मीटर चौड़ाई स्वीकार्य है। पहले यह 12 मीटर होनी अनिवार्य थी। इससे भूमि का बेहतर उपयोग संभव होगा। औद्योगिक क्षेत्रों में ग्राउंड कवरेज 60 प्रतिशत से बढाकर 70 प्रतिशत किया गया है। उद्योगों को अधिक निर्माण क्षेत्र मिलेगा। उत्पादन क्षमता में वृद्धि होगी। इससे औद्योगिक विस्तार आसान होगा।
छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल द्वारा उद्योगों द्वारा पर्यावरणीय उत्सर्जनों के निगरानी हेतु रियल टाइम सिस्टम लागू किया गया है। ऑनलाइन के माध्यम से निरंतर निगरानी हो रही है, जिससे पारदर्शिता और विश्वसनीयता बढ़ी है। उत्सर्जन सीमा से अधिक होने पर तुरंत अलर्ट जारी होता है। तत्काल सुधारात्मक कार्रवाई संभव होती है। नियमों के पालन में सख्ती आई है। स्वचालित नोटिस प्रणाली लागू की गई है। इससे प्रशासनिक प्रक्रिया तेज हुई है तथा मानव हस्तक्षेप पर निर्भरता कम हुई है।
आवास एवं पर्यावरण विभाग की उपलब्धियां छत्तीसगढ़ को वित्तीय रूप से सक्षम, निवेश-अनुकूल, पर्यावरण-संवेदनशील और नागरिक केंद्रित राज्य के रूप में स्थापित करती हैं। विकसित छत्तीसगढ़ के लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में विभाग द्वारा की गई पहल अत्यंत महत्वपूर्ण हैं और इसके लिए दीर्घकालीन विकास की ठोस नींव तैयार हुई है। इस अवसर पर अनुराग सिंह देव, अध्यक्ष, छत्तीसगढ गृह निर्माण मंडल, नन्द कुमार साहू, अध्यक्ष, रायपुर विकास प्राधिकरण, विधायक रायमुनी भगत, आवास एवं पर्यावरण विभाग के सचिव अंकित आनंद सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।
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Chhattisgarh: साय सरकार की पहली कैबिनेट के दो वर्ष पूर्ण, प्रदेश में 10,000 आजीविका डबरी निर्माण कार्यों का शुभारंभ

Raipur: मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने अपनी प्रथम मंत्रिपरिषद बैठक में प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के अंतर्गत 18 लाख आवासों की स्वीकृति के निर्णय के दो वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर आज एक कॉफी टेबल बुक का विमोचन किया। इस अवसर पर उन्होंने प्रदेश में 10,000 आजीविका डबरी निर्माण कार्यों का शुभारंभ किया गया। कार्यक्रम में कवर्धा जिले के जनमन आवास योजना के हितग्राहियों तथा नारायणपुर जिले के आत्मसमर्पित नक्सलियों और नक्सल हिंसा से प्रभावित परिवारों के लिए संचालित विशेष परियोजना के अंतर्गत प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के हितग्राहियों को आजीविका डबरी के स्वीकृति पत्र भी प्रदान किए गए। इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की प्रमुख सचिव निहारिका बारीक सिंह, प्रधानमंत्री आवास योजना के संचालक एवं आयुक्त महात्मा गांधी नरेगा तारन प्रकाश सिन्हा तथा पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के सचिव भीम सिंह उपस्थित थे।
छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत वर्ष 2016 से 2026 की अवधि के लिए 26.27 लाख आवासों के लक्ष्य के विरुद्ध अब तक 24.37 लाख आवास स्वीकृत किए जा चुके हैं, जिनमें से 17.14 लाख आवास पूर्ण हो चुके हैं। मुख्यमंत्री साय के नेतृत्व में मात्र दो वर्षों में लगभग 8 लाख आवासों का निर्माण पूर्ण कर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया गया है, जो योजना के प्रभावी क्रियान्वयन को दर्शाता है।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा विगत दो वर्षों के अल्प कार्यकाल में ही लगभग 8 लाख आवासों का निर्माण पूर्ण किया गया है। यह उपलब्धि राज्य में आवास निर्माण की गति को दर्शाती है। विशेष रूप से पिछले 6 महीनों में प्रतिदिन औसतन 2000 आवासों का निर्माण पूर्ण किया गया, जो प्रशासनिक दक्षता और सतत निगरानी का परिणाम है।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) का शुभारंभ अप्रैल 2016 में किया गया, जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में पात्र परिवारों को पक्के आवास उपलब्ध कराना है। इस योजना के अंतर्गत प्रति आवास 1.20 लाख रूपए की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। साथ ही, योजना का अन्य योजनाओं से अभिसरण किया गया है, जिसके तहत मनरेगा से 90 दिवस की मजदूरी तथा स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) से 12 हजार रूपए की सहायता शौचालय निर्माण हेतु दी जाती है, जिससे हितग्राही को संपूर्ण आवास सुविधा प्राप्त हो सके।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के अंतर्गत प्रदेश में 10,000 आजीविका डबरी निर्माण का कार्य मोर गांव-मोर पानी महाअभियान के अंतर्गत क्रियान्वित किया जा रहा है। इन डबरियों का निर्माण पात्र हितग्राहियों की निजी भूमि पर किया जाएगा, जिसमें प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के हितग्राही भी सम्मिलित हैं। सभी डबरियों को मई 2026 तक पूर्ण करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
आजीविका डबरी परियोजना से ग्रामीण क्षेत्रों में जल संरक्षण एवं जल संवर्धन, सिंचाई सुविधा में वृद्धि, मत्स्य पालन, बत्तख पालन, वृक्षारोपण एवं सिघाड़ा उत्पादन जैसी गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। इससे ग्रामीण परिवारों को स्थायी आजीविका के अतिरिक्त अवसर प्राप्त होंगे और उनकी आय में वृद्धि होगी। इस प्रकार, प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) और मनरेगा के अभिसरण से राज्य सरकार ग्रामीण विकास, आवास सुरक्षा, रोजगार सृजन और जल संरक्षण के लक्ष्यों को एक साथ साकार कर रही है, जो छत्तीसगढ़ के समावेशी और सतत विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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Jagdalpur: अगले 5 साल में बस्तर संभाग देश का सबसे विकसित आदिवासी संभाग बनेगा- केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह

Jagdalpur: केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में बस्तर ओलिंपिक के समापन समारोह को संबोधित किया। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। इस अवसर पर अमित शाह ने कहा कि हमने तय किया था कि 31 मार्च, 2026 से पहले पूरे देश से लाल आतंक को खत्म कर देंगे और आज बस्तर ओलंपिक- 2025 में हम इस कगार पर खड़े हैं। उन्होंने कहा कि अगले वर्ष नवंबर-दिसंबर तक बस्तर ओलंपिक-2026 के समय तक पूरे भारत और छत्तीसगढ़ से लाल आतंक समाप्त हो चुका होगा औऱ नक्सलमुक्त बस्तर आगे बढ़ रहा होगा।
शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में हमने यह संकल्प लिया है कि पूरे बस्तर और भारत को नक्सलमुक्त कराना है। उन्होंने कहा कि हमें यहीं नहीं रुकना बल्कि कांकेर, कोंडागांव, बस्तर, सुकमा, बीजापुर, नारायणपुर और दंतेवाड़ा के 7 ज़िलों का संभाग बस्तर, दिसंबर 2030 दिसंबर तक देश के सबसे अधिक विकसित आदिवासी संभाग बनेगा। उन्होंने कहा कि बस्तर के हर व्यक्ति को रहने के लिए घर, बिजली, शौचालय, नल से पीने का पानी, गैस सिलिंडर, 5 किलो अनाज और 5 लाख तक का मुफ्त इलाज, बस्तर के घर घर में पहुचाने का संकल्प हमारी सरकार का संकल्प है।
शाह ने कहा कि हमने अगले पांच साल में बस्तर को देश का सबसे विकसित आदिवासी संभाग बनाने का संकल्प लिया है। उन्होंने कहा कि बस्तर का हर गांव सड़क से जुड़ेगा, वहां बिजली होगी, 5 किलोमीटर के क्षेत्र में बैंकिंग सुविधाएं होंगी और सबसे घने पीएचसी/सीएचसी का नेटवर्क बनाने का काम भी हमारी सरकार करेगी। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में वन उपज की प्रोसेसिंग के लिए कोऑपरेटिव आधार पर यूनिट्स लगाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि बस्तर के सातों ज़िले सभी आदिवासी ज़िलों में सबसे अधिक दूध उत्पादन कर डेयरी के माध्यम से अपनी आय बढ़ाने वाले ज़िले बनेंगे।
उन्होंने कहा कि बस्तर में नए उद्योग, उच्च शिक्षा की व्यवस्था, भारत में सबसे अच्छा स्पोर्ट्स संकुल और अत्याधुनिक अस्पताल की व्यवस्था भी हम करेंगे। शाह ने कहा कि कुपोषण के लिए भी यहां विशेष स्कीम चलाई जाएगी। उन्होंने कहा कि जिन्होंने आत्मसमर्पण किया है और जो नक्सलवाद के कारण घायल हुए हैं, उनके लिए एक बहुत आकर्षक पुनर्वसन योजना भी हम लाएंगे। गृह मंत्री ने कहा कि नक्सलवाद समाप्त होने के साथ ही इस क्षेत्र में विकास की एक नई शुरूआत होगी और पीएम मोदी और सीएम विष्णुदेव साय के नेतृत्व में यह सबसे विकसित क्षेत्र बनेगा।
अमित शाह ने कहा कि बस्तर ओलंपिक-2025 में सात ज़िलों की सात टीमें और एक टीम आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों की थी। उन्होंने कहा कि जब 700 से अधिक सरेंडर्ड नक्सलियों ने इन खेलों में भाग लिया तो यह देखकर बहुत अच्छा लगा। उन्होंने कहा कि नक्सलवाद के झांसे में आकर उनका पूरा जीवन तबाह हो जाता और हथियार डालकर मुख्यधारा में आने वाले ऐसे 700 से अधिक युवा आज खेल के रास्ते पर आए हैं।
शाह ने दोहराया कि 31 मार्च, 2026 को यह देश नक्सलवाद से मुक्त हो जाएगा। उन्होंने हिंसा में लिप्त नक्सलियों से अपील करते हुए कहा कि अब भी गुमराह होकर हमारे ही जो लोग हाथ में हथियार लेकर बैठे हैं, वो हथियार डाल दें, पुनर्वसन नीति का फायदा उठाएं, अपने और अपने परिवार के कल्याण के बारे में सोचें और विकसित बस्तर के संकल्प के साथ जुड़ जाएं। उन्होंने कहा कि नक्सलवाद से किसी का भला नहीं होता, न हथियार उठाने वाले लोगों का, न आदिवासियों और न सुरक्षाबलों का भला होता है। उन्होंने कहा कि सिर्फ शांति ही विकास का रास्ता प्रशस्त कर सकती है।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि आत्मसमर्पण कर चुके 700 नक्सलियों ने इन खेलों में खिलाड़ी के रूप में सामने आकर पूरे देश के लिए बहुत बड़ा उदाहरण प्रस्तुत किया है। उन्होंने कहा कि इन खिलाड़ियों ने भय की जगह आशा चुनी, विभाजन की जगह एकता का रास्ता चुना और विनाश की जगह विकास का रास्ता चुना है और यही प्रधानमंत्री मोदी जी की नए भारत और विकसित बस्तर की संकल्पना है। उन्होंने कहा कि हमारे बस्तर की संस्कृति दुनियाभर में सबसे अधिक समृद्ध संस्कृति है। उन्होंने कहा कि सभी जनजातियों का खानपान, परिवेश, कला, वाद्य, नृत्य और पारंपरिक खेल सिर्फ छत्तीसगढ़ की नहीं बल्कि पूरे भारत की सबसे समृद्ध विरासत है।
गृहमंत्री शाह ने कहा कि हाल ही में छत्तीसगढ़ सरकार ने आधुनिक रिकॉर्डिंग स्टूडियो बनाकर यहां के पारंपरिक गीतों को सहेजने का काम किया है। उन्होंने कहा कि ऐसे कई परंपरागत उत्सव और त्योहार जो नक्सलवाद के लाल आतंक के साए में समाप्त होने की कगार पर थे, उन्हें भी आगे बढ़ाया गया है। उन्होंने कहा कि आज जिन खिलाड़ियों ने बस्तर ओलंपिक में भाग लिया है, उनकी प्रतिभा को पहचानने के लिए स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अधिकारियों की एक टीम यहां आई है। शाह ने कहा कि इन खिलाड़ियों की प्रतिभा को पह
शाह ने कहा कि पिछले वर्ष बस्तर ओलंपिक में 1 लाख 65 हज़ार खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया था, जबकि इस वर्ष 3 लाख 91 हज़ार खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया है, जो लगभग ढाई गुना की वृद्धि है और बहनों की प्रतिभागिता में लगभग तीन गुना वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि यह उत्साह देखकर आने वाले दिनों में प्रधानमंत्री मोदी ने खेलो इंडिया ट्राइबल गेम्स के लिए छत्तीसगढ़ को चुना है।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि बस्तर अब बदल रहा है और बस्तर अब भय नहीं भविष्य का पर्याय बन चुका है, जहां गोलियों की गूंज सुनाई देती थी, वहां आज स्कूल की घंटियां बज रही हैं। जहां सड़क बनाना एक सपना था, वहां आज रेलवे ट्रैक और राजमार्ग बिछाए जा रहे हैं, जहां लाल सलाम के नारे लगते थे, वहां आज भारत माता की जय के नारे लगते हैं। उन्होंने कहा कि हम सब विकसित बस्तर के लिए कृत संकल्पित हैं।
उन्होंने कहा कि भारत सरकार और छत्तीसगढ़ सरकार ने मुठभेड़ों में नक्सलियों को मारने का लक्ष्य नही रखा था, क्योंकि 2000 से अधिक नक्सली युवाओं ने सरेंडर भी किया है। उन्होंने कहा कि हमारे आदिवासी समाज के प्रमुखों ने इसमें बहुत बड़ा योगदान दिया है, उनके मार्गदर्शन ने नक्सली युवाओं को ढांढस भी बंधाया है और हिम्मत भी दी है। गृह मंत्री ने समाज के प्रमुखों और समाजसेवकों से अपील करते हुए कहा कि जो लोग आज भी हथियार लेकर घूम रहे हैं, वे उन्हें समझाकर समाज की मुख्यधारा वापिस में लाने का काम करें।
बस्तर का विकास राज्य की सर्वोच्छ प्राथिकताओं में शामिल
मुख्यमंत्री साय ने भी आज जगदलपुर में आयोजित बस्तर ओलम्पिक 2025 के समापन समारोह को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि बस्तर अंचल का विकास राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शामिल है। नक्सलवाद के उन्मूलन के साथ-साथ बस्तर में मूलभूत सुविधाओं का विकास तेजी से किया जा रहा है और बस्तर अब विकास की दिशा में सशक्त गति से आगे बढ़ रहा है। मुख्यमंत्री साय ने आगे कहा कि माओवाद के कारण बंद पड़े स्कूल अब पुनः खुल रहे हैं। सड़कों का व्यापक नेटवर्क विकसित कर अंदरूनी इलाकों को आवागमन की सुविधा से जोड़ा जा रहा है।

















